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इस मंत्र से स्कंदमाता होंगी प्रसन्न, पूरी करेंगी मनोकामनाएं - नवरात्रि

मां दुर्गा का पांचवा स्‍वरूप मां स्‍कंदमाता हैं और इन्‍हें कुमार कार्तिकेय की माता के रूप में भी जाना जाता है. मां स्‍कंदमाता की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.

मां स्कंदमाता
मां स्कंदमाता
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Published : Mar 28, 2020, 11:58 PM IST

रायपुर: नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरुप मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है. स्कंदमाता का स्वरूप अद्भुत है, उनके गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं. कहा जाता है असुरों के संहार के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था. इसलिए जिन माताओं की संतान नहीं है, संतान की समृद्धि और संरक्षण के लिए उनको स्कंद माता की आराधना करनी चाहिए.

इस मंत्र से स्कंदमाता होगी प्रसन्न

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है. उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है, जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. स्कंदमाता का वाहन सिंह है.

स्‍नेह की देवी हैं स्कंदमाता

कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना जाता है और माता को अपने पुत्र स्कंद से अत्यधिक प्रेम है. जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करती हैं. स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है. इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है.

इस मंत्र का करें जाप

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

रायपुर: नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरुप मां स्कंदमाता की पूजा अर्चना की जाती है. स्कंदमाता का स्वरूप अद्भुत है, उनके गोद में भगवान कार्तिकेय विराजमान हैं. कहा जाता है असुरों के संहार के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था. इसलिए जिन माताओं की संतान नहीं है, संतान की समृद्धि और संरक्षण के लिए उनको स्कंद माता की आराधना करनी चाहिए.

इस मंत्र से स्कंदमाता होगी प्रसन्न

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं, जिनमें से माता ने अपने दो हाथों में कमल का फूल पकड़ा हुआ है. उनकी एक भुजा ऊपर की ओर उठी हुई है, जिससे वह भक्तों को आशीर्वाद देती हैं और एक हाथ से उन्होंने गोद में बैठे अपने पुत्र स्कंद को पकड़ा हुआ है. ये कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं. इसीलिए इन्हें पद्मासना भी कहा जाता है. स्कंदमाता का वाहन सिंह है.

स्‍नेह की देवी हैं स्कंदमाता

कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना जाता है और माता को अपने पुत्र स्कंद से अत्यधिक प्रेम है. जब धरती पर राक्षसों का अत्याचार बढ़ता है तो माता अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का नाश करती हैं. स्कंदमाता को अपना नाम अपने पुत्र के साथ जोड़ना बहुत अच्छा लगता है. इसलिए इन्हें स्नेह और ममता की देवी माना जाता है.

इस मंत्र का करें जाप

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥

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