खैरागढ़/राजनांदगांव: कला और संगीत के क्षेत्र खैरागढ़ में स्थित इंदिरा संगीत और कला विश्वविद्यालय की दुनियाभर में एक अलग पहचान हैं. देश के अलावा विदेश के भी कई छात्र यहां पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन इन दिनों कोरोना वायरस की वजह से इस वक्त विश्व सहमा हुआ है. देश-दुनिया के सभी स्कूल-कॉलेज को बंद कर दिया गया है. सिर्फ कोरोना से जंग जीतने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
लेकिन खैरागढ़ के इंदिरा संगीत और कला विश्वविद्यालय में ऐसी परिस्थिति के बावजूद यहां के सुर-ताल थमे नहीं है. निरंतर वाद्ययंत्रों की धुन से पूरा कॉलेज अभी भी गूंज रह हैं. वर्तमान में खैरागढ़ विश्वविद्यालय में श्रीलंका और मॉरिशस के 38 स्टूडेंट हैं. ये छात्र अलग-अलग विधाओं में महारत हासिल कर रहे हैं. इनमें से कुछ छात्र तबला, वाइलिन और सितार जैसे वाद्ययंत्र के गुर सीख रहे हैं. तो कई छात्र नृत्य और चित्रकारी की बारीकियां सीख रहे हैं.
सरगम से गूंज उठता है कैंपस
जब ETV BHARAT ने विश्वविद्यालय प्रबंधन से इन छात्रों की संगीत साधना के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ये सब छात्र सरगम के सारथी हैं. इसलिए ये धुन में रमे हुए हैं.लॉकडाउन के चलते भले ही क्लास नहीं चल रहे, लेकिन ये विदेशी छात्र सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए रियाज कर रहे हैं विश्वविद्यालय बंद होने के चलते कैंपस में चहल-पहल कम ही दिखाई देती है. लेकिन रियाज के दौरान निकलने वाली इन स्वर लहरियों से समा संगीतमय हो जाता है.
सकारात्मक ऊर्जा का संचार
कोई तबले पर थाप दे रहा है तो कोई सितार की तारों को छेड़ रहा है, कोई विभिन्न नृत्य शैली पर थिरक कर इस लॉकडाउन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर रहे हैं. वहीं विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से इन छात्रों का खास ख्याल रखा जा रहा है. इस दौरान छात्र यहां योगा और बैडमिंटन जैसी फिजिकल एक्टिविटिस भी कर रहे हैं. वर्तमान समय में परिस्थिति विकट जरूर है. लेकिन इस कोरोना काल में संगीत का साथ मिले तो कोरोना के खिलाफ जंग में ऊर्जा मिलती है.