राजनांदगांव: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण ने शहर का व्यापार पूरी तरीके से चौपट कर दिया है. संक्रमण के बढ़ते दायरे के चलते शहर में कई बार लॉकडाउन किया जा चुका है. जिसका असर व्यापारियों पर पड़ा है. किसी तरह के आय का साधन नहीं होने से व्यापारी अब अपने लाइसेंस का रिन्युअल कराने से भी पीछे हट रहे हैं. जिसकी वजह से राजनांदगांव नगर निगम के राजस्व में कमी आई है.
शहर के व्यापारियों की मानें तो कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से शहर में किए गए लॉकडाउन के कारण व्यापार को काफी नुकसान पहुंचा है. व्यापारियों का मानना है कि वह करीब 2 साल तक इस नुकसान की भरपाई नहीं कर पाएंगे. शहर में कोरोना वायरस के संक्रमण का दायरा फैलने के साथ ही करीब 5 बार लॉकडाउन किया गया. इस लॉकडाउन में 2 टोटल लॉकडाउन भी शामिल रहे. इसके चलते व्यापारियों को व्यावसायिक रूप से काफी नुकसान उठाना पड़ा. टोटल लॉकडाउन में दुकानें पूरी तरह से बंद रहीं, जिसके कारण स्टॉक जाम हो गया और दूसरी तरफ दुकानों का किराया, बिजली बिल और कर्मचारियों को वेतन देने के कारण उन पर आर्थिक भार भी पड़ा.
70 प्रतिशत व्यापार ठप
शहर के कपड़ा, ज्वेलरी और फुटकर व्यापारियों को कोरोना काल में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है. इसके पीछे कारण यह है कि शहर में टोटल लॉकडाउन सबसे ज्यादा किया गया. जिसमें दुकानें बंद रहीं. व्यापारियों का कहना है कि शहर का 70 प्रतिशत व्यापार चरमरा गया है. कई ऐसे व्यापारी हैं, जिन्होंने अपना कारोबार पूरी तरह से बंद कर दिया है. मार्च महीने के बाद से कई व्यापारियों का कारोबार ठप है. इनमें डीजे, किराया भंडार, कैटरिंग, रेस्टोरेंट्स जैसे व्यापार करने वाले शामिल हैं.
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फैक्ट फाइल
- शहर में करीब 1 हजार 355 व्यापारियों के पास गुमास्ता लाइसेंस
- इनमें से केवल 35% व्यापारियों ने ही रिन्यू कराया लाइसेंस
- 65% व्यापारी अब भी लाइसेंस रिन्यू करने में नहीं ले रहे रुचि
- नगर निगम को हर लाइसेंस में 150 रुपये मिलता है राजस्व
- राजस्व विभाग को अब तक सिर्फ 15 हजार रुपये का मिला राजस्व
केवल 35 प्रतिशत लाइसेंस का रिन्युअल
शहर में व्यापार के लिए नगर निगम से व्यापारियों को गुमास्ता लाइसेंस दिया जाता है. नगर निगम ने शहर में अब तक 1 हजार 355 व्यापारियों को लाइसेंस दिया गया है. इनमें ऑनलाइन बैंकिंग के जरिए अब तक 35 प्रतिशत व्यापारियों ने ही लाइसेंस का रिन्युअल कराया है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाकी बचे 65 प्रतिशत व्यापारी लाइसेंस रिन्युअल कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं या फिर उनके व्यापार बंद होने के कगार पर आ चुके हैं.