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देश-विदेश में विराजेंगे गोबर के गणपति, घी और एलोवेरा से बनाई जा रही प्रतिमा - ganesh idol made in cow dung

राजनांदगांव की ग्राम पंचायत लिटिया के ग्रामीणों ने मिलकर गोबर से बने गणपति तैयार किए हैं, जो देश-प्रदेश के आलावा विदेशों में भी डिलीवर किए जा रहे हैं. इससे उनके आय का साधन बढ़ रहा है. साथ ही गोधन के महत्व को भी लोगों को बताया जा रहा है.

ganpati
गणपति
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Published : Aug 21, 2020, 5:57 PM IST

Updated : Aug 22, 2020, 1:01 PM IST

राजनांदगांव : संस्कारधानी कहे जाने वाले राजनांदगांव में गोधन को बचाने के उद्देश्य से ग्रामीणों ने गोबर के गणपति बनाएं हैं. ये गणपति सिर्फ छत्तीसगढ़ या अन्य प्रदेश तक नहीं, बल्कि विदेशों में भी विराजेंगे. ग्राम पंचायत लिटिया के ग्रामीणों ने समूह बनाकर गोबर से गणपति की प्रतिमा तैयार की है. इसे देश के अलग-अलग राज्यों में भेजा जा रहा है. कई ऑनलाइन साइट के जरिए भी इन गणेश प्रतिमाओं को विदेश में भी डिलीवर किया जा रहा है.

देश-विदेश में विराजेंगे गोबर के गणपति

गांव के महिला समूह पंचगव्य केंद्र की सहायता से इसे तैयार किया जा रहा है. पंचगव्य संस्थान केंद्र प्रमुख प्रमोद आर्य ने बताया कि गांव में पंचगव्य केंद्र की स्थापना की गई है, जहां पर गोधन को बचाने के लिए गोबर से बने उत्पादों को बनाया जाता है और उसे खुले बाजार में बेचा जाता है. इस बार गोबर से गणेश प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है. इसे सप्लायर ऑनलाइन साइट्स के जरिए विदेशों में भी पहुंचा रहे हैं. उन्होंने बताया कि गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उन्हें इस व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे आर्थिक रूप से सक्षम हो सके. साथ ही उनका आय का जरिया भी बढ़े.

ganesh idol made in cow dung in rajnandgaon
गोबर के गणपति

पढ़ें : मूर्तिकारों पर कोरोना की मार, गणेश चतुर्थी के दो दिन पहले भी सूना रहा बाजार

ऐसे बनाते हैं गोबर से गणपति
प्रमोद आर्य ने बताया कि महिलाएं पहले गांव से गोबर इकट्ठा कर इसे सूखाती हैं और फिर उसका पाउडर बनाकर गोंद के जरिए बॉन्डिंग की जाती है. घी और एलोवेरा भी गणेश प्रतिमा में मिलाया जाता है. एक सांचे के जरिए तैयार गोबर के मिश्रण को गणपति की प्रतिमा में डालते हैं और फिर गोबर से गणपति की प्रतिमा तैयार हो जाती है. इन्हें एलोवेरा जेल के जरिए फर्निशिंग देते हुए पैकिंग की जाती है.

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गोबर के गणपति

ग्रामीण रोजगार और संस्कृति को बढ़ावा

उन्होंने बताया कि ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए इस काम को शुरू से करते आ रहे हैं. महिलाओं को इससे घर बैठे रोजगार मिलता है. साथ ही अच्छी खासी रकम भी कमा लेती हैं. इसका सबसे ज्यादा फायदा गोधन वंश को बचाने में मिलता है. वर्तमान में जिस तरीके से गोवंश को बचाने के लिए पहल की जा रही है इसके लिए सबसे आवश्यक है कि गाय के उत्पादों को लोगों तक पहुंचाया जा सके, ताकि इसकी उपयोगिता बढ़ने पर गोवंश को भी इसका फायदा मिल सके.

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लिटिया गांव में गोबर के गणपति

हिंदू धर्म में है गोबर के गणपति की महत्वता

ज्योतिषाचार्य सरोज द्वविवेदी ने बताया कि हिंदू धर्म में गोबर से बनाए गणपति की अपनी ही महत्वता है. गाय को गौ माता कहा जाता है और गाय से मिलने वाला हर उत्पाद हिंदू संस्कृति में उपयोग किया जाता है. दूध, दही, घी और गोमूत्र का अपना महत्व है. हिंदू धर्म के हर पूजा-पाठ में गोबर के गौरी गणेश बनाकर ही पूजा की शुरुआत की जाती है. लिटिया गांव के लोग गोबर के गणपति बना रहे हैं तो यह काफी अनुकरणीय कार्य है. बता दें कि आने वाले गणेश चतुर्थी के दिन पूरे देश में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी. इसके लिए ग्राम पंचायत लिटिया से भी गोबर के गणपति के बड़े ऑर्डर अलग-अलग राज्यों से महिलाओं को मिले हैं, जिसकी आपूर्ति के लिए लगातार निर्माण और पैकिंग की तैयारी की जा रही है.

राजनांदगांव : संस्कारधानी कहे जाने वाले राजनांदगांव में गोधन को बचाने के उद्देश्य से ग्रामीणों ने गोबर के गणपति बनाएं हैं. ये गणपति सिर्फ छत्तीसगढ़ या अन्य प्रदेश तक नहीं, बल्कि विदेशों में भी विराजेंगे. ग्राम पंचायत लिटिया के ग्रामीणों ने समूह बनाकर गोबर से गणपति की प्रतिमा तैयार की है. इसे देश के अलग-अलग राज्यों में भेजा जा रहा है. कई ऑनलाइन साइट के जरिए भी इन गणेश प्रतिमाओं को विदेश में भी डिलीवर किया जा रहा है.

देश-विदेश में विराजेंगे गोबर के गणपति

गांव के महिला समूह पंचगव्य केंद्र की सहायता से इसे तैयार किया जा रहा है. पंचगव्य संस्थान केंद्र प्रमुख प्रमोद आर्य ने बताया कि गांव में पंचगव्य केंद्र की स्थापना की गई है, जहां पर गोधन को बचाने के लिए गोबर से बने उत्पादों को बनाया जाता है और उसे खुले बाजार में बेचा जाता है. इस बार गोबर से गणेश प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है. इसे सप्लायर ऑनलाइन साइट्स के जरिए विदेशों में भी पहुंचा रहे हैं. उन्होंने बताया कि गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए उन्हें इस व्यवसाय से जोड़ा जा रहा है, ताकि वे आर्थिक रूप से सक्षम हो सके. साथ ही उनका आय का जरिया भी बढ़े.

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गोबर के गणपति

पढ़ें : मूर्तिकारों पर कोरोना की मार, गणेश चतुर्थी के दो दिन पहले भी सूना रहा बाजार

ऐसे बनाते हैं गोबर से गणपति
प्रमोद आर्य ने बताया कि महिलाएं पहले गांव से गोबर इकट्ठा कर इसे सूखाती हैं और फिर उसका पाउडर बनाकर गोंद के जरिए बॉन्डिंग की जाती है. घी और एलोवेरा भी गणेश प्रतिमा में मिलाया जाता है. एक सांचे के जरिए तैयार गोबर के मिश्रण को गणपति की प्रतिमा में डालते हैं और फिर गोबर से गणपति की प्रतिमा तैयार हो जाती है. इन्हें एलोवेरा जेल के जरिए फर्निशिंग देते हुए पैकिंग की जाती है.

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गोबर के गणपति

ग्रामीण रोजगार और संस्कृति को बढ़ावा

उन्होंने बताया कि ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए इस काम को शुरू से करते आ रहे हैं. महिलाओं को इससे घर बैठे रोजगार मिलता है. साथ ही अच्छी खासी रकम भी कमा लेती हैं. इसका सबसे ज्यादा फायदा गोधन वंश को बचाने में मिलता है. वर्तमान में जिस तरीके से गोवंश को बचाने के लिए पहल की जा रही है इसके लिए सबसे आवश्यक है कि गाय के उत्पादों को लोगों तक पहुंचाया जा सके, ताकि इसकी उपयोगिता बढ़ने पर गोवंश को भी इसका फायदा मिल सके.

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लिटिया गांव में गोबर के गणपति

हिंदू धर्म में है गोबर के गणपति की महत्वता

ज्योतिषाचार्य सरोज द्वविवेदी ने बताया कि हिंदू धर्म में गोबर से बनाए गणपति की अपनी ही महत्वता है. गाय को गौ माता कहा जाता है और गाय से मिलने वाला हर उत्पाद हिंदू संस्कृति में उपयोग किया जाता है. दूध, दही, घी और गोमूत्र का अपना महत्व है. हिंदू धर्म के हर पूजा-पाठ में गोबर के गौरी गणेश बनाकर ही पूजा की शुरुआत की जाती है. लिटिया गांव के लोग गोबर के गणपति बना रहे हैं तो यह काफी अनुकरणीय कार्य है. बता दें कि आने वाले गणेश चतुर्थी के दिन पूरे देश में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी. इसके लिए ग्राम पंचायत लिटिया से भी गोबर के गणपति के बड़े ऑर्डर अलग-अलग राज्यों से महिलाओं को मिले हैं, जिसकी आपूर्ति के लिए लगातार निर्माण और पैकिंग की तैयारी की जा रही है.

Last Updated : Aug 22, 2020, 1:01 PM IST
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