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खैरागढ़: जिस विश्वविद्यालय में ली थी संगीत की शिक्षा, अब वहीं की कुलपति बनीं ममता चंद्राकर

छत्तीसगढ़ की स्वर कोकिला पद्मश्री ममता चंद्राकर (मोक्षदा) ने खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्विद्यालय में बतौर कुलपति पदभार ग्रहण कर लिया है. उन्होंने कहा कि अब विश्विद्यालय के हर छात्र को कलाकार बनाना ही उनका लक्ष्य है.

mamta chandrakar
ममता चंद्राकर
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Published : Jul 25, 2020, 9:54 AM IST

Updated : Jul 25, 2020, 3:49 PM IST

खैरागढ़/राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर (मोक्षदा) ने शुक्रवार को बतौर कुलपति इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में पदभार ग्रहण कर लिया है. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से ही संगीत की शिक्षा लेने वाली ममता चंद्राकर वहीं की कुलपति बनी हैं. उन्होंने साल 1977-1981 में खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है. ममता ने पांच साल तक हॉस्टल में रहकर संगीत की शिक्षा ली. शुक्रवार को पदभार ग्रहण करने खैरागढ़ पहुंची कुलपति ममता चंद्राकर मीडिया से मुखातिब हुईं. इस दौरान उन्होंने अपने विचार साझा किए.

ममता चंद्राकर बनी कुलपति

उन्होंने कहा कि अब उनका लक्ष्य सिर्फ विश्वविद्यालय को नई ऊंचाई देने का है और इसके लिए वह हर संभव काम करेंगी. उन्होंने कहा कि अब संगीत की शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि कलाकारों को स्थापित करने की दिशा में भी ध्यान दिया जाएगा. इससे नई पीढ़ी का रुझान संगीत की ओर बढ़ेगा.

पढ़ें: SPECIAL: बहनों के लिए मददगार बना डाक विभाग, रक्षा बंधन पर सूनी नहीं रहेगी भाइयों की कलाइयां

हर छात्र बनेगा कलाकार

कुलपति ममता चंद्रकार ने कहा कि विश्विद्यालय में पढ़ने वाले हर छात्र को कलाकार बनाकर निकालना उनकी पहली प्राथमिकता होगी. उन्होंने कहा कि वे संगीत विश्विद्यालय में प्रवेश लेने वाले हर छात्र को कलाकार के रूप में देखना चाहती हैं. ममता चंद्राकर ने कहा कि छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए अपने अनुभव का पूरी तरह दोहन करेंगी और छात्रों को संगीत की शिक्षा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी.

पढ़ें: नागपंचमी SPECIAL: ये है छत्तीसगढ़ का नागलोक, यहां है खतरनाक और जहरीले सांपों का बसेरा



युवाओं के लिए तैयार होगा मंच
खैरागढ़ का इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया का पहला विश्वविद्यालय है, जो संगीत एवं कला को समर्पित है, लेकिन यहां के छात्र बड़े मंच तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. कुलपति ममता चंद्रकार का कहना है युवाओं की प्रतिभा को नई पहचान देने के लिए विश्वविद्यालय में अब तक सही तरीके से काम नहीं किया है. उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि विश्वविद्यालय में युवाओं के लिए ऐसा मंच तैयार किया जाए, जिससे उनकी प्रतिभा देशभर में पहुंच सके.

mamta chandrakar
ममता चंद्राकर

पढ़ें: अबूझमाड़ को मलेरिया मुक्त करने का संकल्प, नदी पार कर गांव में पहुंचे स्वास्थ्यकर्मी

अनुभव आधारित होगा काम
ममता चंद्राकर ने कहा कि संगीत विश्वविद्यालय में अपने अब तक के लोक संगीत के अनुभव के आधार पर वह काम करेंगी, और अपने संगीत सीखने के दौरान उन्हें जो समस्याएं हुई हैं, वो इस दौरा के युवाओं को ना हो ऐसा प्रयास करेंगी. उन्होंने कहा कि संगीत विश्वविद्यालय में छात्रों के हित में बदलाव होंगे, ताकि उन्हें पढ़ने व अपनी कला को निखारने में कोई समस्या न हो.

खैरागढ़/राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर (मोक्षदा) ने शुक्रवार को बतौर कुलपति इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में पदभार ग्रहण कर लिया है. इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से ही संगीत की शिक्षा लेने वाली ममता चंद्राकर वहीं की कुलपति बनी हैं. उन्होंने साल 1977-1981 में खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है. ममता ने पांच साल तक हॉस्टल में रहकर संगीत की शिक्षा ली. शुक्रवार को पदभार ग्रहण करने खैरागढ़ पहुंची कुलपति ममता चंद्राकर मीडिया से मुखातिब हुईं. इस दौरान उन्होंने अपने विचार साझा किए.

ममता चंद्राकर बनी कुलपति

उन्होंने कहा कि अब उनका लक्ष्य सिर्फ विश्वविद्यालय को नई ऊंचाई देने का है और इसके लिए वह हर संभव काम करेंगी. उन्होंने कहा कि अब संगीत की शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि कलाकारों को स्थापित करने की दिशा में भी ध्यान दिया जाएगा. इससे नई पीढ़ी का रुझान संगीत की ओर बढ़ेगा.

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हर छात्र बनेगा कलाकार

कुलपति ममता चंद्रकार ने कहा कि विश्विद्यालय में पढ़ने वाले हर छात्र को कलाकार बनाकर निकालना उनकी पहली प्राथमिकता होगी. उन्होंने कहा कि वे संगीत विश्विद्यालय में प्रवेश लेने वाले हर छात्र को कलाकार के रूप में देखना चाहती हैं. ममता चंद्राकर ने कहा कि छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए अपने अनुभव का पूरी तरह दोहन करेंगी और छात्रों को संगीत की शिक्षा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी.

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युवाओं के लिए तैयार होगा मंच
खैरागढ़ का इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय एशिया का पहला विश्वविद्यालय है, जो संगीत एवं कला को समर्पित है, लेकिन यहां के छात्र बड़े मंच तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. कुलपति ममता चंद्रकार का कहना है युवाओं की प्रतिभा को नई पहचान देने के लिए विश्वविद्यालय में अब तक सही तरीके से काम नहीं किया है. उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास रहेगा कि विश्वविद्यालय में युवाओं के लिए ऐसा मंच तैयार किया जाए, जिससे उनकी प्रतिभा देशभर में पहुंच सके.

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ममता चंद्राकर

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अनुभव आधारित होगा काम
ममता चंद्राकर ने कहा कि संगीत विश्वविद्यालय में अपने अब तक के लोक संगीत के अनुभव के आधार पर वह काम करेंगी, और अपने संगीत सीखने के दौरान उन्हें जो समस्याएं हुई हैं, वो इस दौरा के युवाओं को ना हो ऐसा प्रयास करेंगी. उन्होंने कहा कि संगीत विश्वविद्यालय में छात्रों के हित में बदलाव होंगे, ताकि उन्हें पढ़ने व अपनी कला को निखारने में कोई समस्या न हो.

Last Updated : Jul 25, 2020, 3:49 PM IST
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