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राजनांदगांव: धनलक्ष्मी पेपर मिल में फिर गई मजदूर की जान, प्रबंधन पर उठे सवाल

डोंगरगांव के धनलक्ष्मी पेपर मिल प्रबंधन की लापरवाही के कारण एक मजदूर की मौत हो गई. वहीं प्रबंधन ने देर रात तक घटना की सूचना मृतक के परिजनों को नहीं दी. जबकि घटना की जानकारी मिलते ही मजदूरों और युवाओं ने धनलक्ष्मी पेपर मिल गेट पर हंगामा किया.

A laborer dies in Dhanalakshmi paper mill
धनलक्ष्मी पेपर मिल में एक मजदूर की मौत
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Published : Sep 23, 2020, 10:36 PM IST

Updated : Sep 23, 2020, 11:03 PM IST

डोंगरगांव: राजनांदगांव मुख्य मार्ग पर स्थित धनलक्ष्मी पेपर मिल में हुए हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार अमलीडीह टोलागांव निवासी त्रिभुवन पटेल नाइट शिफ्ट में काम कर रहा था. तभी मजदूर प्लांट में कन्वेयर बेल्ट की चपेट में आ गया. घटना के बाद साथ में काम कर रहे मजदूर उसे डोंगरगांव अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टर्स की टीम ने उसे मृत घोषित कर दिया.

धनलक्ष्मी पेपर मिल में एक मजदूर की मौत

कर्मचारियों ने बताया कि प्लांट में प्रबंधन की लापरवाही के कारण सुरक्षा के पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं. वहीं प्रबंधन ने देर रात तक घटना की सूचना मृतक के परिजनों को नहीं दी थी, जबकि घटना की जानकारी मिलते ही मजदूरों और युवाओं ने धनलक्ष्मी पेपर मिल के गेट पर जमकर हंगामा किया. पुलिस बल के पहुंचने के बाद मामला शांत हुआ था.

वहीं स्थिति को भांपते हुए मिल प्रबंधन के वरिष्ठ कर्मचारी घटना के दूसरे दिन बुधवार सुबह मृतक के घर अमलीडीह पहुंचे थे. जहां परिजनों और ग्रामवासियों में गुस्सा था. वहीं ग्रामीणों ने मामले को सुलझाने के लिए क्षेत्रीय विधायक को भी बुलाया था, लेकिन वे किसी कारणवश नहीं आ पाए. वहीं घंटों चले समझाइश बैठक के बाद किसी तरह परिजन माने.

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श्रम विभाग की शह पर प्रबंधन की लापरवाही ?

जानकारी के मुताबिक ऐसा कोई वर्ष नहीं जब धनलक्ष्मी पेपर मिल में कोई न कोई गंभीर हादसा या दुर्घटना न हो. इन हादसों में असमय ही मजदूरों की जान जाती है. बीते वर्ष भी टैंक की सफाई के दौरान गैस रिसाव के कारण एक कर्मचारी की मौके पर हो मौत गई थी. जबकि दो मजदूर घायल हो गए थे. इसी प्रकार दीवार गिरने और अन्य घटनाओं में मजदूरों की मौत और घायल होने की खबरें अब आमबात हो गई है.

पुलिस भी मजदूरों के मामले में संवेदनशील नहीं

वहीं पुलिस भी मजदूरों के मामले में संवेदनशील नहीं रही है. वहीं मंगलवार को कार्य के दौरान मशीन की चपेट में आए 19 वर्षीय मजदूर त्रिभुवन दो साल से प्लांट में काम कर रहे थे. लेकिन उसे प्रबंधन और श्रम विभाग ने कोई सुविधा प्रदान नहीं की. प्लांट के अधिकारी ने बताया कि मजदूर का बीमा और ईपीएफ जैसी कोई भी कटौती प्रबंधन ने नहीं की है, जबकि यह सब मजदूरों के हितों के लिए अनिवार्य है.

जानिए नियोजन के नियम

बता दें कि जिस दिन मजदूर अपने कार्य पर उपस्थित होते हैं, उस दिन से ही नियोक्ता अर्थात प्रबंधन की जिम्मेदारी है. प्रबंधन को मजदूर का बीमा कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 के तहत करवाना चाहिए, ताकि मजदूर और उसका परिवार सुरक्षित रह सके. इसी तरह दुर्घटनाओं और मौत के लिए कर्मकार क्षतिपूर्ति अधिनियम के तहत मृतक मजदूर के परिजनों के लिए 10 से 12 लाख रुपये क्षतिपूर्ति दी जाए.

डोंगरगांव: राजनांदगांव मुख्य मार्ग पर स्थित धनलक्ष्मी पेपर मिल में हुए हादसे में एक मजदूर की मौत हो गई. पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार अमलीडीह टोलागांव निवासी त्रिभुवन पटेल नाइट शिफ्ट में काम कर रहा था. तभी मजदूर प्लांट में कन्वेयर बेल्ट की चपेट में आ गया. घटना के बाद साथ में काम कर रहे मजदूर उसे डोंगरगांव अस्पताल ले गए. जहां डॉक्टर्स की टीम ने उसे मृत घोषित कर दिया.

धनलक्ष्मी पेपर मिल में एक मजदूर की मौत

कर्मचारियों ने बताया कि प्लांट में प्रबंधन की लापरवाही के कारण सुरक्षा के पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं. वहीं प्रबंधन ने देर रात तक घटना की सूचना मृतक के परिजनों को नहीं दी थी, जबकि घटना की जानकारी मिलते ही मजदूरों और युवाओं ने धनलक्ष्मी पेपर मिल के गेट पर जमकर हंगामा किया. पुलिस बल के पहुंचने के बाद मामला शांत हुआ था.

वहीं स्थिति को भांपते हुए मिल प्रबंधन के वरिष्ठ कर्मचारी घटना के दूसरे दिन बुधवार सुबह मृतक के घर अमलीडीह पहुंचे थे. जहां परिजनों और ग्रामवासियों में गुस्सा था. वहीं ग्रामीणों ने मामले को सुलझाने के लिए क्षेत्रीय विधायक को भी बुलाया था, लेकिन वे किसी कारणवश नहीं आ पाए. वहीं घंटों चले समझाइश बैठक के बाद किसी तरह परिजन माने.

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श्रम विभाग की शह पर प्रबंधन की लापरवाही ?

जानकारी के मुताबिक ऐसा कोई वर्ष नहीं जब धनलक्ष्मी पेपर मिल में कोई न कोई गंभीर हादसा या दुर्घटना न हो. इन हादसों में असमय ही मजदूरों की जान जाती है. बीते वर्ष भी टैंक की सफाई के दौरान गैस रिसाव के कारण एक कर्मचारी की मौके पर हो मौत गई थी. जबकि दो मजदूर घायल हो गए थे. इसी प्रकार दीवार गिरने और अन्य घटनाओं में मजदूरों की मौत और घायल होने की खबरें अब आमबात हो गई है.

पुलिस भी मजदूरों के मामले में संवेदनशील नहीं

वहीं पुलिस भी मजदूरों के मामले में संवेदनशील नहीं रही है. वहीं मंगलवार को कार्य के दौरान मशीन की चपेट में आए 19 वर्षीय मजदूर त्रिभुवन दो साल से प्लांट में काम कर रहे थे. लेकिन उसे प्रबंधन और श्रम विभाग ने कोई सुविधा प्रदान नहीं की. प्लांट के अधिकारी ने बताया कि मजदूर का बीमा और ईपीएफ जैसी कोई भी कटौती प्रबंधन ने नहीं की है, जबकि यह सब मजदूरों के हितों के लिए अनिवार्य है.

जानिए नियोजन के नियम

बता दें कि जिस दिन मजदूर अपने कार्य पर उपस्थित होते हैं, उस दिन से ही नियोक्ता अर्थात प्रबंधन की जिम्मेदारी है. प्रबंधन को मजदूर का बीमा कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम 1948 के तहत करवाना चाहिए, ताकि मजदूर और उसका परिवार सुरक्षित रह सके. इसी तरह दुर्घटनाओं और मौत के लिए कर्मकार क्षतिपूर्ति अधिनियम के तहत मृतक मजदूर के परिजनों के लिए 10 से 12 लाख रुपये क्षतिपूर्ति दी जाए.

Last Updated : Sep 23, 2020, 11:03 PM IST
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