बलौदाबाजार : छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान एक विवादित मामला सामने आया है. यह मामला आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन को लेकर है, जिसमें दो महिलाओं ने खुद को निर्विरोध सरपंच घोषित कर दिया. इस कदम ने न केवल गांव के लोगों को हैरान किया, बल्कि चुनावी माहौल में प्रशासन को भी चिंता में डाल दिया है.
क्या है पूरा विवाद : बलौदाबाजार जिले के सोनाखान तहसील क्षेत्र के ग्राम छाता में सरपंच पद के चुनाव के दौरान विवाद खड़ा हो गया है. उमा नायक और सोहोद्रा बाई नायक नामक दो महिला सरपंच प्रत्याशियों ने एक अप्रत्याशित कदम उठाया. इन दोनों प्रत्याशियों ने एक समिति बनाई और उसमें कुल 31.99 लाख रुपये जमा किए. जिसके बाद उन्होंने खुद को निर्विरोध सरपंच घोषित कर दिया और सोशल मीडिया पर इसका प्रसार भी कर दिया.
महिलाओं के इस कदम से गांववाले हैरान : पंचायत चुनाव के बीच दो महिलाओं ने खुद के निर्विरोध सरपंच बनने का दावा करते हुए ग्रामीणों को बताया कि उन्हें कोई चुनौती नहीं दी गई. इस तरह वे निर्विरोध रूप से सरपंच पद पर आसीन हो गईं. इसके बाद दोनों महिलाओं ने अपनी समिति बनाई और उसमें अपार धनराशि जमा की, जो उनके चुनाव प्रचार के लिए थी. यह कदम न केवल गांववालों के लिए हैरान करने वाला था, बल्कि यह आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन है.
हम यहां आचार संहिता के उल्लंघन के मामले को लेकर आए हैं. आश्रित ग्राम निठोरा में सरपंच पति परमानंद और सोहोद्रा बाई के पुत्र ने गांववालों 31 लाख 99 हजार रूपए देकर सरपंच निर्विरोध बनाना चाह रहा था. उन लोगों ने एक समिति बनाकर 1 तारीख को 31 लाख 99 हजार जमा कर आदर्श आचार संहिता का उल्लघन किया है. इसके खिलाफ हम लोग यहां आवेदन प्रस्तुत किए हैं : सेत कुमार कैवर्त, शिकायतकर्ता
जिला निर्वाचन आधिकारी से की शिकायत : आचार संहिता लगने के बाद ग्राम पंचायत छाता के आश्रित ग्राम निठोरा में एक सरपंच कैंडिडेट के पति और दूसरे सरपंच कैंडिडेट के पति है. परमानंद नायक ने ग्रामवासियों को भ्रमित करने की कोशिश किया है कि मैं निर्विरोध चुनाव जीच चुका हूं. उसने गांववालों से कहा कि वह ग्राम विकास फंड में 31 लाख 99 हजार रुपये जमा कर रहा हूं. यह कहकर उसने फौरन समिति बनवाई और पैसा जमा किया.
यह आचार संहिता का उल्लंघन इसलिए है, क्योंकि जब आचार संहिता लागू होती है तो किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं की जा सकती, कोई प्रलोभन नहीं दे सकता. अभी हमने जिला निर्वाचन अधिकारी को शिकायत किया है. उन्होने हमें आवश्यक कार्रवाई करने का भरोसा दिया है. प्रशासन से सही कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट जाएंगे : योगेन्द्र धृतलहरे, अधिवक्ता
ग्रामवासियों की प्रतिक्रिया : ग्राम छाता के लोग इस घटना क्रम से अचंभित हैं. कुछ ग्रामीणों ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का उल्लंघन माना है, जबकि कुछ ने इसे महिलाओं की सक्रिय भागीदारी के रूप में देखा. हालांकि, अधिकांश लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यह मामला पंचायत चुनाव में निष्पक्षता और पारदर्शिता को प्रभावित कर सकता है.
क्या यह आचार संहिता का उल्लंघन : चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक, पंचायत चुनाव के दौरान कोई भी उम्मीदवार या समूह किसी भी प्रकार के गलत प्रचार या राजनीतिक लाभ के लिए धनराशि का संकलन नहीं कर सकते. यह आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है. यह कार्रवाई चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है. दोनों महिलाओं ने इस उल्लंघन को सार्वजनिक रूप से किया, जो प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
प्रशासन ने जांच के लिए गठित की टीम : इस घटना के बाद प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है. बलौदाबाजार जिला प्रशासन ने इस संबंध में एक टीम गठित की है, जो मामले की गहनता से जांच करेगी. इसके साथ ही चुनावी माहौल को शांतिपूर्वक बनाए रखने के लिए प्रशासन ने कड़े कदम उठाने की योजना बनाई है. चुनाव आयोग की टीम भी इसकी फौरन जांच करने के लिए सक्रिय हो गई है. यदि यह नियमों का उल्लंघन पाया गया, तो दोषी महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है.
गांववालों ने परमानंद नायक के नाम पर एक शिकायत दर्ज कराई है कि उन्होंने कुछ खाता खुलवाया है. इस संबंध में विस्तृत जांच के लिए रिचर्निंग ऑफिसर को प्रेषित किया जा रहा है. हम इसकी जांच कराएंगे. फिर जैसी रिपोर्ट आएगी, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी : अतुल शेते, उप जिला निर्वाचन अधिकारी, बलौदाबाजार
आगे क्या होगा? : अब सवाल यह है कि इस मामले की जांच के बाद प्रशासन किस प्रकार की कार्रवाई करेगा. क्या यह मामला पूरी पंचायत चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करेगा? और क्या इस तरह के विवादों के चलते निर्वाचन आयोग को कुछ और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है? इन सवालों के जवाब प्रशासन की आगामी जांच के परिणामों पर निर्भर करेंगे.