रायपुर: दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ के बैनर तले दिवंगत पंचायत शिक्षकों की विधवाएं सड़क पर उतरने (Widow march of panchayat teachers in raipur) को मजबूर हैं. अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर राजधानी में 20 अक्टूबर से दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजन अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए हैं. 24 अक्टूबर से आमरण अनशन की शुरुआत भी हो गई है. शुक्रवार को दिवंगत पंचायत शिक्षक की विधवाओं ने अपनी मांग को लेकर पंचायत मंत्री रविंद्र चौबे के बंगले का घेराव करने जा रहे थे. पुलिस ने इन महिलाओं को स्मार्ट सिटी ऑफिस के पास रोक दिया. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों बीच काफी देर तक झूमाझटकी भी देखने को मिली. पुलिस के द्वारा लगाए गए बैरिकेटिंग के पास तहसीलदार को उन्होंने अपना ज्ञापन सौंपा. raipur latest news
सरकार हमें इच्छा मृत्यु दे या फिर अनुकंपा नियुक्ति दे: दिवंगत पंचायत शिक्षक की विधवाओं का कहना है कि "घेराव कार्यक्रम में स्वास्थ्य खराब होने के बाद 3 महिलाओं को तृप्ति रोहनकर, विद्या साहू और शांति साहू को मेकाहारा अस्पताल इलाज के लिए ले जाया गया था. जिसके बाद उनका ठीक ढंग से इलाज भी नहीं हुआ और वापस एंबुलेंस से तीनों महिलाओं को धरना स्थल पर छोड़ दिया गया. ऐसे में आखिर मजबूर विधवा महिलाएं कहां और किसके पास गुहार लगाने जाएंगे. रोते बिलखते हुए विधवा महिला ने कहा कि या तो हमें इच्छा मृत्यु दे दी जाए या फिर हमें अनुकंपा नियुक्ति दे दी जाए."panchayat teachers widows protest in raipur
जुलाई 2021 में 58 दिनों तक किए थे प्रदर्शन: जुलाई 2021 में दिवंगत पंचायत शिक्षक अनुकंपा संघ के बैनर तले दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजन 58 दिनों तक प्रदर्शन किए थे. इस प्रदर्शन में विधानसभा घेराव करने के साथ ही मुख्यमंत्री निवास का घेराव कर सरकार के खिलाफ विरोध जताया था. इसके बाद एक कमेटी गठित की गई थी, जो 3 महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने वाली थी. लेकिन आज 13 महीने बाद भी दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है. जिसके कारण इन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है.
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अनुकंपा नियुक्ति को लेकर सरकार के मापदंड कठिन: सरकार के द्वारा दिवंगत पंचायत शिक्षक के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए निर्धारित अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता बीएड डीएड और टीईटी की परीक्षा देनी होगी. जिसके आधार पर ही उनको अनुकंपा नियुक्ति मिल सकेगी. सरकार द्वारा कठिन मापदंड तय किए गए हैं, जिसके चलते उन्हें आज तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है. दिवंगत पंचायत शिक्षक के आश्रित परिवारों के पास दो वक्त की रोजी रोटी के साथ ही परिवार पालने के लिए भी पैसे नहीं है. ऐसे में डीएड बीएड और टीईटी की परीक्षा कहां से देंगे.
जिन शिक्षाकर्मियों का संविलियन हुआ, उनके परिजनों को मिली अनुकंपा नियुक्ति: प्रदेश सरकार ने 1 जुलाई 2018 को शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया था, ऐसे परिवार के मुखिया का निधन होने पर उनके आश्रितों को सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति दे दी है. साल 2006 से 2018 के बीच जितने पंचायत शिक्षकों के निधन हुए हैं, उनके आश्रितों को अब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिल पाई है. जिसके कारण इन आश्रित परिवारों को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है
प्रदेश में लगभग 935 दिवंगत पंचायत शिक्षक की हैं विधवाएं: पूरे प्रदेश में लगभग 935 दिवंगत पंचायत शिक्षक की विधवाएं और बच्चें हैं, जो अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि "डीएड, बीएड और टीईटी की अनिवार्यता को शिथिल करने की मांग की. साथ ही सभी दिवंगत पंचायत शिक्षक के परिजनों को उनके शैक्षणिक योग्यता के अनुसार तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी या फिर सहायक शिक्षकों के पद पर अथवा प्रयोगशाला शिक्षक के पदों पर और ग्राम पंचायत में सचिव के पदों पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान करने की मांग की. जिससे वे अपना और अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें.