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डोंगरगढ़ में धूमधाम से मनाया गया गोविंदा उत्सव

सौ साल पहले जन्माष्टमी पर शुरू हुआ गोविंदा उत्सव आज भी नगर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है.

जन्माष्टमी पर डोंगरगढ़ में 101 साल से दही हांडी का हो रहा है आयोजन
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Published : Aug 26, 2019, 8:21 AM IST

राजनांदगांवः धर्मनगरी डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी मंदिर के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. वहीं यहां पर कृष्ण जन्माष्टमी पर मनाया जाने वाला गोविंदा उत्सव देश-प्रदेश में जाना जाता है. सौ साल पहले शुरू हुआ गोविंदा उत्सव आज भी नगरवासी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. इस साल भी नगर के सभी इलाकों में दही हांडी का आयोजन किया गया, जिसे लेकर नगरवासियों में काफी उत्साह देखने को मिला.

जन्माष्टमी पर डोंगरगढ़ में 101 साल से दही हांडी का हो रहा है आयोजन

जिला प्रशासन की ओर से इस उत्सव पर स्थानीय अवकाश घोषित कर सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गई थी. मुंबई और वृंदावन की तर्ज पर ही यहां के लोग गोविंदा उत्सव मनाते हैं. नगर के गोल बाजार हनुमान उत्सव समिति द्वारा 25 फीट की ऊंचाई पर दही हांडी रखी गई, जिसे फोड़ने के लिए 7 से 8 टोलियां ने भाग लिया.

दूसरे राज्यों से भी शामिल हुईं टोलियां
इस साल गोविंदा उत्सव को 101 वर्ष हो गए. विशेषतौर पर नगर के तीन जगहों पर दही हांडी का आयोजन किया जाता है, जिन्हें फोड़ने पर लाखों रुपए के इनाम टोलियों को दिए जाते हैं. इस आयोजन में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से भी टोलियां शामिल होती हैं.

ऐसे हुई थी गोविंदा उत्सव की शुरुआत
डोंगरगढ़ में गोविंदा उत्सव की शुरुआत साल 1918 में रेलवे कर्मचारी बाबूराव अन्ना ने की थी. तब उत्सव का आयोजन बहुत कम खर्च पर शुरू हुआ था, लेकिन आज लाखों रुपए तक पहुंच चुका है. अन्ना के रिटायरमेंट के बाद यह आयोजन गट्टानी परिवार की तीसरी पीढ़ियों ने संभाल लिया है. यह परिवार पिछले 48 साल से उत्सव को सफलतापूर्वक कराते आ रहा है.

राजनांदगांवः धर्मनगरी डोंगरगढ़ मां बम्लेश्वरी मंदिर के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. वहीं यहां पर कृष्ण जन्माष्टमी पर मनाया जाने वाला गोविंदा उत्सव देश-प्रदेश में जाना जाता है. सौ साल पहले शुरू हुआ गोविंदा उत्सव आज भी नगरवासी हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं. इस साल भी नगर के सभी इलाकों में दही हांडी का आयोजन किया गया, जिसे लेकर नगरवासियों में काफी उत्साह देखने को मिला.

जन्माष्टमी पर डोंगरगढ़ में 101 साल से दही हांडी का हो रहा है आयोजन

जिला प्रशासन की ओर से इस उत्सव पर स्थानीय अवकाश घोषित कर सुरक्षा की व्यापक व्यवस्था की गई थी. मुंबई और वृंदावन की तर्ज पर ही यहां के लोग गोविंदा उत्सव मनाते हैं. नगर के गोल बाजार हनुमान उत्सव समिति द्वारा 25 फीट की ऊंचाई पर दही हांडी रखी गई, जिसे फोड़ने के लिए 7 से 8 टोलियां ने भाग लिया.

दूसरे राज्यों से भी शामिल हुईं टोलियां
इस साल गोविंदा उत्सव को 101 वर्ष हो गए. विशेषतौर पर नगर के तीन जगहों पर दही हांडी का आयोजन किया जाता है, जिन्हें फोड़ने पर लाखों रुपए के इनाम टोलियों को दिए जाते हैं. इस आयोजन में महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से भी टोलियां शामिल होती हैं.

ऐसे हुई थी गोविंदा उत्सव की शुरुआत
डोंगरगढ़ में गोविंदा उत्सव की शुरुआत साल 1918 में रेलवे कर्मचारी बाबूराव अन्ना ने की थी. तब उत्सव का आयोजन बहुत कम खर्च पर शुरू हुआ था, लेकिन आज लाखों रुपए तक पहुंच चुका है. अन्ना के रिटायरमेंट के बाद यह आयोजन गट्टानी परिवार की तीसरी पीढ़ियों ने संभाल लिया है. यह परिवार पिछले 48 साल से उत्सव को सफलतापूर्वक कराते आ रहा है.

Intro:राजनांदगांव। धर्म नगरी डोंगरगढ़ जहां मां बमलेश्वरी मंदिर के नाम से पूरे देश में प्रसिद्ध है वही यहां का गोविंद उत्साह भी देश में तीसरे स्थान पर माना जाता है 100 साल पहले शुरू हुआ यह गोविंद उत्सव अपनी अलग पहचान रखता है डोगरगढ़ का सबसे बड़ा गोविंद उत्सव तत्कालिक मध्य प्रदेश शासन के समय से शुरू हुआ और आज तक यह सिलसिला अनवरत जारी है इस साल भी इस गोविंद उत्सव में लोगों की जमकर खुमारी देखी गई खासकर युवा वर्ग इस उत्सव को पूरे धूमधाम से मनाया है शहर के हर इलाके में दही हांडी फोड़ने का आयोजन किया गया जिसमें लोगों को उत्साह जमकर छलका।


Body:बता दें कि जिला प्रशासन भी इस उत्सव के लिए स्थानीय अवकाश घोषित करते हुए आयोजन की खुमारी से लोगों को दूर नहीं रखते मुंबई और वृंदावन की तर्ज पर यहां लोग गोविंद उत्सव को मनाते हैं धर्म नगरी में इस साल गोविंद उत्सव के आयोजन में 25 फीट की दही हांडी रखी गई जो गोल बाजार के हनुमान उत्सव समिति के द्वारा रखी गई यहां इस आयोजन को लेकर के महाराष्ट्र मध्य प्रदेश से भी दही हांडी तोड़ने के लिए टोलियां आई।
ऐसे हुई थी गोविंद उत्सव की शुरुआत
धर्म नगरी में गोविंद उत्सव 1918 में रेलवे कर्मचारी बाबूराव अन्ना ने शुरू की थी तब यह छोटा सा आयोजन सबसे कम खर्च में शुरू हुआ और आज लाखों रुपए तक पहुंच चुका है इसके साथ ही प्रदेश ही नहीं देश में भी अपनी पहचान बना चुका है इस आयोजन में शुरुआती दौर में शहर के ही लोग शामिल होते हैं लेकिन अब पूरे देश से लोग यहां गोविंद उत्सव में आकर जुड़ते हुए दिखाएं दे रहे हैं यहां दहीहंडी लूटने की परंपरा को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जिन रास्तों से होकर भगवान श्री कृष्ण का डोला गुजरता है छतों से लोग फूल और सा करते हुए दिखाई देते हैं। रेलवे कर्मचारी बाबूराव अन्ना के रिटायरमेंट के बाद दही हांडी का आयोजन गट्टानी परिवार संभाल रहा है यह उनकी तीसरी पीढ़ी है जो इस आयोजन को सफलतापूर्वक करवा रही है गट्टानी परिवार ने पिछले 48 साल से इस आयोजन को कराने का जिम्मा संभाला है मध्य प्रदेश सरकार ने भी इस आयोजन की धूम को देखते हुए एक साथ न्यूजरील तैयार करवाई थी जिसे अलग-अलग सेक्टरों में रिलीज भी किया था।



Conclusion:इस साल 101 वर्ष
डोंगरगढ़ में हर गली हर चौराहे पर दहीहंडी का आयोजन किया जाता है मुख्य रूप से तीन स्थानों पर दहीहंडी का आयोजन होता है जिनमें लाखों रुपए की राशि इनाम के तौर पर दही हांडी फोड़ने वाले टोलियों को मिलती है गोल बाजार में श्री हनुमान भक्त युवा समिति के तत्वाधान में 25 फीट की हाइट पर क्रेन में यूनिक मटकी रखी गई जिसमें ₹33333 का पुरस्कार भी रखा गया इसे लूटने के लिए टोलियो में होड़ मची रही।

बाइट प्रकाश गट्टानी
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