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राजनांदगांव में ETV भारत की पड़ताल, अनलॉक में भी सरकारी दफ्तर पर लटका ताला

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Published : Jul 1, 2020, 6:33 PM IST

राजनांदगांव में अनलॉक के बाद भी सरकारी दफ्तरों के ताले नहीं खुले है. कुछ विभागों में अधिकारियों के दफ्तर खोलकर अफसरों के आने की बात कहकर जनता को बहलाया जा रहा है तो, वहीं कुछ विभागों के अधिकारी खुद ही अपने केबिन में ताला लगाकर गायब है.

lock still hangs in government offices
अनलॉक में भी सरकारी दफ्तर बंद

राजनांदगांव: कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन का फायदा जिला मुख्यालय में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी बेजोड़ तरीके से उठा रहे हैं. जिला मुख्यालय में पदस्थ अफसर लंबे समय से अपने दफ्तरों से नदारद हैं. बिना किसी कारण के ही अफसरों के केबिन में ताले लटके हुए हैं. मातहत कर्मचारियों के मुंह से भी एक ही जवाब आ रहा है कि 'साहब अभी दौरे पर हैं'. लेकिन साहब के दौरे की सच्चाई जानने की जब हमने कोशिश की तो कर्मचारी गोलमोल जवाब देते रहे.

अनलॉक में भी सरकारी दफ्तर लॉक

ETV भारत की पड़ताल

ETV भारत ने सोमवार और मंगलवार को कलेक्ट्रेट में संचालित 1 दर्जन से अधिक दफ्तरों की पड़ताल की, तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. दफ्तर से अफसर नदारद हैं. ना कोई जानकारी और ना ही कोई प्रभार कई अफसर लंबे समय से अपने दफ्तर पहुंचे ही नहीं है, बावजूद उनकी उपस्थिति कागजों में दिखाई जा रही है. ETV भारत की टीम जब खनिज, कृषि, शिक्षा, आदिम जाति कल्याण विभाग, उद्योग, प्रधानमंत्री सड़क विकास, खाद्य विभागों के अफसरों के केबिन तक पहुंची तो वे नदारद मिले. मातहत कर्मचारियों से पूछने पर पता चला कि साहब अभी दौरे पर हैं. लेकिन दौरे पर कहां है और कब से हैं इस बात की जानकारी किसी को नहीं है. खनिज विभाग, शिक्षा, कृषि विभाग के अफसरों के केबिन में आश्चर्यजनक रूप से ताला लटका हुआ है. जानकारी के मुताबिक इन विभागों के अफसर लंबे समय से नदारद हैं और अपने केबिन में खुद ही ताला जड़ कर रख दिया है.

lock still hangs in government offices
अनलॉक में भी सरकारी दफ्तर में लॉक

भटक रहे फरियादी

ETV भारत की टीम ने विभागों के चक्कर लगा रहे ऐसे कई फरियादियों से बात की. उन्होंने बताया कि वे काफी दिनों से साहब से मिलने के लिए विभागों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई भी अधिकारी उन्हें दर्शन नहीं दे रहा है. ऐसे ही एक फरियादी ने ETV भारत को बताया कि परमिशन के लिए उन्हें हर रोज चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. पहले ये फरियादी थाने पहुंचे जहां से उन्हें SDM के पास भेजा गया. SDM ऑफिस से तहसीलदार के पास भेजा गया और उसके बाद तहसीलदार कार्यालय. लेकिन वहां से भी इन फरियादियों को कलेक्ट्रेट भेज दिया गया. लेकिन यहां भी इन्हें सिर्फ भटकना ही पड़ रहा है. क्योंकि कलेक्ट्रेट में भी ज्यादातर विभागों में ताले लटके हुए है.

उच्च अधिकारियों को जानकारी के बाद भी कार्रवाई नहीं

लाखों रुपए का वेतन ले रहे जिला मुख्यालय में पदस्थ अफसर सरकार के साथ-साथ जनता की गाढ़ी कमाई को पानी में बहाने का काम कर रहे हैं. दौरे के नाम पर विभाग के कर्मचारियों का रटा हुआ जवाब है. लेकिन दौरे की कोई भी जानकारी किसी भी रजिस्टर में मौजूद नहीं है. वहीं अफसरों की उपस्थिति पंजी का भी पता नहीं है. हैरानी की बात तो ये है कि कई अफसर विभागों की बैठक से भी नदारद रहते हैं, बावजूद इसके अब तक मामले में उच्च अधिकारियों ने कोई भी कार्रवाई तक नहीं की है.

शासकीय कार्य हो रहे प्रभावित

बता दें कि ऐसे लापरवाह अफसरों के चलते शासकीय काम बुरी तरीके से प्रभावित हो रहे हैं. सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के कई मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं. वहीं वनांचल में तकरीबन आधा दर्जन से अधिक सड़कों का काम अधूरा है. शिक्षा की बात करें तो अब भी कई स्कूल बिल्डिंग विहीन है, लेकिन ऐसे मामलों में विभागीय अफसरों की रुचि नहीं है. इसके चलते शासकीय काम तो प्रभावित हो ही रहे हैं वहीं सरकार की मंशा पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है.

राजनांदगांव: कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में किए गए लॉकडाउन का फायदा जिला मुख्यालय में पदस्थ अधिकारी और कर्मचारी बेजोड़ तरीके से उठा रहे हैं. जिला मुख्यालय में पदस्थ अफसर लंबे समय से अपने दफ्तरों से नदारद हैं. बिना किसी कारण के ही अफसरों के केबिन में ताले लटके हुए हैं. मातहत कर्मचारियों के मुंह से भी एक ही जवाब आ रहा है कि 'साहब अभी दौरे पर हैं'. लेकिन साहब के दौरे की सच्चाई जानने की जब हमने कोशिश की तो कर्मचारी गोलमोल जवाब देते रहे.

अनलॉक में भी सरकारी दफ्तर लॉक

ETV भारत की पड़ताल

ETV भारत ने सोमवार और मंगलवार को कलेक्ट्रेट में संचालित 1 दर्जन से अधिक दफ्तरों की पड़ताल की, तो चौंकाने वाले खुलासे हुए. दफ्तर से अफसर नदारद हैं. ना कोई जानकारी और ना ही कोई प्रभार कई अफसर लंबे समय से अपने दफ्तर पहुंचे ही नहीं है, बावजूद उनकी उपस्थिति कागजों में दिखाई जा रही है. ETV भारत की टीम जब खनिज, कृषि, शिक्षा, आदिम जाति कल्याण विभाग, उद्योग, प्रधानमंत्री सड़क विकास, खाद्य विभागों के अफसरों के केबिन तक पहुंची तो वे नदारद मिले. मातहत कर्मचारियों से पूछने पर पता चला कि साहब अभी दौरे पर हैं. लेकिन दौरे पर कहां है और कब से हैं इस बात की जानकारी किसी को नहीं है. खनिज विभाग, शिक्षा, कृषि विभाग के अफसरों के केबिन में आश्चर्यजनक रूप से ताला लटका हुआ है. जानकारी के मुताबिक इन विभागों के अफसर लंबे समय से नदारद हैं और अपने केबिन में खुद ही ताला जड़ कर रख दिया है.

lock still hangs in government offices
अनलॉक में भी सरकारी दफ्तर में लॉक

भटक रहे फरियादी

ETV भारत की टीम ने विभागों के चक्कर लगा रहे ऐसे कई फरियादियों से बात की. उन्होंने बताया कि वे काफी दिनों से साहब से मिलने के लिए विभागों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन कोई भी अधिकारी उन्हें दर्शन नहीं दे रहा है. ऐसे ही एक फरियादी ने ETV भारत को बताया कि परमिशन के लिए उन्हें हर रोज चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. पहले ये फरियादी थाने पहुंचे जहां से उन्हें SDM के पास भेजा गया. SDM ऑफिस से तहसीलदार के पास भेजा गया और उसके बाद तहसीलदार कार्यालय. लेकिन वहां से भी इन फरियादियों को कलेक्ट्रेट भेज दिया गया. लेकिन यहां भी इन्हें सिर्फ भटकना ही पड़ रहा है. क्योंकि कलेक्ट्रेट में भी ज्यादातर विभागों में ताले लटके हुए है.

उच्च अधिकारियों को जानकारी के बाद भी कार्रवाई नहीं

लाखों रुपए का वेतन ले रहे जिला मुख्यालय में पदस्थ अफसर सरकार के साथ-साथ जनता की गाढ़ी कमाई को पानी में बहाने का काम कर रहे हैं. दौरे के नाम पर विभाग के कर्मचारियों का रटा हुआ जवाब है. लेकिन दौरे की कोई भी जानकारी किसी भी रजिस्टर में मौजूद नहीं है. वहीं अफसरों की उपस्थिति पंजी का भी पता नहीं है. हैरानी की बात तो ये है कि कई अफसर विभागों की बैठक से भी नदारद रहते हैं, बावजूद इसके अब तक मामले में उच्च अधिकारियों ने कोई भी कार्रवाई तक नहीं की है.

शासकीय कार्य हो रहे प्रभावित

बता दें कि ऐसे लापरवाह अफसरों के चलते शासकीय काम बुरी तरीके से प्रभावित हो रहे हैं. सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य के कई मामले पेंडिंग पड़े हुए हैं. वहीं वनांचल में तकरीबन आधा दर्जन से अधिक सड़कों का काम अधूरा है. शिक्षा की बात करें तो अब भी कई स्कूल बिल्डिंग विहीन है, लेकिन ऐसे मामलों में विभागीय अफसरों की रुचि नहीं है. इसके चलते शासकीय काम तो प्रभावित हो ही रहे हैं वहीं सरकार की मंशा पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है.

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