रायपुर: आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस (world no tobacco day) है. हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस (world no tobacco day) दुनिया भर में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य लोगों को तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में बताना और उससे दूर रहना है. इस साल विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम 'छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध' है.
देशभर में नशे के लिए इस्तेमाल होने वाले सामानों में तंबाकू और उससे बनने वाले उप्ताद सबसे ज्यादा यूज किए जाते हैं. सुदूर गांव से लेकर शहरों तक इसके अलग अलग उत्पाद की मांग है. तंबाकू के चलते कैंसर जैसी बीमारी होने की चेतावनी देने के बाद भी इसे खाने वाले नहीं मानते. तंबाकू को गुटखा, सिगरेट बीड़ी, चूना मिला कर सीधे चबाकर बहुतायत में उपयोग किया जाता है. तंबाकूयुक्त मंजन भी लोग इस्तेमाल करते हैं. इससे होने वाली बीमारियों से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है. मुंह-गले के कैंसर के लिए तंबाकू को ही सबसे बड़ा कारक माना जाता है. इसी के चलते 31 मई को तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है.
छत्तीसगढ़ में युवाओं के साथ बच्चे भी हो रहे तंबाकू के शिकार
छत्तीसगढ़ में तंबाकू की लत से बच्चे भी नहीं बच पा रहे हैं. हर साल बड़े पैमाने पर बच्चे भी तंबाकू इस्तेमाल करने वालों में शामिल हो रहे हैं. भले ही सरकार ने गुटखा बेचने पर पाबंदी लगा रखी हो लेकिन, पान मसालों और अन्य माध्यमों से इसे धड़ल्ले से बेचा जा रहा है. ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2016-17 के अनुसार छत्तीसगढ़ में 39.1 प्रतिशत लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. यह देश की औसतन 28.4 प्रतिशत से अधिक है. इसमें 7 प्रतिशत लोग ऐसे थे, जिन्होंने 15 वर्ष की उम्र से पहले ही तंबाकू का सेवन शुरू कर दिया था. 29 प्रतिशत ने 15-17 वर्ष की उम्र से और 35.4 प्रतिशत ने 18-19 वर्ष में सेवन शुरू किया है. औसतन 18.5 वर्ष की आयु में तंबाकू का सेवन शुरू किया था. ग्लोबल अडल्ट टोबैको सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 14 साल से कम आयुवर्ग में तंबाकू, सिगरेट का सेवन भारत में सर्वाधिक है.
40 फीसदी मुंह के कैंसर के मरीज
एक रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कैंसर के मरीजों में 40 फीसदी मुंह के कैंसर के मरीज हैं. इसी तरह मेकाहारा स्थित कैंसर संस्थान में इलाज करा रहे मुंह, गले और फेफड़े के कैंसर के करीब 80 फीसदी मरीज ऐसे होते हैं जो कि तंबाकू युक्त गुटखा, सिगरेट, बीड़ी जैसे नशा के आदि होते हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तंबाकू समाज में किस कदर जहर घोल रहा है.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर तंबाकू को कहिए 'नो'
इस सामाजिक बुराई से लड़ने की जरूरत है. क्योंकि सहज उपलब्ध ये नशा धीरे-धीरे न केवल एक जीवन पर ग्रहण लगाता है बल्कि इसके चलते पूरा परिवार ही अस्त-व्यस्त हो जाता है. क्योंकि पहले लोग इसके नशे में अपना समय और धन गंवाते हैं. फिर इससे होने वाली बीमारियों के इलाज में अपनी गाढ़ी संपत्ति खो देते हैं. प्रदेश में कई कम आय वाले ग्रामीण भी इससे होने वाली बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं और इसके इलाज में अपनी जमीन आदि तक बेचना पड़ रहा है. इसलिए इस साल के तंबाकू निषेध दिवस की थीम ‘छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध’ को अपने जीवन में उतारना होगा, तभी हम इस बुराई को मात दे पाएंगे.