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राजनांदगांव: जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा कर्मचारी, प्रबंधन नहीं दे रहा ध्यान

राजनांदगांव की एक कंपनी के प्रबंधन की लापरवाही का मामला सामने आया है. जहां कंपनी के एक कर्मचारी की तबीयत खराब होने की जानकारी मिलने के बाद भी प्रबंधन की ओर से कर्मचारी को किसी भी तरह की स्वास्थ्य सुविधा नहीं उपलब्ध कराई है.

Employee struggling between life and death, management not paying attention
जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा कर्मचारी
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Published : May 6, 2020, 1:25 AM IST

राजनांदगांव: जिले के कमल सॉल्वेंट से एक दर्दनाक मामला सामने आया है, कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन जैसी कठिन समय में भी कर्मचारी ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन कमल निजी कंपनी के एक कर्मचारी को सही समय से इलाज नहीं मिलने के कारण वह अब जिंदगी और मौत के जूझ रहा है.

जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा कर्मचारी

बता दें प्रवीण बोमले कमल सॉल्वेंट में गार्ड की ड्यूटी करता था, सोमवार की देर रात उसकी तबीयत बिगड़ गई, लेकिन कमल सॉल्वेंट के प्रबंधक ने इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया, जिसके कारण प्रवीण बोमले को रात भर कंपनी में ही अचेत अवस्था में पड़ा रहा.

प्रवीण की खबर जब उसके परिजानों को हुई, तो परिजानों ने आनन-फानन में प्रवीण को मंगलवार की सुबह सब्जी के एक गाड़ी से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल कराया.

बताया जा रहा है कि प्रवीण बोंमले रोजाना की तरह सोमवार को नाइट ड्यूटी के लिए कंपनी पहुंचा जहां तकरीबन आधी रात उसे उल्टी दस्त शुरु हो गए इस बीच उसे चक्कर भी आया और वह अचेत हो गया देखते ही देखते प्रवीण के शरीर के आधे हिस्से में पैरालिसिस हो गया, लेकिन इसके बाद भी कंपनी प्रबंधन ने उसका उपचार कराना उचित नहीं समझा, यहां तक कि कंपनी से जुड़े लोगों ने कर्मचारी के घर पर खबर भी नहीं दी.

कंपनी प्रबंधन की बड़ी लापरवाही

इस मामले में कंपनी के मालिक दामोदर दास मूंदड़ा का कहना है कि कर्मचारी के स्वास्थ्य के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई थी, अगर ऐसी स्थिति पाता चलती तो वे तुरंत उसकी मदद के लिए किसी को भेजते. वहीं मामले में डॉक्टरों के अनुसार उसके शरीर के एक हिस्से में पैरालिसिस का अटैक आया है.

उठ रहे सवाल

कंपनी में कार्यरत मजदूरों को मेडिकल सेवाएं देने में कंपनी प्रबंधन लापरवाही बरत रहा है. देर रात तबीयत बिगड़ने के बाद भी कर्मचारी को सुबह तक उसे कंपनी में ही रखा गया और यहां तक प्रबंधन ने उसके इलाज के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की इसके चलते अब कंपनी प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं.

राजनांदगांव: जिले के कमल सॉल्वेंट से एक दर्दनाक मामला सामने आया है, कोरोना वायरस के संक्रमण और लॉकडाउन जैसी कठिन समय में भी कर्मचारी ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं, लेकिन कमल निजी कंपनी के एक कर्मचारी को सही समय से इलाज नहीं मिलने के कारण वह अब जिंदगी और मौत के जूझ रहा है.

जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा कर्मचारी

बता दें प्रवीण बोमले कमल सॉल्वेंट में गार्ड की ड्यूटी करता था, सोमवार की देर रात उसकी तबीयत बिगड़ गई, लेकिन कमल सॉल्वेंट के प्रबंधक ने इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया, जिसके कारण प्रवीण बोमले को रात भर कंपनी में ही अचेत अवस्था में पड़ा रहा.

प्रवीण की खबर जब उसके परिजानों को हुई, तो परिजानों ने आनन-फानन में प्रवीण को मंगलवार की सुबह सब्जी के एक गाड़ी से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में दाखिल कराया.

बताया जा रहा है कि प्रवीण बोंमले रोजाना की तरह सोमवार को नाइट ड्यूटी के लिए कंपनी पहुंचा जहां तकरीबन आधी रात उसे उल्टी दस्त शुरु हो गए इस बीच उसे चक्कर भी आया और वह अचेत हो गया देखते ही देखते प्रवीण के शरीर के आधे हिस्से में पैरालिसिस हो गया, लेकिन इसके बाद भी कंपनी प्रबंधन ने उसका उपचार कराना उचित नहीं समझा, यहां तक कि कंपनी से जुड़े लोगों ने कर्मचारी के घर पर खबर भी नहीं दी.

कंपनी प्रबंधन की बड़ी लापरवाही

इस मामले में कंपनी के मालिक दामोदर दास मूंदड़ा का कहना है कि कर्मचारी के स्वास्थ्य के संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई थी, अगर ऐसी स्थिति पाता चलती तो वे तुरंत उसकी मदद के लिए किसी को भेजते. वहीं मामले में डॉक्टरों के अनुसार उसके शरीर के एक हिस्से में पैरालिसिस का अटैक आया है.

उठ रहे सवाल

कंपनी में कार्यरत मजदूरों को मेडिकल सेवाएं देने में कंपनी प्रबंधन लापरवाही बरत रहा है. देर रात तबीयत बिगड़ने के बाद भी कर्मचारी को सुबह तक उसे कंपनी में ही रखा गया और यहां तक प्रबंधन ने उसके इलाज के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की इसके चलते अब कंपनी प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं.

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