राजनांदगांव: जिले के डोंगरगांव में कई महीनों से नाबालिग बच्चे राहगीरों से भीख मांगने का धंधा कर रहे हैं. इन बच्चों में पांच से दस साल के लडके और लड़कियां शामिल हैं और इनका पूरा रैकेट शहर में लंबे समय से सक्रिय है. इसके बावजूद स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक बनकर बैठा है.
नगर पंचायत से लेकर महिला बाल विकास विभाग तक को इन बच्चों के भीख मांगने के विषय में जानकारी है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
हाथ-पैर पकड़कर मांगते हैं भीख
शहर के भीड़-भाड़ वाले इलाके जैसे पुराना बस स्टैंड, श्रीराम द्वार, सब्जी बाजार सहित कई स्थलों पर बच्चे राहगीरों से पैसे मांगते हैं. कई बार तो ये बिना मास्क लगाए राहगीरों के पैर तक पकड़ लेते हैं. इसके साथ ही वो राहगीरों तब तक परेशान करते हैं, जब तक उन्हें कुछ मिल नहीं जाता. कोरोना काल में बार-बार शरीर को हाथ लगाकर भीख मांगने वाले बच्चों से मजबूर राहगीर रुपये देकर अपना पीछा छुड़ाते हैं.
कम्यूनिटी स्प्रेड होने की संभावना
राहगीर अनेक शहरों से होकर डोंगरगांव शहर में पहुंचते हैं और इन बच्चों के माध्यम से कोरोना का कम्यूनिटी स्प्रेड होने की संभावना है. इन इस समूह में लगभग एक दर्जन से अधिक बच्चे शामिल हैं, जो पूरी योजना के तहत भीख मांगने का काम कर रहे हैं. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर भी किया जा रहा हो, लेकिन स्थानीय प्रशासन और पुलिस अभी तक इन बच्चों को भीख मांगने से नहीं रोक पाई है और ना ही इनके पालकों को समझाइश दी गई है.
बच्चों के भिक्षावृत्ति पर लगाई जाएगी रोक
इस मामले में SDM वीरेंद्र सिंह ने बताया कि महिला एवं बाल विकास परियोजना अधिकारी से चर्चा हुई है. जिले की टीम की ओर से काउंसलिंग करवाने की व्यवस्था की जाएगी और बच्चों के भीख मांगने पर रोक लगाई जाएगी.
किस तरह से पहुंचाई जाएगी मदद
अब देखना यह होगा की कोरोना काल में बीते 1-2 महीनों से जान जोखिम में डाल कर भीख मांगने वाले बच्चों को प्रशासन कब तक काबू कर पाती और प्रशासन इन बच्चों को किस तरह की मदद पहुंचती है.