कोरबा: खेती हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान उसकी आत्मा. ज्यादातर किसान सिंचाई की सुविधा नहीं होने के चलते अपने खेतों से अच्छा उत्पादन नहीं ले पाते. लेकिन अब स्थितियां बदलने वाली हैं. कोरबा में जहां सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है वहां के किसान भी अब अपने खेतों को सींच सकेंगे. जिले में निस्तारी और सिंचाई सुविधा को बढ़ावा देने के लिए रोजगार गारंटी योजना के तहत अब तक 121 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है.
खेतों तक पहुंचेगा पानी: अमृत सरोवरों में बारिश के पानी को अब जमा किया जा रहा है. अमृत सरोवरों में जमा पानी के जरिए किसानों के खेतों की प्यास बुझाई जाएगी. खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए कृषि विभाग की ओर से किसानों को शाकंभरी योजना से जोड़ा जा रहा है. योजना मेंं 75 प्रतिशत छूट के साथ किसानों को एक से पांच एचपी तक की क्षमता वाला मोटर पंप दिया जा रहा है. पंप की खरीदी कर किसान बिना नहर के अपने खेतों तक तालाब का पानी पहुंचा सकेंगे.
मिनीमाता बांगो बांधा: कोरबा जिले में सिंचित रकबे का प्रतिशत काफी कम है. कोरबा के महज 12 फीसदी खेत ही सिंचित हैं. राज्य की सबसे ऊंची मिनीमाता बागों परियोजना कोरबा जिले में जरूर है, लेकिन यहां से निकले नहर का पानी बहकर जांजगीर और रायगढ़ जिलों तक पहुंचता है. कोरबा जिले के खेतों को इसका लाभ नहीं मिल पाता.
अमृत सरोवर योजना: जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए बीते दो सालों से गांव गांव में अमृत सरोवर का निर्माण किया गया है. बढ़िया बारिश होने से इस साल सभी अमृत सरोवरों में 16–16 लाख क्यूबिक मीटर पानी जमा हो चुका है. तालाब निर्माण और उसमें जमा पानी को अब किसानों के खेतों तक पहुंचाने की समस्या बस बनी हुई है.
कैसे मिलेगा शाकंभरी योजना का लाभ: शाकंभरी योजना से जुड़कर किसान एक से पांच एचपी तक पंप की खरीदी कर सकते हैं. इस सुविधा का लाभ लेने के लिए किसानो को कृषि विस्तार अधिकार से जमीन का दस्तावेज के साथ आवेदन करना होगा. किसान ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं. योजना के तहत जिले के गांव लबेद, रंजना, लेपरा, तानाखार, कापूबहरा, नगोई, मांगामार, देवलापाठ आदि ऐसे गांव हैं, जहां निर्मित सरोवर से सिंचाई के अलावा निस्तारी सुविधा भी मिल रही है.
भूमिगत जल की निर्भरता में आएगी कमी: अमृत सरोवर निर्माण से जल संग्रहण क्षमता बढ़ने से आसपास के कुएं, हैंडपंप सहित अन्य जल स्त्रोत भी संरक्षित हो रहे हैं. सिंचाई के लिए मोटर पंप की सुविधा मिलने से कृषि के रकबा में भी विस्तार होगा. धान के अलावा ग्रीष्म फसल में गेहूं, दहलन और तिलहन की भी पैदावार ले सकेंगे.
बदल रही किसानों की तस्वीर: बेहतर जल संरक्षण को देखते हुए रोजगार गारंटी के तहत अमृत सरोवर के तर्ज पर जिला पंचायत ने 47 नए सरोवरों के निर्माण के लिए स्थल चिन्हित किया गया था. वर्षा के बाद इन सरोवरों में निर्माण कार्य शुरू हो गए हैं. निर्माण पूरा होने से 16 हजार किसानों के 7,900 हेक्टेयर कृषि रकबा को सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा.
क्या कहते हैं आंकड़े
- 121 सरोवर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है.
- 47 नए सरोवरों के निर्माण का काम चल रहा है.
- 16 लाख रुपये प्रत्येक सरोवर की लागत होगी.
- 3.97 लाख क्यूबिक मीटर भूमिगत जल स्त्रोत संरक्षित होगा.
किसान कैसे करें आवेदन: ऑनलाइन आवेदन या कृषि अधिकारी से संपर्क करने के लिए सहायक संचालक डीपीएस कंवर ने बताया कि सिंचाई सुविधा को बढ़ावा देने के लिए किसानो को शाकंभरी योजना से जोड़ा जा रहा है. इसमें किसानों को खेत के आसपास के तालाबा से पानी लिए 75 प्रतिशत अनुदान राशि पर मोटर पंप का प्रदान करने का प्रावधान है. चैम्स के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करने के अलावा कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क कर किसान योजना का लाभ ले सकते हैं.