रायपुर : एक पुरानी कहावत है कि दो बड़े लोगों के बीच लड़ाई होने पर बहुत छोटे लोगों का नुकसान जरुर होता (Do not build a house between two big buildings)है. जिस तरह से दो बड़ी ट्रकों के बीच कोई छोटी गाड़ी फंस जाए या फिर दो भीमकाय जानवरों के बीच कोई छोटा जानवर फंस जाए तो जो उसकी हालत होती है. लगभग उसी तरह से दो बड़े-बड़े विशालकाय भूखंडों के बीच छोटा प्लाट लिए जाने पर हो सकती है. कभी भी दो विशालकाय भवनों प्लॉट या क्षेत्र के बीच में कोई छोटा प्लाट का चयन नहीं करना चाहिए. इससे वास्तु का पालन नहीं हो पाता (relationship between vaastu and house) है. नकारात्मक ऊर्जा के द्वारा चारों ओर अशांति नुकसान हानि और मामले मुकदमें नकारात्मक चीजें जीवन में घटित होने लगती हैं.
दो बड़े भवनों के बीच क्यों नहीं बनाना चाहिए मकान क्या होता है नुकसान : ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "दो बड़े भवनों के बीच में छोटा मकान लिए जाने पर वहां पर सूर्य की किरणें सूर्य की तेजस्विता विटामिन डी और औषधिमय किरणों से मिलने वाले लाभ से वंचित से हो जाते हैं. ऐसे जगहों पर वायु का प्रवाह भी समुचित नहीं हो पाता है.आकाश, वायु, प्रकाश और भूमि तत्व पूरी तरह से प्रभावित हो जाते हैं. बड़े-बड़े भूखंडों में बोरवेल लगाकर अपने लिए जल की व्यवस्था कर लेते हैं. इसके परिणाम स्वरूप छोटे प्लाट में जल का स्तर कम हो सकता है. ऐसी अनेक व्यवहारिक तार्किक और वैज्ञानिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता (Why should not a house be built between two big buildings ) है."
हीनभावना का होता है प्रवेश : कभी भी दो विशालकाय बड़ी इमारतों के बीच में मकान नहीं बनाना चाहिए. यह अपने आप में एक कमजोर जोन का निर्माण कर लेता है. ऐसे स्थान में रहने वाले सदस्यों के मध्य हीनभावना का प्रवेश हो जाता है. ऐसे सदस्य सामान्य व्यवहार नहीं कर पाते हैं. ऐसे वास्तु क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जीवन असामान्य हो जाता है. हीन भावना सुपीरियारिटी कॉप्लेक्स के गुण विकसित हो जाते हैं. ऐसे स्थान में रहने वाले लोगों को विटामिन डी ऐसी अनेक चीजों की कमी होने की आशंका बढ़ जाती है. व्यवस्थाओं में बहुत बड़े-बड़े गतिरोध आते हैं.
कोर्ट के लगाने पड़ सकते हैं चक्कर : ऐसी जगहों पर रहने वाले लोगों पर मामले मुकदमे, इनकम टैक्स, जीएसटी, सेल टैक्स, एक्साइज के मामले मुकदमा दर्ज हो सकते हैं. ऐसे वास्तु क्षेत्र में नियमित यज्ञ हवन ध्यान और ईश्वर उपासना करने पर कुछ लाभ मिलने की संभावना बनती है. ऐसे वास्तु में निवासरत लोगों को पिरामिड तांबे की तार के माध्यम से वास्तु को ठीक करने का प्रयास करना चाहिए. ओम मंत्र का उच्चारण ऐसे क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नियमित रूप से करना चाहिए. श्री गायत्री मंत्र श्री महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) का पाठ भी कुछ हद तक राहत दे सकते हैं.
क्या हैं बचने के उपाय : फिर भी अनेक उपायों को करने के बाद भी क्षेत्र में रहने वाले जातक को स्थाई लाभ ना मिलने पर क्षेत्र विशेष का परित्याग कर देना चाहिए और किसी दूसरे स्थल पर वास्तु सम्मत मकान बनाकर विधि विधानपूर्वक पूजन कर गृह प्रवेश करना चाहिए. जिससे उसका जीवन सुखपूर्वक और आनंदपूर्वक बीत सके. जिस तरह से आपकी मित्र मंडली में 2 मित्र बहुत ही बड़े और ऊंचे पद में हैं और आप बहुत ही सामान्य पद में हैं तो यह संबंध बहुत लंबे समय तक पूरी अनुकूलता के साथ चलने की संभावना कम हो जाती है. अपने बराबरी वालों और सामान लोगों के मध्य व्यक्ति को जीवन गुजारना होता है.
ऐसे भवनों से रहें दूर : उसी प्रकार मनुष्य को अपने स्तर पर अपने योग्य और आजू बाजू रहने वाले सुयोग्य व्यक्तियों के बीच वास्तु का चयन करना चाहिए. बहुत ही ज्यादा बड़े भवन के बीच रहने से असंगतता और असमानता का सिद्धांत कार्य कर जाता है. फलस्वरूप व्यक्ति अनेक मानसिक परेशानियों का शिकार हो सकता है. परिणाम स्वरूप इस तरह के वास्तु क्षेत्र में जो दोनों ओर से बड़े-बड़े विशाल भवनों से सुसज्जित उसका त्याग कर देना ही उचित रहता है.