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आखिर छत्तीसगढ़ पहुंचते ही गजराज क्यों हो जाते हैं बेकाबू ?

छत्तीसगढ़ में हाथियों और मानव के बीच द्वंद (Elephants and human conflict) थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को भी अंबिकापुर में हाथियों ने स्कूटी सवार परिवार की जान ले ली. हाथियों के हमले में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई जिसमें एक महिला और एक 4 साल का बच्चा भी शामिल था.

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गजराज क्यों हो जाते हैं बेकाबू ?
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Published : Sep 10, 2021, 10:39 PM IST

Updated : Sep 11, 2021, 12:02 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में हाथियों और मानव के बीच द्वंद (Elephants and human conflict) थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को भी अंबिकापुर में हाथियों ने स्कूटी सवार परिवार की जान ले ली. हाथियों के हमले में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई जिसमें एक महिला और एक 4 साल का बच्चा भी शामिल था. इस दर्दनाक हादसे के बाद सभी के जेहन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर छत्तीसगढ़ में हाथियों को इतना गुस्सा (angry elephants) क्यों आ रहा है. जबकि हाथी सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी हैं. बावजूद इसके अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में ज्यादा मौत की घटनाएं देखने को मिल रही है.आइए सबसे पहले बात करते हैं कि इस द्वंद में कितने लोगों की मौत हुई है और कितने हाथी अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं.

गजराज क्यों हो जाते हैं बेकाबू ?

हाथियों के हमलों में 204 लोगों की मौत, 97 घायल

विधानसभा सत्र के दौरान जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक धर्मजीत सिंह के एक सवाल के लिखित जवाब में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने हाथियों के हमले (elephant attack) में होने वाली मौत के बारे में बताया था. उन्होंने बताया कि साल 2018, 2019 और 2020 में हाथियों के हमलों में 204 लोगों की मौत हुई है तथा 97 लोग घायल हुए हैं.

हाथी के हमले में 57 करोड़ से ज्यादा का दिया गया मुआवजा

इस अवधि के दौरान हाथियों से फसलों को नुकसान पहुंचाने के 66 हजार 582 मामले, घरों को नुकसान पहुंचाने के 5 हजार 47 मामले और अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के 3 हजार 151 मामले दर्ज किए गए हैं. इस अवधि में हाथियों के हमले में लोगों की मौत, घायल होने तथा फसलों घरों और अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के कुल 75 हजार 81 मामले दर्ज हुए हैं. इन 3 वर्षों में लोगों को 57 करोड़ 81 लाख 63 हजार 555 रुपए का मुआवजा दिया गया है.

45 हाथियों की भी हुई मौत

वन मंत्री के अनुसार छत्तीसगढ़ के उत्तर क्षेत्र के सरगुजा, जशपुर ,सूरजपुर ,रायगढ़ और कोरबा जिलों में मानव और हाथियों के बीच संघर्ष में लोगों के साथ-साथ हाथियों की भी जान गई है. 3 वर्षों के दौरान राज्य में 45 हाथियों की मृत्यु की जानकारी मिली है. इसमें से वर्ष 2018 में 16 हाथियों की, वर्ष 2019 में 11 हाथियों की, तथा वर्ष 2020 में 18 हाथियों की मृत्यु हुई है. जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पिछले 3 सालों में हाथियों के हमले से 204 लोगों की मौत हुई है. जबकि राज्य में इस दौरान 45 हाथियों की भी जान गई है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है आखिर शांत स्वभाव का माने जाने वाला हाथी छत्तीसगढ़ में आने के बाद अचानक से गुस्सा क्यों हो जा रहा है. इन सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश की ईटीवी भारत ने की है. ईटीवी भारत ने इस सिलसिले में न सिर्फ पशु चिकित्सक बल्कि पशु प्रेमी से भी बातचीत की और जानने की कोशिश की कि आखिर हाथी और मानव के बीच चल रहे इस द्वंद की मुख्य वजह क्या है. इसे कैसे रोका जा सकता है. छत्तीसगढ़ आते ही हाथी इतने गुस्से में क्यों हो जाते हैं इसके क्या कारण हैं.

'मनुष्य हाथियों को करते हैं उकसाने का काम'

पशु चुकित्सक डॉ संजय जैन का कहना है कि किसी भी प्राणी को गुस्सा तब आता है. जब उसकी मानसिक और शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो रही है. या उनको कहीं आघात लगा है. उसको प्रॉपर जितना भोजन मिलना चाहिए वह भोजन नहीं मिल रहा है. जंगल समाप्त होते जा रहे हैं, उन्हें खाने के लिए खास कुछ नहीं मिल रहा है. छुपने के लिए जंगल नहीं है. इस कारण से यह हाथी गांव की ओर अपना रुख कर रहे हैं. यहां लोग अपनी आत्मरक्षा के लिए डर के कारण हाथियों पर हमला कर रहे हैं या उनके साथ आमानवीय व्यवहार कर रहे हैं. उसके सामने पटाखे फोड़ते हैं डंडे से हमला करते हैं या अन्य किसी माध्यम से उन्हें भगाने की कोशिश करते हैं. इस वजह से भी हाथियों की गुस्सा आता है. हाथी नहीं जानते कि आप अपनी आत्म रक्षा के लिए ऐसा कर रहे हैं. बार-बार यदि ऐसी घटनाएं होती है तो इससे कहीं ना कहीं हाथी अपने बचाव के लिए इस तरह की आदत को अपना लेता है. लोगों पर हमला करने लगता है। ऐसी परिस्थिति में हमें इंसानों के साथ हाथियों को भी सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करना होगा इसके लिए भी योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा.

'हमें जंगल को बचाना होगा'

उन्होंने बताया कि हाथियों की यादाश्त बहुत अच्छी होती है. यही वजह है कि हो सकता है कि लोगों के द्वारा पूर्व में हाथियों को परेशान किया गया उसके साथ छेड़खानी की गई हो या फिर उसे किसी तरह नुकसान पहुंचाया गया हो. जिस वजह स हाथी राहगीरों पर हमला करते हैं. हाथियों और लोगों के बीच बेहतर रिश्ते बनाने के लिए हमें जंगल को बचाना होगा. उनके भोजन की व्यवस्था करनी होगी साथ ही लोगों को जागरूक करना होगा कि वे हाथियों के साथ कैसा बर्ताव करें. इसके अलावा हाथी बहुल राज्य का अध्ययन कर उस तर्ज पर भी हाथियों को नियंत्रित करने प्रयास करने होंगे.

माननी होगी पशु प्रेमियों की सलाह

वहीं पशु प्रेमी नितिन सिंघवी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में हाथियों को गुस्सा नहीं आ रहा है, बल्कि वे चिड़चिडे़ होते जा रहे हैं, क्योंकि लोगों का बर्ताव हाथियों को लेकर सही नहीं है. हाथी शांत स्वभाव के होते हैं ओर वह लोगों से एक निश्चित दूरी चाहते हैं लेकिन यहां लोगों के द्वारा हाथियों को परेशान किया जाता है. पटाखे फोड़े जाते हैं. उन पर हमले किए जाते हैं. जिस वजह से वे चिड़चिड़े हो गए हैं. सिंघवी ने लोगों से अपील की है कि जिस क्षेत्र में हाथी घूम रहे हो उस क्षेत्र में ना जाएं. वन विभाग द्वारा जारी निर्देशों पर अमल करें. तब इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है. इसके अलावा उन्होंने वन विभाग को भी हाथियों और इंसानों के बीच चल रहे द्वंद को रोकने के लिए बड़े स्तर पर पहल करने की बात कही है. सिंघवी ने कहा कि केरल में हाथियों को लेकर वन विभाग बेहतर काम कर रहा है. वहां का अलर्ट सिस्टम भी काफी अच्छा है और वहां हाथी की सूचना के बाद लोगों को उस क्षेत्र में जाने से रोक दिया जाता है. जिससे वहां घटनाएं नहीं होती है. इस दौरान सिंघवी ने जंगलों में बढ़ रही आबादी पर की चिंता जाहिर की है. इस आबादी की वजह से भी हाथी जंगल मे अपने आप को सुरक्षित नहीं मान रहे हैं.

बहरहाल हाथी के गुस्से को शांत करने के लिए शासन प्रशासन द्वारा अब तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया है. शासन प्रशासन सहित आम लोगों को भी जागरूक होना होगा जिससे हाथी ओर इंसान के बीच चल रहे द्वंद पर विराम लगाया जा सके.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में हाथियों और मानव के बीच द्वंद (Elephants and human conflict) थमने का नाम नहीं ले रहा है. बुधवार को भी अंबिकापुर में हाथियों ने स्कूटी सवार परिवार की जान ले ली. हाथियों के हमले में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो गई जिसमें एक महिला और एक 4 साल का बच्चा भी शामिल था. इस दर्दनाक हादसे के बाद सभी के जेहन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर छत्तीसगढ़ में हाथियों को इतना गुस्सा (angry elephants) क्यों आ रहा है. जबकि हाथी सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी हैं. बावजूद इसके अन्य राज्यों की अपेक्षा छत्तीसगढ़ में ज्यादा मौत की घटनाएं देखने को मिल रही है.आइए सबसे पहले बात करते हैं कि इस द्वंद में कितने लोगों की मौत हुई है और कितने हाथी अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं.

गजराज क्यों हो जाते हैं बेकाबू ?

हाथियों के हमलों में 204 लोगों की मौत, 97 घायल

विधानसभा सत्र के दौरान जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक धर्मजीत सिंह के एक सवाल के लिखित जवाब में वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने हाथियों के हमले (elephant attack) में होने वाली मौत के बारे में बताया था. उन्होंने बताया कि साल 2018, 2019 और 2020 में हाथियों के हमलों में 204 लोगों की मौत हुई है तथा 97 लोग घायल हुए हैं.

हाथी के हमले में 57 करोड़ से ज्यादा का दिया गया मुआवजा

इस अवधि के दौरान हाथियों से फसलों को नुकसान पहुंचाने के 66 हजार 582 मामले, घरों को नुकसान पहुंचाने के 5 हजार 47 मामले और अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के 3 हजार 151 मामले दर्ज किए गए हैं. इस अवधि में हाथियों के हमले में लोगों की मौत, घायल होने तथा फसलों घरों और अन्य संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के कुल 75 हजार 81 मामले दर्ज हुए हैं. इन 3 वर्षों में लोगों को 57 करोड़ 81 लाख 63 हजार 555 रुपए का मुआवजा दिया गया है.

45 हाथियों की भी हुई मौत

वन मंत्री के अनुसार छत्तीसगढ़ के उत्तर क्षेत्र के सरगुजा, जशपुर ,सूरजपुर ,रायगढ़ और कोरबा जिलों में मानव और हाथियों के बीच संघर्ष में लोगों के साथ-साथ हाथियों की भी जान गई है. 3 वर्षों के दौरान राज्य में 45 हाथियों की मृत्यु की जानकारी मिली है. इसमें से वर्ष 2018 में 16 हाथियों की, वर्ष 2019 में 11 हाथियों की, तथा वर्ष 2020 में 18 हाथियों की मृत्यु हुई है. जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में पिछले 3 सालों में हाथियों के हमले से 204 लोगों की मौत हुई है. जबकि राज्य में इस दौरान 45 हाथियों की भी जान गई है. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है आखिर शांत स्वभाव का माने जाने वाला हाथी छत्तीसगढ़ में आने के बाद अचानक से गुस्सा क्यों हो जा रहा है. इन सवालों का जवाब ढूंढने की कोशिश की ईटीवी भारत ने की है. ईटीवी भारत ने इस सिलसिले में न सिर्फ पशु चिकित्सक बल्कि पशु प्रेमी से भी बातचीत की और जानने की कोशिश की कि आखिर हाथी और मानव के बीच चल रहे इस द्वंद की मुख्य वजह क्या है. इसे कैसे रोका जा सकता है. छत्तीसगढ़ आते ही हाथी इतने गुस्से में क्यों हो जाते हैं इसके क्या कारण हैं.

'मनुष्य हाथियों को करते हैं उकसाने का काम'

पशु चुकित्सक डॉ संजय जैन का कहना है कि किसी भी प्राणी को गुस्सा तब आता है. जब उसकी मानसिक और शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं हो रही है. या उनको कहीं आघात लगा है. उसको प्रॉपर जितना भोजन मिलना चाहिए वह भोजन नहीं मिल रहा है. जंगल समाप्त होते जा रहे हैं, उन्हें खाने के लिए खास कुछ नहीं मिल रहा है. छुपने के लिए जंगल नहीं है. इस कारण से यह हाथी गांव की ओर अपना रुख कर रहे हैं. यहां लोग अपनी आत्मरक्षा के लिए डर के कारण हाथियों पर हमला कर रहे हैं या उनके साथ आमानवीय व्यवहार कर रहे हैं. उसके सामने पटाखे फोड़ते हैं डंडे से हमला करते हैं या अन्य किसी माध्यम से उन्हें भगाने की कोशिश करते हैं. इस वजह से भी हाथियों की गुस्सा आता है. हाथी नहीं जानते कि आप अपनी आत्म रक्षा के लिए ऐसा कर रहे हैं. बार-बार यदि ऐसी घटनाएं होती है तो इससे कहीं ना कहीं हाथी अपने बचाव के लिए इस तरह की आदत को अपना लेता है. लोगों पर हमला करने लगता है। ऐसी परिस्थिति में हमें इंसानों के साथ हाथियों को भी सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करना होगा इसके लिए भी योजनाबद्ध तरीके से काम करना होगा.

'हमें जंगल को बचाना होगा'

उन्होंने बताया कि हाथियों की यादाश्त बहुत अच्छी होती है. यही वजह है कि हो सकता है कि लोगों के द्वारा पूर्व में हाथियों को परेशान किया गया उसके साथ छेड़खानी की गई हो या फिर उसे किसी तरह नुकसान पहुंचाया गया हो. जिस वजह स हाथी राहगीरों पर हमला करते हैं. हाथियों और लोगों के बीच बेहतर रिश्ते बनाने के लिए हमें जंगल को बचाना होगा. उनके भोजन की व्यवस्था करनी होगी साथ ही लोगों को जागरूक करना होगा कि वे हाथियों के साथ कैसा बर्ताव करें. इसके अलावा हाथी बहुल राज्य का अध्ययन कर उस तर्ज पर भी हाथियों को नियंत्रित करने प्रयास करने होंगे.

माननी होगी पशु प्रेमियों की सलाह

वहीं पशु प्रेमी नितिन सिंघवी का कहना है कि छत्तीसगढ़ में हाथियों को गुस्सा नहीं आ रहा है, बल्कि वे चिड़चिडे़ होते जा रहे हैं, क्योंकि लोगों का बर्ताव हाथियों को लेकर सही नहीं है. हाथी शांत स्वभाव के होते हैं ओर वह लोगों से एक निश्चित दूरी चाहते हैं लेकिन यहां लोगों के द्वारा हाथियों को परेशान किया जाता है. पटाखे फोड़े जाते हैं. उन पर हमले किए जाते हैं. जिस वजह से वे चिड़चिड़े हो गए हैं. सिंघवी ने लोगों से अपील की है कि जिस क्षेत्र में हाथी घूम रहे हो उस क्षेत्र में ना जाएं. वन विभाग द्वारा जारी निर्देशों पर अमल करें. तब इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है. इसके अलावा उन्होंने वन विभाग को भी हाथियों और इंसानों के बीच चल रहे द्वंद को रोकने के लिए बड़े स्तर पर पहल करने की बात कही है. सिंघवी ने कहा कि केरल में हाथियों को लेकर वन विभाग बेहतर काम कर रहा है. वहां का अलर्ट सिस्टम भी काफी अच्छा है और वहां हाथी की सूचना के बाद लोगों को उस क्षेत्र में जाने से रोक दिया जाता है. जिससे वहां घटनाएं नहीं होती है. इस दौरान सिंघवी ने जंगलों में बढ़ रही आबादी पर की चिंता जाहिर की है. इस आबादी की वजह से भी हाथी जंगल मे अपने आप को सुरक्षित नहीं मान रहे हैं.

बहरहाल हाथी के गुस्से को शांत करने के लिए शासन प्रशासन द्वारा अब तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया है. शासन प्रशासन सहित आम लोगों को भी जागरूक होना होगा जिससे हाथी ओर इंसान के बीच चल रहे द्वंद पर विराम लगाया जा सके.

Last Updated : Sep 11, 2021, 12:02 AM IST
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