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क्यों सर्दियों के मौसम में होता है सबसे ज्यादा मूड स्विंग्स, जानिए

Mood swing increased in winter season सर्दियों का मौसम में अक्सर लोगों का मूड स्विंग्स होते रहता है. क्योंकि ठंड के मौसम का मेंटल हेल्थ से सीधा कनेक्शन होता है. इसके पीछे कई वजह हो सकते हैं. लेकिन ठंड के दिनों में हमारे रूटिन में आया बदलाव इसे और बढ़ा देता है. इसके पीछे भी एक वजह है. आइये जानते हैं कि मूड स्विंग्स के लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकते हैं. Winter Season Health Tips

Mood swing
मूड स्विंग्स
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 19, 2023, 4:20 AM IST

मूड स्विंग्स की वजह

रायपुर: बसंत ऋतु आते ही लोग काफी खुश और ताजा महसूस करते हैं. ठीक इसके विपरीत सर्दियों के दौरान लोगों में आलस बढ़ जाता है. लोगों के काम करने की क्षमता कम होने लगती है. ऐसा इसलिए क्योंकि सर्दियों के मौसम में लोग मौसम के अनुसार भावात्मक विकार से पीड़ित हो जाते हैं. जिससे आम दिनचर्या में भी काफी बदलाव देखने को मिलता है. साइकोलॉजी के अनुसार, इस बीमारी को एसएडी कहते हैं.

क्यों होता है मूड स्विंग्स: डॉ भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के मनोरोग विभाग की एचओडी डॉ सुरभि दुबे का कहना है कि "ठंड के मौसम में व्यक्ति ज्यादा आलसी होता है. क्योंकि धूप कम आती है. ठंड की वजह से लोगों को बहुत ज्यादा बाहर निकलने का मन नहीं करता. चहल कदमी भी नहीं होती. इस वजह से शरीर को धूप नहीं मिल पाती. जिस वजह से व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी और मेलाटोनिन की कमी हो जाती है. जिससे कमजोरी महसूस होने लगती है. मेलाटोनिन हमारे शरीर और दिमाग का स्लीप साइकिल को मॉनिटर करता है. नींद में गड़बड़ी होना, भूख कम लगना या बाथरूम जाने के टाइमिंग में गड़बड़ी होना. इस तरह के डिस्टरबेंस इस मौसम में हमें होने लगते हैं. ज्यादातर लोग घरों में दुबके रहते हैं. ऐसी आदतें ठंड में अक्सर देखने को मिलती है. जिसका असर मूड स्विंग के रूप में दिखाई देती है."


सर्दियों में होने वाले मूड स्विंग्स के लक्षण:

  1. हताश और बेचैनी महसूस करना,
  2. शरीर दर्द, सिर दर्द, ऐंठन या पाचन संबंधी समस्या होना,
  3. कभी एकदम खुश, तो उसी पल मन का उदास हो जाना,
  4. अचानक गुस्सा आना और फिर शांत हो जाना,
  5. नींद और भूख लगने के समय में बदलाव आना,
  6. वजन का अचानक बढ़ जाना या कम हो जाना,
  7. याददाश्त कमजोर होना,
  8. सामाजिक अलगाव या फिर अकेलापन महसूस करना,
  9. स्वभाव में गुस्सा और आक्रामकता का बढ़ना.

मूड स्विंग्स होने पर क्या करें: इससे बचने के लिए आप सुबह की धूप डेली लेते रहें. मॉर्निंग वॉक करें, एक्सरसाइज करें, प्राणायाम करने का प्रयास करें.यदि आपको ऐसा लग रहा है कि आपकी डे नाइट साइकिल डिस्टर्ब हो रही है, तो सही समय पर सोना, सही समय पर उठें. बहुत ज्यादा रात तक जगने से बचें.

मनोरोग विशेषज्ञ से करें संपर्क: सर्दियों की शुरुआती दिनों में यह मौसम में बदलाव के साथ सामान्य तौर पर लोगों में मूड स्विंग्स देखा जाता है. लोग घरों में रहना ज्यादा पसंद करते हैं. उसमें आलस आने लगता है. लेकिन यह बदलाव कुछ दिनों तक ही रहे, तो सही होता है. जब इस बदलाव का समय बढ़ता जाता है, तो आपको डॉक्टर के पास जाना जरूर हो जाता है. क्योंकि व्यक्ति इस बदलाव के कारण अपनी रोजाना की गतिविधियों में सक्रिय नहीं रह पाता. लोगों के नींद और भूख के पैटर्न में बदलाव होने लगता है. व्यक्ति का ज्यादा दिनों तक निराश रहना, यह सामान्य नहीं है.

क्यों होता है सर्दियों में मूड स्विंग्स: सर्दियों के अलावा बाकी मौसम में सूर्य का प्रकाश लोगों के शरीर को भरपूर मात्रा में मिलता है. लेकिन सर्दियों में सूर्य प्रकाश व्यक्ति के शरीर को भरपूर मात्रा में नहीं मिल पाता है. जिस वजह से व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी के साथ-साथ सेरोटोनिन का स्तर भी कम होने लगता है. यह एक मस्तिष्क का केमिकल है, जिसे न्यूरो ट्रांसमीटर भी कहा जाता है. इसी वजह से व्यक्ति का मूड प्रभावित होता है.

अगर आपको भी बेवजह पैर हिलाते रहने की आदत है, तो हो जायें सावधान !
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मूड स्विंग्स की वजह

रायपुर: बसंत ऋतु आते ही लोग काफी खुश और ताजा महसूस करते हैं. ठीक इसके विपरीत सर्दियों के दौरान लोगों में आलस बढ़ जाता है. लोगों के काम करने की क्षमता कम होने लगती है. ऐसा इसलिए क्योंकि सर्दियों के मौसम में लोग मौसम के अनुसार भावात्मक विकार से पीड़ित हो जाते हैं. जिससे आम दिनचर्या में भी काफी बदलाव देखने को मिलता है. साइकोलॉजी के अनुसार, इस बीमारी को एसएडी कहते हैं.

क्यों होता है मूड स्विंग्स: डॉ भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के मनोरोग विभाग की एचओडी डॉ सुरभि दुबे का कहना है कि "ठंड के मौसम में व्यक्ति ज्यादा आलसी होता है. क्योंकि धूप कम आती है. ठंड की वजह से लोगों को बहुत ज्यादा बाहर निकलने का मन नहीं करता. चहल कदमी भी नहीं होती. इस वजह से शरीर को धूप नहीं मिल पाती. जिस वजह से व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी और मेलाटोनिन की कमी हो जाती है. जिससे कमजोरी महसूस होने लगती है. मेलाटोनिन हमारे शरीर और दिमाग का स्लीप साइकिल को मॉनिटर करता है. नींद में गड़बड़ी होना, भूख कम लगना या बाथरूम जाने के टाइमिंग में गड़बड़ी होना. इस तरह के डिस्टरबेंस इस मौसम में हमें होने लगते हैं. ज्यादातर लोग घरों में दुबके रहते हैं. ऐसी आदतें ठंड में अक्सर देखने को मिलती है. जिसका असर मूड स्विंग के रूप में दिखाई देती है."


सर्दियों में होने वाले मूड स्विंग्स के लक्षण:

  1. हताश और बेचैनी महसूस करना,
  2. शरीर दर्द, सिर दर्द, ऐंठन या पाचन संबंधी समस्या होना,
  3. कभी एकदम खुश, तो उसी पल मन का उदास हो जाना,
  4. अचानक गुस्सा आना और फिर शांत हो जाना,
  5. नींद और भूख लगने के समय में बदलाव आना,
  6. वजन का अचानक बढ़ जाना या कम हो जाना,
  7. याददाश्त कमजोर होना,
  8. सामाजिक अलगाव या फिर अकेलापन महसूस करना,
  9. स्वभाव में गुस्सा और आक्रामकता का बढ़ना.

मूड स्विंग्स होने पर क्या करें: इससे बचने के लिए आप सुबह की धूप डेली लेते रहें. मॉर्निंग वॉक करें, एक्सरसाइज करें, प्राणायाम करने का प्रयास करें.यदि आपको ऐसा लग रहा है कि आपकी डे नाइट साइकिल डिस्टर्ब हो रही है, तो सही समय पर सोना, सही समय पर उठें. बहुत ज्यादा रात तक जगने से बचें.

मनोरोग विशेषज्ञ से करें संपर्क: सर्दियों की शुरुआती दिनों में यह मौसम में बदलाव के साथ सामान्य तौर पर लोगों में मूड स्विंग्स देखा जाता है. लोग घरों में रहना ज्यादा पसंद करते हैं. उसमें आलस आने लगता है. लेकिन यह बदलाव कुछ दिनों तक ही रहे, तो सही होता है. जब इस बदलाव का समय बढ़ता जाता है, तो आपको डॉक्टर के पास जाना जरूर हो जाता है. क्योंकि व्यक्ति इस बदलाव के कारण अपनी रोजाना की गतिविधियों में सक्रिय नहीं रह पाता. लोगों के नींद और भूख के पैटर्न में बदलाव होने लगता है. व्यक्ति का ज्यादा दिनों तक निराश रहना, यह सामान्य नहीं है.

क्यों होता है सर्दियों में मूड स्विंग्स: सर्दियों के अलावा बाकी मौसम में सूर्य का प्रकाश लोगों के शरीर को भरपूर मात्रा में मिलता है. लेकिन सर्दियों में सूर्य प्रकाश व्यक्ति के शरीर को भरपूर मात्रा में नहीं मिल पाता है. जिस वजह से व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी के साथ-साथ सेरोटोनिन का स्तर भी कम होने लगता है. यह एक मस्तिष्क का केमिकल है, जिसे न्यूरो ट्रांसमीटर भी कहा जाता है. इसी वजह से व्यक्ति का मूड प्रभावित होता है.

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