रायपुर: पूरे साल में 24 एकादशी पड़ती है. हालांकि इस साल पुरुषोत्तम मास पड़ने के कारण 26 एकादशी का संयोग बन रहा है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. एकादशी व्रत से मनुष्य की सभी कामनाएं पूरी होती है. इस बार 14 जून को योगिनी एकादशी है.
क्यों खास है योगिनी एकादशी: योगिनी एकादशी आषाढ़ कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है. विक्रम संवत 2080, शाके 1945 योगिनी एकादशी भरणी उपरांत कृतिका नक्षत्र सुकर्मा और पदम योग तैतिल और बवकरण के सुंदर प्रभाव में योगिनी एकादशी मनाया जाएगा. इस एकादशी में विष्णु भगवान की पूजा का विशेष महत्व है. विष्णु भगवान का पूजन इस दिन गंगाजल, अबीर, गुलाल, चंदन, पंचामृत, दूध, दही, मौली, धागा, फूल, मिष्ठान और ऋतु फल से किया जाता है.
ऐसे करें पूजन: पंडित विनीत शर्मा का कहना है कि "एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान, ध्यान, योग आदि से निवृत होकर पीले वस्त्र धारण करना चाहिए. इसके बाद हरि विष्णु की उपासना और प्रार्थना करनी चाहिए. ओम नमो भगवते वासुदेवाय, शांताकारम भुजागशयणम आदि मंत्रों का पाठ करना चाहिए. इसके साथ ही विष्णु सहस्रनाम, श्री राम रक्षा स्त्रोत, विष्णु जी की आरती, श्री राम सहस्त्रनाम, अथर्व शीर्ष आदि का पाठ करना चाहिए. इस दिन व्रत के साथ-साथ दान का विशेष महत्व है. इस दिन गरीबों को दान करना बेहद शुभ माना गया है."
विष्णु को तुलसी काफी प्रिय: कहते हैं कि भगवान विष्णु को तुलसी पत्र और तुलसी दल काफी प्रिय हैं. इस दिन भगवान के शुद्ध मोहनभोग में भी तुलसी और तुलसी दल को डालना चाहिए. लक्ष्मी नारायण भगवान को पांच दीपक से पूजा करनी चाहिए. इस दिन उपवास करने पर कई जन्मों के पापों का नाश होता है. योगिनी एकादशी के व्रत करने सेहर एक मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस एकादशी व्रत को सच्ची श्रद्धा और विश्वास के साथ करनी चाहिए.