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राजनांदगांव में इस खतरनाक बीमारी की दस्तक, राज्य शासन ने जारी किया हाई अलर्ट

जिले में घोड़ों में पाए जाने वाले खतरनाक संक्रमण ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद अब राजनांदगांव में घोड़ों को लेकर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है.

राजनांदगांव में खतरनाक बीमारी की दस्तक
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Published : Jun 28, 2019, 5:11 PM IST

Updated : Jun 28, 2019, 5:17 PM IST

राजनांदगांव: जिले में एक घोड़ी में खतरनाक संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स के लक्षण पाए जाने के बाद जिले में दहशत का माहौल है. घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि के बाद राज्य शासन हरकत में आई. इसे लेकर जिले में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. राज्य शासन ने पशु चिकित्सा विभाग को नोटिफिकेशन जारी किया है कि आने वाले 6 महीने तक घोड़ों के सैंपल लेकर जांच की जाए.

राजनांदगांव में खतरनाक बीमारी की दस्तक

बता दें कि शहर के ठेठवार पारा स्थित रफीक खान की घोड़ी में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिले. इसकी पुष्टि होने के बाद घोड़ी को मौत देने को लेकर राज्य शासन ने आदेश दिया था, लेकिन अब जनहित को देखते हुए लोगों में इसका संक्रमण न फैले इस बात को लेकर राज्य शासन ने विभाग को हाई अलर्ट में रहने का आदेश दिया है. इसके तहत जिले के सभी अश्व प्रजापति के जानवरों के सिरम लेकर लगातार 6 महीने तक जांच करवाने होंगे, जिससे जानवरों में होने वाले संक्रमण को समय रहते रोका जा सके.

पढ़ें: राजनांदगांव: 25 किलोमीटर दूर से इलाज कराने आए मरीज, नहीं मिले डॉक्टर

मनुष्यों में भी फैल सकती है बीमारी
बताते हैं घोड़ों से बीमारियां मनुष्य में आसानी से पहुंच जाती है, जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर इलाज करते हैं. उनको खाल, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है.

बीमारी के लक्षण:-

  • मनुष्य में इस बीमारी से मांसपेशियों में दर्द
  • छाती में दर्द, मांसपेशियों के अकड़
  • सिर दर्द और नाक से पानी निकलना

विशेषज्ञों की मानें तो यह रोग बलकोलडेरिया बैक्टीरिया द्वारा होता है. यह जेनिटिक रोगों की श्रेणी में आता है. घोड़ों के अलावा अन्य स्तनधारी पशुओं और मनुष्यों में भी ये हो सकता है. यह बीमारी एक संक्रमण के तौर पर फैलती है. घोड़ों में ये बीमारी लाइलाज होती है. इसके बचाव के लिए अब तक कोई टीका मौजूद नहीं है. इस कारण जांच में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद यूथिनिसिया देकर घोड़े को मौत दी जाती है.

ऐसे करें बचाव:-
किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाते है तो.

  • उसे आबादी से अलग बांधा जाए.
  • उसके परिवहन पर रोक लगा दी जाए.
  • संबंधित जगह पर डिसइन्फेक्शन कराया जाए.
  • बच्चों को खासकर ग्लैंडर्स रोग से संक्रमित घोड़ों से दूर ही रखा जाए.

अलर्ट जारी किया गया
मामले में पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक आरके सोनवानी का कहना है कि राजनांदगांव शहर की एक घोड़ी में ग्लैंडर्स के लक्षण पाए गए थे. उसे विभाग ने यूथिनिसिया का इंजेक्शन देकर नष्ट कर दिया है. यह बीमारी मनुष्य में भी फैल सकती है, इसलिए शासन स्तर से उन्हें नोटिफिकेशन मिला है. ग्लैंडर्स बीमारी को लेकर विभाग ग्लैंडर्स फॉर फारसी एक्ट के तहत कार्रवाई करता है. इसके तहत सभी अश्व प्रजाति के जानवरों को 6 माह तक जिले से बाहर रखा जाएगा. इसके साथ ही उनके सिरम की लगातार जांच भी की जाएगी.

राजनांदगांव: जिले में एक घोड़ी में खतरनाक संक्रामक बीमारी ग्लैंडर्स के लक्षण पाए जाने के बाद जिले में दहशत का माहौल है. घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि के बाद राज्य शासन हरकत में आई. इसे लेकर जिले में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. राज्य शासन ने पशु चिकित्सा विभाग को नोटिफिकेशन जारी किया है कि आने वाले 6 महीने तक घोड़ों के सैंपल लेकर जांच की जाए.

राजनांदगांव में खतरनाक बीमारी की दस्तक

बता दें कि शहर के ठेठवार पारा स्थित रफीक खान की घोड़ी में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण मिले. इसकी पुष्टि होने के बाद घोड़ी को मौत देने को लेकर राज्य शासन ने आदेश दिया था, लेकिन अब जनहित को देखते हुए लोगों में इसका संक्रमण न फैले इस बात को लेकर राज्य शासन ने विभाग को हाई अलर्ट में रहने का आदेश दिया है. इसके तहत जिले के सभी अश्व प्रजापति के जानवरों के सिरम लेकर लगातार 6 महीने तक जांच करवाने होंगे, जिससे जानवरों में होने वाले संक्रमण को समय रहते रोका जा सके.

पढ़ें: राजनांदगांव: 25 किलोमीटर दूर से इलाज कराने आए मरीज, नहीं मिले डॉक्टर

मनुष्यों में भी फैल सकती है बीमारी
बताते हैं घोड़ों से बीमारियां मनुष्य में आसानी से पहुंच जाती है, जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर इलाज करते हैं. उनको खाल, नाक, मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है.

बीमारी के लक्षण:-

  • मनुष्य में इस बीमारी से मांसपेशियों में दर्द
  • छाती में दर्द, मांसपेशियों के अकड़
  • सिर दर्द और नाक से पानी निकलना

विशेषज्ञों की मानें तो यह रोग बलकोलडेरिया बैक्टीरिया द्वारा होता है. यह जेनिटिक रोगों की श्रेणी में आता है. घोड़ों के अलावा अन्य स्तनधारी पशुओं और मनुष्यों में भी ये हो सकता है. यह बीमारी एक संक्रमण के तौर पर फैलती है. घोड़ों में ये बीमारी लाइलाज होती है. इसके बचाव के लिए अब तक कोई टीका मौजूद नहीं है. इस कारण जांच में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद यूथिनिसिया देकर घोड़े को मौत दी जाती है.

ऐसे करें बचाव:-
किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाते है तो.

  • उसे आबादी से अलग बांधा जाए.
  • उसके परिवहन पर रोक लगा दी जाए.
  • संबंधित जगह पर डिसइन्फेक्शन कराया जाए.
  • बच्चों को खासकर ग्लैंडर्स रोग से संक्रमित घोड़ों से दूर ही रखा जाए.

अलर्ट जारी किया गया
मामले में पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक आरके सोनवानी का कहना है कि राजनांदगांव शहर की एक घोड़ी में ग्लैंडर्स के लक्षण पाए गए थे. उसे विभाग ने यूथिनिसिया का इंजेक्शन देकर नष्ट कर दिया है. यह बीमारी मनुष्य में भी फैल सकती है, इसलिए शासन स्तर से उन्हें नोटिफिकेशन मिला है. ग्लैंडर्स बीमारी को लेकर विभाग ग्लैंडर्स फॉर फारसी एक्ट के तहत कार्रवाई करता है. इसके तहत सभी अश्व प्रजाति के जानवरों को 6 माह तक जिले से बाहर रखा जाएगा. इसके साथ ही उनके सिरम की लगातार जांच भी की जाएगी.

Intro:राजनांदगांव घोड़ों में पाए जाने वाले खतरनाक संक्रमण ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद अब राजनांदगांव जिले में घोड़ों को लेकर हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है पशु चिकित्सा विभाग को राज्य शासन से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है पशु चिकित्सा विभाग इस मामले में कार्रवाई करते हुए आने वाले 6 महीने तक लगातार जिले के घोड़ों के सैंपल कलेक्ट कर इनकी जांच नियमित करेगा.


Body:बता दें कि राजनांदगांव शहर के ठेठवार पारा स्थित रफीक खान की घोड़ी में ग्लैंडर्स नमक संक्रमण पाया गया था इसकी पुष्टि होने के बाद घोड़ी को मौत देने को लेकर राज्य शासन ने आदेश दिया था लेकिन अब जनहित को देखते हुए लोगों में इसका संक्रमण न फैले इस बात को लेकर राज्य शासन ने विभाग को हाई अलर्ट में रहने का आदेश दिया है इसके तहत जिले के सभी अश्व प्रजापति के जानवरों के सिरम लेकर लगातार 6 महीने तक जांच करवाने होंगे ताकि जानवरों में होने वाले संक्रमण को समय रहते रोका जा सके.
मनुष्यों में भी फैल सकती है बीमारी
घोड़ा से मनुष्य में या बीमारियां आसानी से पहुंच जाती है जो लोग घोड़ों की देखभाल करते हैं या फिर इलाज करते हैं उनको खाल नाक मुंह और सांस के द्वारा संक्रमण हो जाता है मनुष्य में इस बीमारी से मांसपेशियों में दर्द छाती में दर्द मांसपेशियों के अकड़न सिर दर्द और नाक से पानी निकलना यह सारे लक्षण दिखाई देते हैं विशेषज्ञों की मानें तो यह रोग बलकोलडेरिया बैक्टीरिया द्वारा होता है यह जेनिटिक रोगों की श्रेणी में आता है या घोड़ों के अलावा अन्य स्तनधारी पशुओं और मनुष्यों में भी हो सकता है यह बीमारी एक संक्रमण के तौर पर फैलती है या खाल की एक घाव नाक और मुयुकोसल सरफेस व सांस के द्वारा होता है. बताया जा रहा है कि घोड़ों में या बीमारी लाइलाज होती है इसके बचाव के लिए अब तक कोई टीका मौजूद नहीं है इस कारण जांच में ग्लैंडर्स की पुष्टि होने के बाद यूथिनिसिया देकर घोड़े को मौत दी जाती है.
पता चले तो ऐसे करें बचाव
यदि किसी भी घोड़े में इस तरह के लक्षण पाए जाते हैं तो उसे आबादी से अलग बांधा जाए और उसके परिवहन पर रोक लगा दी जाए संबंधित जगह पर डिसइन्फेक्शन कराया जाए. बच्चों को खासकर ग्लैंडर्स रोग से संक्रमित घोड़ों से दूर ही रखा जाए.




Conclusion:अलर्ट जारी किया गया
इस मामले में पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक आरके सोनवाने का कहना है कि राजनांदगांव शहर की एक घोड़ी में ब्लेंडर्स के लक्षण पाए गए थे उसे विभाग ने यूथिनिसिया का इंजेक्शन देकर नष्ट कर दिया है क्योंकि यह बीमारी मनुष्य में भी फैल सकती है इसलिए शासन स्तर से उन्हें नोटिफिकेशन मिला है ग्लैंडर्स बीमारी को लेकर विभाग ग्लैंडर्स फॉर फारसी एक्ट के तहत कार्रवाई करता है इसके तहत सभी अश्व प्रजाति के जानवरों को 6 माह तक जिले से बाहर रखा जाएगा इसके साथ ही उनके सिरम की लगातार जांच भी की जाएगी
Last Updated : Jun 28, 2019, 5:17 PM IST
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