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एक महीने में दूसरे घोड़े में फैली ये खतरनाक बीमारी, मारने के आदेश जारी

घोड़ों में पाई जाने वाली संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स का दुसरा मामला सामने आया है.

घोड़ों में पाई जाने वाली संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स का दुसरा मामला सामने आया है.
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Published : Jul 27, 2019, 12:05 AM IST

राजनांदगांव : जिले में ग्लैंडर्स नामक खतरनाक बीमारी के संक्रमण का दूसरा मामला सामने आया है. इस बार बसंतपुर निवासी सुल्तान खान की घोड़ी पर ग्लैंडर्स के संक्रमण, पॉजिटिव पाए गए हैं.

घोड़ों में पाई जाने वाली संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स का दुसरा मामला सामने आया है.
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र ने इसकी पुष्टि करते हुए पशु चिकित्सा विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है. इसके साथ ही राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला ने घोड़ी को तीन दिन के भीतर विनष्टीकरण करने के आदेश जारी कर दिए हैं.

ये था पहला मामला
शहर के ठेठवार पारा में रहने वाले रफीक खान की घोड़ी में ग्लैंडर्स बीमारी का संक्रमण पाया गया था. इसकी पुष्टि होने के बाद राज्य शासन ने घोड़ी को बेहोशी का हेवी डोज देकर मारने का आदेश दिया था.

इंसानों में भी फैल सकती है बीमारी
जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर इलाज करते हैं उनको संक्रमण का खतरा बना रहता है. इंसानों में इस बीमारी से मांसपेशियों में दर्द और अकड़न, छाती में दर्द, सिर दर्द और नाक से पानी निकलना यह सारे लक्षण दिखाई देते हैं.
विशेषज्ञों की मानें तो यह रोग बलकोलडेरिया बैक्टीरिया से होता है. यह जेनिटिक रोगों की श्रेणी में आता है और घोड़ों के अलावा दूसरे स्तनधारी पशुओं और इंसानों में भी हो सकता है. संक्रमण से फैलने वाली ये बीमारी खाल के एक घाव, नाक और मुयुकोसल सरफेस और सांस से होती है. बताया जा रहा है कि, घोड़ों में ये बीमारी लाइलाज होती है और इसके बचाव के लिए अब तक कोई टीका मौजूद नहीं है. इस वजह से जांच में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद एनेस्थीसिया देकर घोड़े को मार दिया जाता है.

पता चले तो ऐसे करें बचाव
यदि किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाएं, तो उसे आबादी से अलग बांधा जाए और उसके परिवहन पर रोक लगा दी जाए. इसके साथ संबंधित जगह पर डिसइन्फेक्शन कराया जाए. खासकर बच्चों को ग्लैंडर्स रोग से संक्रमित घोड़ों से दूर ही रखा जाए.

पुलिस की मदद से लिए सैंपल
ग्लैंडर्स नामक खतरनाक बीमारी से संक्रमित होने के बावजूद घोड़ी के मालिक सुल्तान खान ने घोड़ी का सैंपल देने से इंकार कर दिया था. सैंपल लेने के लिए विभाग को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी.
मामले में बसंतपुर पुलिस की मदद लेने के बाद घोड़ी का सैंपल लिया गया जिसे, रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भेजा गया. जांच के बाद सैंपल पॉजिटिव पाया गया है.

अटल आवास में रखी संक्रमित घोड़ी
ग्लैंडर्स संक्रमण की शिकार घोड़ी के मालिक सुल्तान खान ने बड़ी ही चालाकी से संक्रमण के खतरे को नजरअंदाज करते हुए, उसे अटल आवास के 13 नंबर ब्लॉक के एक कमरे में रखा था.

राजनांदगांव : जिले में ग्लैंडर्स नामक खतरनाक बीमारी के संक्रमण का दूसरा मामला सामने आया है. इस बार बसंतपुर निवासी सुल्तान खान की घोड़ी पर ग्लैंडर्स के संक्रमण, पॉजिटिव पाए गए हैं.

घोड़ों में पाई जाने वाली संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स का दुसरा मामला सामने आया है.
राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र ने इसकी पुष्टि करते हुए पशु चिकित्सा विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है. इसके साथ ही राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला ने घोड़ी को तीन दिन के भीतर विनष्टीकरण करने के आदेश जारी कर दिए हैं.

ये था पहला मामला
शहर के ठेठवार पारा में रहने वाले रफीक खान की घोड़ी में ग्लैंडर्स बीमारी का संक्रमण पाया गया था. इसकी पुष्टि होने के बाद राज्य शासन ने घोड़ी को बेहोशी का हेवी डोज देकर मारने का आदेश दिया था.

इंसानों में भी फैल सकती है बीमारी
जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर इलाज करते हैं उनको संक्रमण का खतरा बना रहता है. इंसानों में इस बीमारी से मांसपेशियों में दर्द और अकड़न, छाती में दर्द, सिर दर्द और नाक से पानी निकलना यह सारे लक्षण दिखाई देते हैं.
विशेषज्ञों की मानें तो यह रोग बलकोलडेरिया बैक्टीरिया से होता है. यह जेनिटिक रोगों की श्रेणी में आता है और घोड़ों के अलावा दूसरे स्तनधारी पशुओं और इंसानों में भी हो सकता है. संक्रमण से फैलने वाली ये बीमारी खाल के एक घाव, नाक और मुयुकोसल सरफेस और सांस से होती है. बताया जा रहा है कि, घोड़ों में ये बीमारी लाइलाज होती है और इसके बचाव के लिए अब तक कोई टीका मौजूद नहीं है. इस वजह से जांच में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद एनेस्थीसिया देकर घोड़े को मार दिया जाता है.

पता चले तो ऐसे करें बचाव
यदि किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाएं, तो उसे आबादी से अलग बांधा जाए और उसके परिवहन पर रोक लगा दी जाए. इसके साथ संबंधित जगह पर डिसइन्फेक्शन कराया जाए. खासकर बच्चों को ग्लैंडर्स रोग से संक्रमित घोड़ों से दूर ही रखा जाए.

पुलिस की मदद से लिए सैंपल
ग्लैंडर्स नामक खतरनाक बीमारी से संक्रमित होने के बावजूद घोड़ी के मालिक सुल्तान खान ने घोड़ी का सैंपल देने से इंकार कर दिया था. सैंपल लेने के लिए विभाग को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी.
मामले में बसंतपुर पुलिस की मदद लेने के बाद घोड़ी का सैंपल लिया गया जिसे, रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भेजा गया. जांच के बाद सैंपल पॉजिटिव पाया गया है.

अटल आवास में रखी संक्रमित घोड़ी
ग्लैंडर्स संक्रमण की शिकार घोड़ी के मालिक सुल्तान खान ने बड़ी ही चालाकी से संक्रमण के खतरे को नजरअंदाज करते हुए, उसे अटल आवास के 13 नंबर ब्लॉक के एक कमरे में रखा था.

Intro:राजनांदगांव जिले में ग्लैंडर्स नामक खतरनाक बीमारी के संक्रमण का दूसरा मामला सामने आया है बसंतपुर निवासी सुल्तान खान की घोड़ी रानी पर इस बार ग्लैंडर्स के संक्रमण पॉजिटिव पाए गए हैं राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र ने इसकी पुष्टि करते हुए पशु चिकित्सा विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है. इसके साथ ही राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला ने घोड़ी को तीन दिवस के भीतर विनष्टीकरन करने के आदेश जारी कर दिए हैं।


Body:बता दें कि राजनांदगांव शहर के ठेठवार पारा स्थित रफीक खान की घोड़ी में ग्लैंडर्स नमक संक्रमण पाया गया था इसकी पुष्टि होने के बाद घोड़ी को बेहोशी का हेवी डोज देकर मारने के लिए राज्य शासन ने आदेश दिया था इसके बाद यह दूसरा मामला है जब बसंतपुर निवासी सुल्तान खान की घोड़ी रानी में या संक्रमण पॉजिटिव पाया गया है।
मनुष्यों में भी फैल सकती है बीमारी
घोड़ा से मनुष्य में या बीमारियां आसानी से पहुंच जाती है जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर इलाज करते हैं उनको खाल नाक मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है मनुष्य में इस बीमारी से मांसपेशियों में दर्द छाती में दर्द मांसपेशियों के अकड़न सिर दर्द और नाक से पानी निकलना यह सारे लक्षण दिखाई देते हैं विशेषज्ञों की मानें तो यह रोग बलकोलडेरिया बैक्टीरिया द्वारा होता है यह जेनिटिक रोगों की श्रेणी में आता है या घोड़ों के अलावा अन्य स्तनधारी पशुओं और मनुष्यों में भी हो सकता है यह बीमारी एक संक्रमण के तौर पर फैलती है या खाल की एक घाव नाक और मुयुकोसल सरफेस व सांस के द्वारा होता है. बताया जा रहा है कि घोड़ों में या बीमारी लाइलाज होती है इसके बचाव के लिए अब तक कोई टीका मौजूद नहीं है इस कारण जांच में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद यूथिनिसिया देकर घोड़े को मौत दी जाती है.
पता चले तो ऐसे करें बचाव
यदि किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाते हैं तो उसे आबादी से अलग बांधा जाए और उसके परिवहन पर रोक लगा दी जाए संबंधित जगह पर डिसइन्फेक्शन कराया जाए. बच्चों को खासकर ग्लैंडर्स रोग से संक्रमित घोड़ों से दूर ही रखा जाए.
पुलिस की सुरक्षा में लिए गए सैंपल
ग्लैंडर्स नामक खतरनाक बीमारी के संक्रमण में आने के बावजूद घोड़ी के मालिक सुल्तान खान घोड़ी का सैंपल देने से इंकार कर रहे थे इस बीच विभाग को काफी जद्दोजहद करनी पड़ी मामले में बसंतपुर पुलिस की मदद लेने के बाद घोड़ी का सैंपल लिया गया जिसे राज्य स्थित रोग अन्वेषण प्रयोगशाला भेजा गया जांच के बाद सैंपल पॉजिटिव पाया गया है।
अटल आवास में रखी है संक्रमित घोड़ी
ग्लैंडर्स संक्रमण की शिकार घोड़ी रानी को बड़ी ही चालाकी से मालिक सुल्तान खान ने अटल आवास के एक कमरे में रख दिया है जबकि यह एक रिहायशी इलाका है बावजूद संक्रमण के खतरे को नजरअंदाज करते हुए घोड़ी मालिक ने इसे अटल आवास के 13 नंबर ब्लॉक के एक कमरे में रखा है।


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