रायपुर: कटार, तलवार या छुरी को रखना पराक्रम वीरता साहस का प्रतीक माना जाता है. विवाह संस्कार (Marriage Rituals) में आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है. वर को आर्थिक, शैक्षणिक, सामाजिक दृष्टि के साथ-साथ अपनी सुरक्षा और अपने जीवन साथी की सुरक्षा के प्रति वचनबद्ध होना पड़ता है. आने वाले समय में अपने स्वयं और होने वाले परिवार का रक्षण करने के लिए संकल्पित और वचनबद्ध हूं. कोई भी अला बल या नकारात्मक शक्तियां मुझे या मेरे परिवार को प्रभावित नहीं कर सकती.
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इस बात को लेकर कटार, तलवार या छुरी रखने का प्रचलन है. यह सौंदर्य में भी वृद्धि करता है. प्राचीन समय में घोड़े पर ही राजकुमार तलवार लेकर विवाह के लिए जाते थे. उसी के अनुरूप यह परंपरा चली आ रही है. घोड़े पर बैठने के लिए साहस, उच्च, मनोबल और विश्वास की आवश्यकता होती है. अपने शौर्य का प्रदर्शन के लिए वर इस तलवार को रखता है.
राजस्थान में तोरण एक बाधा के रूप में परंपरा होती है. जिसे तलवार के द्वारा ही तोड़ा जाता है और वधू का वरण किया जाता है. तलवार रखने पर वर को वीरता का मान होता है और वह वधु को वरण करने के योग्य हो जाता है. दूल्हा जब घोड़ी पर बैठकर आता है तो अपने साथ तलवार या कटार लेकर आता है. इस तलवार से वह उस तोरण पर हल्की चोट करता है. कुछ दूल्हे उसे जोर से मारते हैं और कुछ दूल्हे धीरे से और कुछ दूल्हे उसे तलवार से छूते हैं. इस प्रकार यह रस्म करने के बाद दूल्हा दुल्हन के घर में प्रवेश करके उससे शादी करता है.
आखिर तोरण मारने के पीछे क्या रस्म
दंतकथा के अनुसार कहा जाता है कि एक तोरण नामक राक्षस था जो शादी के समय दुल्हन के घर के द्वार पर तोते का रूप धारण कर बैठ जाता था. दूल्हा जब द्वार पर आता था तो उसके शरीर में प्रवेश कर दुल्हन से स्वयं शादी रचा कर उसे परेशान करता था. एक बार एक राजकुमार जो विद्वान और बुद्धिमान था. शादी करने जब दुल्हन के घर में प्रवेश कर रहा था. तब अचानक उसकी नजर उस राक्षसी तोते पर पड़ी. उसने तुरंत तलवार से उसे मार गिराया. जिसके बाद शादी की रस्म पूरी की गई. बताया जाता है कि तब से ही तोरण मारने की परंपरा शुरू हुई.
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तोरण क्या होता है
वर्तमान समय में बाजार में सुंदर तोरण मिलते हैं. जिन पर गणेश जी और स्वास्तिक जैसे धार्मिक चिह्न अंकित होते हैं और दूल्हा उस पर तलवार या कटार से तोरण (राक्षस) मारने की रस्म पूरी करता है. यानी कि दूल्हा राक्षस की जगह गणेश जी या धार्मिक चिह्न पर वार करते हैं जो कि भारतीय परंपरा और धार्मिक दृष्टिकोण से उचित नहीं है.
एक तरफ हम शादी में गणेश पूजन कर उनको रिद्धि सिद्धि सहित शादी में आने का निमंत्रण देते हैं और दूसरी तरफ तलवार या कटार से उनका अपमान करते हैं. यह उचित नहीं है ऐसे में तोरण की रस्म को ध्यान में रखकर परंपरागत राक्षसी रूपी तोरण ही लगाकर रस्म निभाई जाए.