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विश्व उपभोक्ता दिवस: बढ़ रही दर्ज होने वाले केस की संख्या, फिर भी जागरूकता की जरूरत

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Published : Mar 14, 2021, 3:45 PM IST

Updated : Mar 15, 2021, 9:08 AM IST

आप जब कोई सामान बाजार से खरीदते हैं या कोई सेवा लेते हैं. आप उपभोक्ता बन जाते हैं. ऐसे में आपके कुछ अधिकार भी होते हैं. इन्हीं अधिकारों के संरक्षण और जागरूकता को लेकर हर साल 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है.

World Consumer Day know What to do before making complaint to Consumer Disputes Redressal Commission in raipur
विश्व उपभोक्ता दिवस

रायपुर: हर साल की तरह इस साल भी 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जा रहा है. इस दौरान उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहां पर भी उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए समय-समय पर संबंधित विभागों की तरफ से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है.

विश्व उपभोक्ता दिवस

उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में मिलता है न्याय

कई बार यह देखने को मिलता है कि दुकानदार, बैंक, बीमा कंपनी या अन्य संस्था ग्राहकों के साथ मनमानी करने लगते हैं. उपभोक्ता को कई बार घटिया सामान या सेवा देकर चूना लगा दिया जाता है. इंश्योरेंस कंपनी बीमा कराने के बावजूद ग्राहक को पैसे नहीं देती है. ऐसे में 'उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग' उन्हें न्याय देता है. उपभोक्ता के हितों के संरक्षण और उपभोक्ता विवादों के त्वरित निराकरण के लिए 'उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग' बनाया गया है. इसमें बैंकिंग, मेडिकल, टेलीफोन, इंश्योरेंस, हाउसिंग, इलेक्ट्रिसिटी, एयरलाइंस, रेलवे सहित कई संस्थानों के खिलाफ उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में उपभोक्ता फोरम की संख्या

  • राज्य स्तरीय उपभोक्ता आयोग- 1
  • जिला उपभोक्ता फोरम/ जिला आयोग- 16

5 लाख रुपये तक की शिकायत के लिए कोई शुल्क नहीं

जिला आयोग में 5 लाख रुपये तक की शिकायत के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है. इसके बाद 10 लाख तक के लिए 200 रुपये, 20 लाख तक के लिए 400 रुपये, 50 लाख तक के लिए 1 हजार रुपये और एक करोड़ के लिए 2 हजार रुपये शुल्क निर्धारित है. राज्य आयोग में शिकायत के लिए 1 करोड़ से अधिक और 2 करोड़ रुपये तक ढाई हजार रुपये, 4 करोड़ तक 3 हजार रुपये, 6 करोड़ तक 4 हजार रुपये, 8 करोड़ तक 5 हजार रुपये और 10 करोड़ तक 6 हजार रुपये लिए जाते हैं. इससे ज्यादा रकम की शिकायत के लिए राष्ट्रीय आयोग में 10 करोड़ से अधिक के लिए 7500 रुपये शुल्क लिया जाता है.

'राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग' में तीन प्रकार के प्रकरण आते हैं. जिसमें मूल शिकायत, अपीली प्रकरण और विभिन्न प्रकार के प्रकरण शामिल हैं.

World Consumer Day know What to do before making complaint to Consumer Disputes Redressal Commission in raipur
विश्व उपभोक्ता दिवस

नवंबर 2002 से जनवरी 2021 तक शिकायत के आंकड़े

मूल शिकायत666
निराकृत593
लंबित73
अपीलीय प्रकरण14930
निराकृत14638
लंबित292
विविध प्रकरण885
निराकृत868
लंबित17

इस तरह यदि तीनों प्रकरणों में देखा जाए तो मात्र 382 मामले ही लंबित हैं. आइए अब एक नजर डालते हैं छत्तीसगढ़ के समस्त जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में दर्ज आंकड़ों पर.

नवंबर 2002 से दिसंबर 2020 तक दर्ज मामले

मूल शिकायत63114
निराकृत54576
लंबित8538

जागो ग्राहक जागो: 3 सालों में बस्तर से मात्र 5 शिकायत उपभोक्ता फोरम में हुई दर्ज

दर्ज मामले बढ़े, फिर भी उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी

उपभोक्ता आयोग के मामलों को देखने वाले वकील नूतन कुमार साहू बताते हैं कि उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में ज्यादातर खराब माल, निर्धारित दर से अधिक कीमत पर वस्तु बेचे जाने की शिकायत आती है. नूतन ने बताया कि अब लोग धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं और सेवा में किसी प्रकार की कमी होने पर कंपनी और संस्थान के खिलाफ शिकायत करने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पहुंच रहे हैं. बावजूद इसके अभी लोगों को और जागरूक करने की जरूरत है.

एक आवेदन से दर्ज कराई जा सकती है शिकायत

उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में शिकायत करने की प्रक्रिया को लेकर नूतन कुमार साहू ने बताया, इसकी प्रक्रिया बहुत ही आसान है. एक आवेदन देकर आयोग में शिकायत की जा सकती है. इस आवेदन को ग्राहक खुद या फिर वकील के माध्यम से लगा सकता है. साथ ही इसके लिए फीस भी नाम मात्र की होती है. यहीं वजह है कि अब लोग धीरे-धीरे अपने अधिकारों के लिए उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की ओर रुख कर रहे हैं.

शिकायत के बाद के केस लड़ने से पीछे हट जाते हैं उपभोक्ता

एडवोकेट नूतन बताते हैं, कई बार यह भी देखा गया है कि ग्राहक आयोग में शिकायत तो कर देते हैं, लेकिन बाद में केस लड़ने से मना कर देते हैं.

कंपनी में शिकायत नहीं करते उपभोक्ता

कई बार यह भी देखा गया है कि उपभोक्ता को यदि किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो वह कंपनी में शिकायत करने की बजाय सीधे उपभोक्ता आयोग चले जाते है. ऐसे मामलों की संख्या आयोग में लगातार बढ़ रही है.

समाधान न होने पर ही आयोग पहुंचे उपभोक्ता

उपभोक्ताओं के सीधे आयोग चले जाने को लेकर आयोग ने चिंता भी जाहिर की है. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सीबी बाजपेयी का मानना है कि उपभोक्ता को किसी प्रकार की समस्या होने पर पहले कंपनी में शिकायत करनी चाहिए. उन्हें अपनी समस्या बतानी चाहिए और आपसी समझौते से समस्या का समाधान करना चाहिए. जब समस्या का समाधान ना हो तब आयोग की ओर रुख करना चाहिए. लेकिन ज्यादातर उपभोक्ता सीधे आयोग में शिकायत करने आ जाते हैं. जिससे आयोग पर दबाव बढ़ जाता है.

उपभोक्ताओं में बढ़ी जागरूकता

आयोग में लगातार बढ़ रहे मामले यह बताते हैं कि अब उपभोक्ताओं में जागरूकता आई है और वे अपने अधिकारों के लिए आयोग की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन इस बीच उपभोक्ताओं को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि आयोग जाने के पहले अपनी समस्या संबंधित कंपनी और संस्थाओं को जरूर बताएं. हो सकता है कि उनकी समस्या का समाधान तत्काल और आपसी सहमति से हो जाए. इसका ये भी मतलब नहीं है कि ग्राहक अपने अधिकारों के लिए ना लड़े. यदि उसे कंपनी और संस्थान से समस्या का समाधान नहीं मिलता है तो जरूर उपभोक्ता को आयोग की ओर रुख करना चाहिए.

अमेरिका से हुई थी उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत

दुनिया में पहली बार अमेरिका में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत हुई थी. अमेरिका के बाद भारत में 1966 में मुंबई से उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इसके बाद 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद कई राज्यों में उपभोक्ता कल्याण के लिए संस्थाओं का गठन किया गया. 9 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बार देशभर में लागू हुआ.

रायपुर: हर साल की तरह इस साल भी 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता दिवस मनाया जा रहा है. इस दौरान उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो यहां पर भी उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए समय-समय पर संबंधित विभागों की तरफ से विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है.

विश्व उपभोक्ता दिवस

उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में मिलता है न्याय

कई बार यह देखने को मिलता है कि दुकानदार, बैंक, बीमा कंपनी या अन्य संस्था ग्राहकों के साथ मनमानी करने लगते हैं. उपभोक्ता को कई बार घटिया सामान या सेवा देकर चूना लगा दिया जाता है. इंश्योरेंस कंपनी बीमा कराने के बावजूद ग्राहक को पैसे नहीं देती है. ऐसे में 'उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग' उन्हें न्याय देता है. उपभोक्ता के हितों के संरक्षण और उपभोक्ता विवादों के त्वरित निराकरण के लिए 'उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग' बनाया गया है. इसमें बैंकिंग, मेडिकल, टेलीफोन, इंश्योरेंस, हाउसिंग, इलेक्ट्रिसिटी, एयरलाइंस, रेलवे सहित कई संस्थानों के खिलाफ उपभोक्ता अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

छत्तीसगढ़ में उपभोक्ता फोरम की संख्या

  • राज्य स्तरीय उपभोक्ता आयोग- 1
  • जिला उपभोक्ता फोरम/ जिला आयोग- 16

5 लाख रुपये तक की शिकायत के लिए कोई शुल्क नहीं

जिला आयोग में 5 लाख रुपये तक की शिकायत के लिए कोई शुल्क नहीं लगता है. इसके बाद 10 लाख तक के लिए 200 रुपये, 20 लाख तक के लिए 400 रुपये, 50 लाख तक के लिए 1 हजार रुपये और एक करोड़ के लिए 2 हजार रुपये शुल्क निर्धारित है. राज्य आयोग में शिकायत के लिए 1 करोड़ से अधिक और 2 करोड़ रुपये तक ढाई हजार रुपये, 4 करोड़ तक 3 हजार रुपये, 6 करोड़ तक 4 हजार रुपये, 8 करोड़ तक 5 हजार रुपये और 10 करोड़ तक 6 हजार रुपये लिए जाते हैं. इससे ज्यादा रकम की शिकायत के लिए राष्ट्रीय आयोग में 10 करोड़ से अधिक के लिए 7500 रुपये शुल्क लिया जाता है.

'राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग' में तीन प्रकार के प्रकरण आते हैं. जिसमें मूल शिकायत, अपीली प्रकरण और विभिन्न प्रकार के प्रकरण शामिल हैं.

World Consumer Day know What to do before making complaint to Consumer Disputes Redressal Commission in raipur
विश्व उपभोक्ता दिवस

नवंबर 2002 से जनवरी 2021 तक शिकायत के आंकड़े

मूल शिकायत666
निराकृत593
लंबित73
अपीलीय प्रकरण14930
निराकृत14638
लंबित292
विविध प्रकरण885
निराकृत868
लंबित17

इस तरह यदि तीनों प्रकरणों में देखा जाए तो मात्र 382 मामले ही लंबित हैं. आइए अब एक नजर डालते हैं छत्तीसगढ़ के समस्त जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में दर्ज आंकड़ों पर.

नवंबर 2002 से दिसंबर 2020 तक दर्ज मामले

मूल शिकायत63114
निराकृत54576
लंबित8538

जागो ग्राहक जागो: 3 सालों में बस्तर से मात्र 5 शिकायत उपभोक्ता फोरम में हुई दर्ज

दर्ज मामले बढ़े, फिर भी उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी

उपभोक्ता आयोग के मामलों को देखने वाले वकील नूतन कुमार साहू बताते हैं कि उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में ज्यादातर खराब माल, निर्धारित दर से अधिक कीमत पर वस्तु बेचे जाने की शिकायत आती है. नूतन ने बताया कि अब लोग धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं और सेवा में किसी प्रकार की कमी होने पर कंपनी और संस्थान के खिलाफ शिकायत करने उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग पहुंच रहे हैं. बावजूद इसके अभी लोगों को और जागरूक करने की जरूरत है.

एक आवेदन से दर्ज कराई जा सकती है शिकायत

उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में शिकायत करने की प्रक्रिया को लेकर नूतन कुमार साहू ने बताया, इसकी प्रक्रिया बहुत ही आसान है. एक आवेदन देकर आयोग में शिकायत की जा सकती है. इस आवेदन को ग्राहक खुद या फिर वकील के माध्यम से लगा सकता है. साथ ही इसके लिए फीस भी नाम मात्र की होती है. यहीं वजह है कि अब लोग धीरे-धीरे अपने अधिकारों के लिए उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग की ओर रुख कर रहे हैं.

शिकायत के बाद के केस लड़ने से पीछे हट जाते हैं उपभोक्ता

एडवोकेट नूतन बताते हैं, कई बार यह भी देखा गया है कि ग्राहक आयोग में शिकायत तो कर देते हैं, लेकिन बाद में केस लड़ने से मना कर देते हैं.

कंपनी में शिकायत नहीं करते उपभोक्ता

कई बार यह भी देखा गया है कि उपभोक्ता को यदि किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो वह कंपनी में शिकायत करने की बजाय सीधे उपभोक्ता आयोग चले जाते है. ऐसे मामलों की संख्या आयोग में लगातार बढ़ रही है.

समाधान न होने पर ही आयोग पहुंचे उपभोक्ता

उपभोक्ताओं के सीधे आयोग चले जाने को लेकर आयोग ने चिंता भी जाहिर की है. आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सीबी बाजपेयी का मानना है कि उपभोक्ता को किसी प्रकार की समस्या होने पर पहले कंपनी में शिकायत करनी चाहिए. उन्हें अपनी समस्या बतानी चाहिए और आपसी समझौते से समस्या का समाधान करना चाहिए. जब समस्या का समाधान ना हो तब आयोग की ओर रुख करना चाहिए. लेकिन ज्यादातर उपभोक्ता सीधे आयोग में शिकायत करने आ जाते हैं. जिससे आयोग पर दबाव बढ़ जाता है.

उपभोक्ताओं में बढ़ी जागरूकता

आयोग में लगातार बढ़ रहे मामले यह बताते हैं कि अब उपभोक्ताओं में जागरूकता आई है और वे अपने अधिकारों के लिए आयोग की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन इस बीच उपभोक्ताओं को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि आयोग जाने के पहले अपनी समस्या संबंधित कंपनी और संस्थाओं को जरूर बताएं. हो सकता है कि उनकी समस्या का समाधान तत्काल और आपसी सहमति से हो जाए. इसका ये भी मतलब नहीं है कि ग्राहक अपने अधिकारों के लिए ना लड़े. यदि उसे कंपनी और संस्थान से समस्या का समाधान नहीं मिलता है तो जरूर उपभोक्ता को आयोग की ओर रुख करना चाहिए.

अमेरिका से हुई थी उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत

दुनिया में पहली बार अमेरिका में उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत हुई थी. अमेरिका के बाद भारत में 1966 में मुंबई से उपभोक्ता आंदोलन की शुरुआत हुई थी. इसके बाद 1974 में पुणे में ग्राहक पंचायत की स्थापना के बाद कई राज्यों में उपभोक्ता कल्याण के लिए संस्थाओं का गठन किया गया. 9 दिसंबर 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पहल पर उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पारित किया गया और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बार देशभर में लागू हुआ.

Last Updated : Mar 15, 2021, 9:08 AM IST
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