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'कोहिनूर' की चमक से रोशन हुई एक जिंदगी, बन गया मिसाल - घुमरिया नदी

राजनांदगांव के किल्लाडोंगरी में एक ऐसा कोहिनूर है जिसने दो लोगों को डूबने से बचाया है. 15 साल के बच्चे ने नदी में डूब रहे दो लोगो को बचाकर अपने साहस का परिचय दिया है.

कोहिनूर ने दो लोगो को नदी में डूबने से बचाया
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Published : Sep 13, 2019, 11:54 AM IST

Updated : Sep 13, 2019, 2:46 PM IST

राजनांदगांव: कोहिनूर का नाम तो आपने सुना ही होगा. जी हां विश्व का सबसे चमकीला और कीमती हीरा, आज हम आपको ऐसी ही कीमती कोहिनूर की कहानी बताने जा रहे हैं. ये कोहिनूर 15 साल का बालक है. उसने किसी मरते की जिंदगी बचा कर एक मिसाल कायम की है.

15साल के कोहिनूर ने बचाई एक बच्चे की जान

नदी में नहाने गया था मनीष
दरअसल, किल्लाडोंगरी में रहने वाले 15 साल के कौशल कुमार उर्फ कोहिनूर ने अपने साहस का ऐसा परिचय दिया है जो बहुत ही कम लोग दे पाते हैं. घुमरिया नदी में डूब रहे दो लोगों को बचाने के लिए कोहिनूर ने अपनी जान की परवाह नहीं की. कोहिनूर और कुछ बच्चे नदी में नहाने गए थे इस दौरान 13 साल का मनीष नाम का बच्चा नदी में नहाते-नहाते बाढ़ की चपेट में आ गया. बच्चे को पानी में बहता देख पास में ही मछली पकड़ रहे शिव नाम के बुजुर्ग ने उसे बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी, पर अफसोस वह भी बाढ़ की चपेट में आ गया.

एक-एक कर दोनों को नदी से निकाला
दोनों को डूबता देख कोहिनूर नदी में कूदा और सबसे पहले शिव को निकाला फिर वो मनीष को बचाने के लिए लपका. जैसे-तैसे उसने अपनी ताकत लगाकर कोहिनूर ने मनीष को बचाया और जैसे ही उसने पलटकर देखा तो शिव का कोई अता-पता नहीं था. दूसरे दिन खोजबीन करने के बाद गोताखोरों ने शिव की लाश नदी से निकाली.

कोहिनूर ने बचाने की पूरी कोशिश की
कोहिनूर ने बताया कि उसने शिव को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन उसका कपड़ा उसके सिर पर फंस गया था इसके चलते वह नदी में सांस नहीं ले पाया. एक बार बचाने के बाद उसने कोहिनूर से कहा था कि वो मनीष को बचाए. क्योंकि उसे (शिव) तैरना आता है और वो अब निकल जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और शिव बाढ़ के पानी में बह गया. कोहिनूर ने बताया कि उसने अपनी पूरी कोशिश की लेकिन जब मनीष को पानी से बाहर निकाला तो उसके पेट में पानी भर चुका था. उसके पेट से पानी निकालकर उसे होश में लाया लेकिन जब मुड़कर नदी में देखा तो शिव का कहीं कोई अता-पता नहीं था.

मां घबराई, पर मनीष के बचने की खुशी
कोहिनूर की मां कलाबाई का कहना है कि वो कोहिनूर को नदी में भेजने से डरती है. घटना के दिन वह पास के गांव गई थी और इस दौरान कोहिनूर नदी में नहाने के लिए चला गया. लौटकर जब उन्हें सारी बात पता चली तो वह घबरा गई. कालाबाई ने बताया कि वो कोहिनूर को नदी में जाने से डांटती है. लेकिन उसने किसी की जान बचाई इस बात की उन्हें भी खुशी है.

राजनांदगांव: कोहिनूर का नाम तो आपने सुना ही होगा. जी हां विश्व का सबसे चमकीला और कीमती हीरा, आज हम आपको ऐसी ही कीमती कोहिनूर की कहानी बताने जा रहे हैं. ये कोहिनूर 15 साल का बालक है. उसने किसी मरते की जिंदगी बचा कर एक मिसाल कायम की है.

15साल के कोहिनूर ने बचाई एक बच्चे की जान

नदी में नहाने गया था मनीष
दरअसल, किल्लाडोंगरी में रहने वाले 15 साल के कौशल कुमार उर्फ कोहिनूर ने अपने साहस का ऐसा परिचय दिया है जो बहुत ही कम लोग दे पाते हैं. घुमरिया नदी में डूब रहे दो लोगों को बचाने के लिए कोहिनूर ने अपनी जान की परवाह नहीं की. कोहिनूर और कुछ बच्चे नदी में नहाने गए थे इस दौरान 13 साल का मनीष नाम का बच्चा नदी में नहाते-नहाते बाढ़ की चपेट में आ गया. बच्चे को पानी में बहता देख पास में ही मछली पकड़ रहे शिव नाम के बुजुर्ग ने उसे बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी, पर अफसोस वह भी बाढ़ की चपेट में आ गया.

एक-एक कर दोनों को नदी से निकाला
दोनों को डूबता देख कोहिनूर नदी में कूदा और सबसे पहले शिव को निकाला फिर वो मनीष को बचाने के लिए लपका. जैसे-तैसे उसने अपनी ताकत लगाकर कोहिनूर ने मनीष को बचाया और जैसे ही उसने पलटकर देखा तो शिव का कोई अता-पता नहीं था. दूसरे दिन खोजबीन करने के बाद गोताखोरों ने शिव की लाश नदी से निकाली.

कोहिनूर ने बचाने की पूरी कोशिश की
कोहिनूर ने बताया कि उसने शिव को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन उसका कपड़ा उसके सिर पर फंस गया था इसके चलते वह नदी में सांस नहीं ले पाया. एक बार बचाने के बाद उसने कोहिनूर से कहा था कि वो मनीष को बचाए. क्योंकि उसे (शिव) तैरना आता है और वो अब निकल जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और शिव बाढ़ के पानी में बह गया. कोहिनूर ने बताया कि उसने अपनी पूरी कोशिश की लेकिन जब मनीष को पानी से बाहर निकाला तो उसके पेट में पानी भर चुका था. उसके पेट से पानी निकालकर उसे होश में लाया लेकिन जब मुड़कर नदी में देखा तो शिव का कहीं कोई अता-पता नहीं था.

मां घबराई, पर मनीष के बचने की खुशी
कोहिनूर की मां कलाबाई का कहना है कि वो कोहिनूर को नदी में भेजने से डरती है. घटना के दिन वह पास के गांव गई थी और इस दौरान कोहिनूर नदी में नहाने के लिए चला गया. लौटकर जब उन्हें सारी बात पता चली तो वह घबरा गई. कालाबाई ने बताया कि वो कोहिनूर को नदी में जाने से डांटती है. लेकिन उसने किसी की जान बचाई इस बात की उन्हें भी खुशी है.

Intro:राजनांदगांव. 'कोहिनूर', जी नहीं हम किसी हीरे की बात नहीं कर रहे हैं हम बात कर रहे हैं उस 15 साल के बालक की जिसने अपनी जान पर खेलकर एक 13 साल के बालक की जिंदगी बचा ली. अपनी बहादुरी से बाढ़ के पानी की परवाह किए बगैर कोहिनूर ने साहस का ऐसा परिचय दिया है कि अब उसके नाम के चर्चे हो रहे हैं। अब 15 वर्षीय किल्ला डोंगरी निवासी कोहिनूर पूरे गांव के लिए कोहिनूर बन गया है. कोहिनूर के बहादुरी के चर्चे गांव के हर चौपाल पर हो रहे हैं.


Body:दरअसल, किल्लाडोंगरी निवासी 15 वर्षीय कौशल कुमार उर्फ कोहिनूर पिता अजीत मंडावी इसलिए चर्चा में है क्योंकि उसने अपने साहस का ऐसा परिचय दिया है जो बहुत कम लोग दे पाते हैं घुमरिया नदी के बाढ़ में डूब रहे दो लोगों को बचाने के लिए कोहिनूर ने अपनी जान तक की परवाह नहीं की 9 सितंबर को जब कोहिनूर और कुछ बच्चे घुमरिया नदी में नहाने के लिए गए थे इस दौरान मनीष नामक 13 वर्षीय बालक भी नदी में नहा रहा था इस दौरान वह अचानक नदी में पानी बढ़ गया और वह बाढ़ की चपेट में आ गया इस बीच मछली पकड़ रहे शिव को नामक व्यक्ति ने मनीष को बाढ़ में बहते हुए देखा और वह उसे बचाने के लिए कूद गया लेकिन अफसोस वह भी बाढ़ की चपेट में आ गया इस बीच दोनों को डूबता देख कोहिनूर ने अपनी ताकत लगा दी और सबसे पहले शिव गोंड को बचाया इसके बाद जैसे ही शिव ने कोहिनूर से कहा कि मैं ठीक हूं वह मनीष को बचाए तो कोहिनूर मनीष की ओर लपका जैसे तैसे कोहिनूर ने अपनी पूरी ताकत लगाकर मनीष की जान बचा ली लेकिन जैसे ही पलट कर उसने नदी में देखा तो शिव का कोई अता पता नहीं था लगातार खोजबीन करने पर दूसरे दिन शिव की लाश गोताखोरों की टीम को मिली।
पूरी कोशिश की
कोहिनूर ने बताया कि उसने शिव को बचाने की पूरी कोशिश की लेकिन उसका कपड़ा उसके सिर पर जा फंसा था इसके चलते वह नदी में सांस नहीं ले पाया एक बार बचाने के बाद उसने कोहिनूर से कहा था कि वह मनीष को बचाए क्योंकि उसे तैरना आता है और वह अब निकल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और शिव बाढ़ की चपेट में आ गया। कोहिनूर ने बताया कि उसने अपनी पूरी कोशिश की लेकिन जब मनीष को पानी से बाहर निकाला तो उसके पेट में पानी भर चुका था इस बीच उसने उसके पेट से पानी निकालकर उसे होश में लाया लेकिन जब वह मुड़कर देखा तो शिव का कहीं कोई अता पता नहीं था।



Conclusion:नदी जाने से डांटती हूं
कोहिनूर की मां कलाबाई का कहना है कि वह कोहिनूर को नदी में भेजने से डरती है घटना के दिन वह पास के गांव गई थी और इस दौरान कोहिनूर नदी में नहाने के लिए चला गया लौटकर जब उन्हें सारी बात पता चली तो वह घबरा गई दूसरे दिन तक वह घबराई हुई थी उन्होंने बताया कि कोहिनूर को नदी जाने से वे डांटती है लेकिन उसने किसी की जान बचाई इस बात की उन्हें भी खुशी है।
Last Updated : Sep 13, 2019, 2:46 PM IST
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