राजनांदगांव: देशभर में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगातार किए जा रहे लॉकडाउन के चलते रेस्टोरेंट का व्यापार करने वाले व्यापारियों की हालात खस्ता हो चुकी है. केंद्र और राज्य सरकार की लॉकडाउन के दौरान जारी की गई गाइड लाइन में रेस्टोरेंट के संचालकों को कोई भी रियायत नहीं दी गई है. इसके चलते अब उनका बिजनेस पूरी तरीके से चौपट हो चुका है. हालात यह है कि शहर के रेस्टोरेंट संचालक अपनी जमा पूंजी लगाकर अब व्यापार कर रहे हैं.
शहर में करीब 40 से ज्यादा रेस्टोरेंट संचालित हैं. रेस्टोरेंट को संचालित करने के लिए प्रबंधकों को हर महीने करीब एक से डेढ़ लाख रुपए की लागत लग रही है. रेटिंग के मुताबिक कई रेस्टोरेंट्स संचालकों को इससे भी ज्यादा लागत लग रही है. इस कारण रेस्टोरेंट्स संचालकों को अब व्यापार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
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वेतन के लिए नहीं निकल रहे पैसे
3 महीने से संचालक रेस्टोरेंट के लिए लीज में ली गई जगह का किराया पटा रहे हैं. इसके साथ ही हर महीने रेस्टोरेंट में काम करने वाले कर्मचारियों को हजारों रुपए वेतन भी दे रहे हैं. लिहाजा संचालकों के पास आवक तो कुछ नहीं है. उल्टा खर्च बढ़ गया है. राज्य शासन ने रेस्टोरेंट्स संचालकों को पार्सल की छूट तो दी है. लेकिन इससे रेस्टोरेंट का किराया और कर्मचारियों का खर्च निकालने में भी परेशानी हो रही है.
केवल 10 परसेंट लोग दे रहे आर्डर
शहर के रेलवे स्टेशन के किनारे श्री रेस्टोरेंट के संचालक विमल अग्रवाल का कहना है कि उनका रेस्टोरेंट रेलवे स्टेशन के सबसे करीब है. जहां ज्यादातर लोग बाहर से आते हैं और कुछ देर के लिए रेस्टोरेंट में रुक कर नाश्ता या खाना खाते हैं. उन्होंने बताया कि पार्सल आर्डर के केवल 10 प्रतिशत ग्राहक ही आ रहे हैं. रोजाना कमाई की बात करें तो रेस्टोरेंट में करीब 4 हजार नियमित तौर पर खर्च हो रहे हैं. वहीं आवक केवल 1200 से 1500 रुपए की ही हो पा रही है.
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बाहर के खाने से परहेज
रेस्टोरेंट संचालकों ने बताया कि कोरोना महामारी के आते ही रेस्टोरेंट संचालकों का व्यापार लगभग ठप हो गया है. महामारी के फैलने की दर को देखते हुए लोगों ने रेस्टोरेंट से दूरी बना ली है. साथ ही बाहर का खाना खाने से परहेज कर रहे हैं. इसके चलते रेस्टोरेंट संचालकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.