ETV Bharat / state

चैत्र नवरात्र 2021: नवरात्र के नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की इस विधि से करें पूजा-अर्चना

नवरात्र के नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती (Worship of Mata Siddhidatri ) है. इस दिन विशेष पूजा-ध्यान का विधान है.

Chaitra Navratri 2021
चैत्र नवरात्र 2021
author img

By

Published : Apr 9, 2022, 8:19 PM IST

रायपुर: नवरात्रि का नौवां और आखरी दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह (Worship of Mata Siddhidatri ) है. माता की चार भुजाएं हैं. माता सिद्धिदात्री अज्ञानता को दूर कर ज्ञान प्रदान करने वाली मानी जाती है. माता सिद्धिदात्री अलौकिक सिद्धियां अष्ट-सिद्धि और नवनिधियां प्रदान करने वाली है. माता का आसन कमल का फूल माना गया है. इस दिन माता सिद्धिदात्री कमल पर सवार होकर आती हैं. इस दिन पूजन और ध्यान लगाने का माना गया है.

मां सिद्धिदात्री की होती है आराधना

इस शुभ दिन कवच, ध्यान मंत्र, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा सहस्त्रनाम, रामचरितमानस, राम सहस्त्रनाम पढ़ना बहुत ही शुभ माना गया है. आज के दिन कुंवारी कन्याओं का पूजन करने का भी विधान है. कुंवारी कन्याओं को श्रद्धा और आस्था के साथ घर बुलाकर पूजा-अर्चना कर आरती उतारकर उन्हें मनपसंद भोजन कराया जाता है. मिष्ठान भोग लगाया जाता है. द्रव्य-दक्षिणा देकर संतुष्टिपूर्वक घर से विदा किया जाता है. जिससे समस्त कामनाएं पूर्ण होती है. माता सिद्धिदात्री को चंपा और लाल रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं. इस दिन हवन करना भी श्रेष्ठ माना गया है. माता को मखाना खीर, लाई का भोग लगाया जाता है.

महानवमी का शुभ दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी (Maryada Purushottam Lord Sri Ramachandra) के जन्म उत्सव का भी शुभ दिन है. आज के शुभ दिन पुष्य नक्षत्र सुकर्म योग बालव कौलव करण कर्क राशि और रविवार के सुंदर संयोग में सर्वार्थ सिद्धि योग अहोरात्र रवि पुष्य नक्षत्र के सुखद संयोग में रामनवमी का पावन पर्व मनाया जाएगा. रामनवमी के दिन रामचरितमानस, राम सहस्त्रनाम आदि किताबों को वितरण करना भी शुभ माना गया है. इस दिन जवारा यात्रा निकाली जाती है. लोग नृत्य करते-गायन करते और सुगम संगीत लोक गीत गाते हुए इस पर्व को सामूहिक रूप से मनाते हैं. कई स्थानों पर भगवान श्री रामचंद्र जी की शोभायात्रा निकाली जाती है.

यह भी पढ़ें; जैतुसाव मठ में रामनवमी : श्रीराम को लगेगा मालपुआ का विशेष भोग

इस ययाति वंशज अंशुमान और अमरीश के वंश परंपरा के वाहक दशरथ नंदन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी का अयोध्या में जन्म हुआ था. अयोध्या नगरी में इस पावन पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं. रोशनी फैलाते हैं और रामचरितमानस के बालकांड, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक, बजरंग बाण आदि अनेक पवित्र ग्रंथों का सामूहिक रूप से पाठ करते हैं. रामनवमी के शुभ दिन श्री हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करना बहुत ही सिद्ध माना गया है, जो जातक यह कार्य करते हैं. उनकी समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती है.

रामनवमी अनेक जगहों पर भोग भंडारा का आयोजन कर मनाया जाता है. मंदिरों में राम नवमी के पावन पर्व पर खुले दिल से लोग भंडारा करते हैं. इस दिन पूरे भारतवर्ष में उत्साह, उमंग, जोश का वातावरण रहता है. माता सिद्धिदात्री को चुनरी, साड़ी, श्रृंगार का सामान, रोली, कुमकुम, सिंदूर, बंधन, चंदन अर्पित करना बहुत ही शुभ माना गया है.

रायपुर: नवरात्रि का नौवां और आखरी दिन माता सिद्धिदात्री की आराधना की जाती है. माता सिद्धिदात्री का वाहन सिंह (Worship of Mata Siddhidatri ) है. माता की चार भुजाएं हैं. माता सिद्धिदात्री अज्ञानता को दूर कर ज्ञान प्रदान करने वाली मानी जाती है. माता सिद्धिदात्री अलौकिक सिद्धियां अष्ट-सिद्धि और नवनिधियां प्रदान करने वाली है. माता का आसन कमल का फूल माना गया है. इस दिन माता सिद्धिदात्री कमल पर सवार होकर आती हैं. इस दिन पूजन और ध्यान लगाने का माना गया है.

मां सिद्धिदात्री की होती है आराधना

इस शुभ दिन कवच, ध्यान मंत्र, दुर्गा सप्तशती, दुर्गा सहस्त्रनाम, रामचरितमानस, राम सहस्त्रनाम पढ़ना बहुत ही शुभ माना गया है. आज के दिन कुंवारी कन्याओं का पूजन करने का भी विधान है. कुंवारी कन्याओं को श्रद्धा और आस्था के साथ घर बुलाकर पूजा-अर्चना कर आरती उतारकर उन्हें मनपसंद भोजन कराया जाता है. मिष्ठान भोग लगाया जाता है. द्रव्य-दक्षिणा देकर संतुष्टिपूर्वक घर से विदा किया जाता है. जिससे समस्त कामनाएं पूर्ण होती है. माता सिद्धिदात्री को चंपा और लाल रंग के फूल अर्पित किए जाते हैं. इस दिन हवन करना भी श्रेष्ठ माना गया है. माता को मखाना खीर, लाई का भोग लगाया जाता है.

महानवमी का शुभ दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी (Maryada Purushottam Lord Sri Ramachandra) के जन्म उत्सव का भी शुभ दिन है. आज के शुभ दिन पुष्य नक्षत्र सुकर्म योग बालव कौलव करण कर्क राशि और रविवार के सुंदर संयोग में सर्वार्थ सिद्धि योग अहोरात्र रवि पुष्य नक्षत्र के सुखद संयोग में रामनवमी का पावन पर्व मनाया जाएगा. रामनवमी के दिन रामचरितमानस, राम सहस्त्रनाम आदि किताबों को वितरण करना भी शुभ माना गया है. इस दिन जवारा यात्रा निकाली जाती है. लोग नृत्य करते-गायन करते और सुगम संगीत लोक गीत गाते हुए इस पर्व को सामूहिक रूप से मनाते हैं. कई स्थानों पर भगवान श्री रामचंद्र जी की शोभायात्रा निकाली जाती है.

यह भी पढ़ें; जैतुसाव मठ में रामनवमी : श्रीराम को लगेगा मालपुआ का विशेष भोग

इस ययाति वंशज अंशुमान और अमरीश के वंश परंपरा के वाहक दशरथ नंदन मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्र जी का अयोध्या में जन्म हुआ था. अयोध्या नगरी में इस पावन पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं. रोशनी फैलाते हैं और रामचरितमानस के बालकांड, सुंदरकांड, हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक, बजरंग बाण आदि अनेक पवित्र ग्रंथों का सामूहिक रूप से पाठ करते हैं. रामनवमी के शुभ दिन श्री हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करना बहुत ही सिद्ध माना गया है, जो जातक यह कार्य करते हैं. उनकी समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती है.

रामनवमी अनेक जगहों पर भोग भंडारा का आयोजन कर मनाया जाता है. मंदिरों में राम नवमी के पावन पर्व पर खुले दिल से लोग भंडारा करते हैं. इस दिन पूरे भारतवर्ष में उत्साह, उमंग, जोश का वातावरण रहता है. माता सिद्धिदात्री को चुनरी, साड़ी, श्रृंगार का सामान, रोली, कुमकुम, सिंदूर, बंधन, चंदन अर्पित करना बहुत ही शुभ माना गया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.