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मंत्री का वादा-2022: टीएस सिंहदेव के विभाग का लेखा-जोखा, नए साल की उम्मीदें और चुनौतियां?

छत्तीसगढ़ के पंचायत, स्वास्थ्य और वाणिज्यिक कर (जीएसटी) मंत्री टीएस सिंहदेव के मुताबिक साल 2021 छत्तीसगढ़ के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है. साल 2022 में नए संकल्प के साथ काम करेंगे. सिंहदेव ने सरकारी कर्मचारियों, बुजुर्गों, महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के साथ ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर काम करने का वादा किया है.

Health Minister TS Singhdeo
स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव
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Published : Dec 27, 2021, 3:12 PM IST

Updated : Dec 29, 2021, 2:12 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में साल 2021 काफी उथल-पुथल भरा रहा है. 2021 की शुरुआत कोरोना वायरस के संक्रमण के संभावित खतरे से हुई और इसका अंत भी कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन (Variant Omicron) के साये के साथ हो रहा है. अप्रैल-2021 में कोविड संक्रमण तेजी से फैला और काफी लोगों की मौत भी हुई. छत्तीसगढ़ में कोरोने से बचने के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया गया, ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant in Chhattisgarh) भी लगाए गए. कोरोना सेंटर्स के साथ ही रायपुर में बच्चों के लिए एक अलग से अस्पताल भी खोला गया. मेकाहारा में अलग से महिलाओं के लिए वॉर्ड भी बनाया गया. साल 2021 के आखिरी महीनों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी. लेकिन साल के आखिरी महीने यानी दिसंबर में एक बार फिर ओमीक्रोन ने खतरे की घंटी बजा दी है. ऐसे में साल 2022 में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के सामने कैसी चुनौतियां हैं? साल 2022 में स्वास्थ्य विभाग की कार्ययोजना क्या है? इन तमाम मसलों पर ईटीवी भारत ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) से बातचीत की.

स्वास्थ्य और पंचायत का लेखा जोखा

2022 पर फोकस

टीएस सिंहदेव ने साल 2022 की कार्ययोजना पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि अभी बहुत काम करना बाकी है. सरकारी कर्मचारियों, वृद्धजनों के लिए बहुत कुछ करना है. महिला समूह के ऋण माफी के संबंध में सोचेंगे. कई ऐसी घोषणाएं हैं, जो अभी हमको पूरी करनी है. सभी काम हमने साफ मन से किया है और आगे भी कोशिश करते रहेंगे. हम सारी बातों को चुनौती के बजाय जिम्मेदारी मानते हुए करेंगे.

रायपुर में स्पेशल चाइल्ड हॉस्पिटल

सिंहदेव ने बताया कि कोरोना काल के दौरान रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज में कोविड केयर सेंटर बनाया गया. जब लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या कम होने लगी तो उस अस्पताल को बच्चों के अस्पताल में कन्वर्ट कर दिया गया. 40 बेड के इस अस्पताल में 20 जनरल बेड और 20 ऑक्सीजन बेड है. इस हॉस्पिटल में किड्स जोन भी बनाया गया है ताकि बच्चों का मन बहलता रहे. वार्ड को अलग-अलग रंगों से भी रंगा गया है ताकि बच्चों को हॉस्पिटल जैसी फीलिंग ना हो.

कोरोना काल के दौरान छत्तीसगढ़ में बनाए गए ऑक्सीजन प्लांट

कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात हुई थी. प्रदेश में कुल 113 ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने के आदेश जारी हुए हैं. इनमें से 76 प्लांट लगाए जा चुके हैं, जबकि 37 ऑक्सीजन प्लांट प्रोसेसिंग में है और जल्द लगाए जाएंगे. कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए गवर्नमेंट सेक्टर में वर्तमान में ऑक्सीजन बेड 6,859 और जनरल बेड 13,203 उपलब्ध हैं. छत्तीसगढ़ में करीब 1200 वेंटिलेटर बेड हैं.

काउंसलिंग और बॉण्ड को लेकर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल

सिंहदेव ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की कुछ मांगों को मान लिया गया है. 11 दिसंबर से जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है. वे 27 नवंबर से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन कर रहे थे. जूनियर डॉक्टरों की मांग थी कि काउंसलिंग जल्दी होनी चाहिए. पीजी करने के बाद 2 साल का बॉंड भरवाया जाता है. इसे खत्म कर 1 साल का किया जाए और मेडिकल कॉलेज में पोस्टिंग दी जाए.

छत्तीसगढ़ के लिए 2021 रहा चुनौतीपूर्ण

स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) ने बताया कि यह साल बहुत चुनौतीपूर्ण था. पहली लहर के बाद दूसरी लहर ने हमें प्रभावित किया. अप्रैल-मई महीने और आज तक 13,970 से ज्यादा लोगों की मौत छत्तीसगढ़ में हुई है. अप्रैल-मई महीने में 9000 लोगों की जान गई. फिलहाल बीस-पच्चीस संक्रमित ही मिल रहे हैं, उस समय एक दिन में 15000 लोग संक्रमित मिल रहे थे. ऐसी परिस्थिति का हमें सामना करना पड़ा था.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, नर्स, लैब टेक्नीशियन, असिस्टेंट, वार्डबॉय, वाहन चालक से लेकर सब लोगों ने एक तरीके से मोर्चा संभाला और सबसे ज्यादा संक्रमण जहां था, वहां डटे रहे और उसका सामना भी किया. बहुत लोगों की मदद भी की. नए वर्ष में आशा यही रखते हैं कि पहले से बेहतर परिस्थिति बने. कोरोना के केसेस आज भी काबू में नहीं है. लेकिन उम्मीद करेंगे कि नए साल में डॉक्टर्स कोरोना के इलाज का बेहतर तरीका विकसीत करेंगे.

सिंहदेव ने यह भी कहा कि अब हमें अनुभव हो गया है और कोरोना के साथ हमें जीना सीख लेना चाहिए. कोरोना के प्रोटोकॉल जैसे- हाथ साफ रखना, मास्क पहने रखना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते रहना है. छत्तीसगढ़ में करीब 95% लोगों को पहला डोज लग चुका है. अबतक पहला दूसरा डोज मिलाकर 3 करोड़ वैक्सीनेशन हो चुका है.

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि अब भी कुछ लोगों ने दूसरा डोज नहीं लिया है. फिलहाल 58% लोगों ने दूसरा डोज लगवाया हैं. जिन्होंने दोनों डोज लिए हैं, उनको कोरोना दोबारा हो तो सकता है लेकिन लक्षण गंभीर नहीं आएंगे. मृत्यु के चांसेस बहुत कम हो जाएंगे. समझदारी इसमें है कि हम आगे आएं और वैक्सीन के पहले और दूसरे डोज लगवा लें.

अब छत्तीसगढ़ में कोरोना से निपटने के लिए बेहतर व्यवस्था

नए साल में बूस्टर डोज और बच्चों को वैक्सीनेशन की अनुमति से राहत मिलेगी. कोरोना से निपटने के लिए पहले से काफी अच्छी व्यवस्था अब प्रदेश में हो गई है. अब उसको सुचारू रूप से रखने की जरूरत है. जब लोगों को जरूरत पड़े. तब ऑक्सीजन, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर यह सब उपलब्ध रहें. नए वेरिएंट ओमिक्रोन ने इस साल उपस्थिति दर्ज करा दी है. फिलहाल जो रिपोर्ट आ रही है, उससे यही पता चल रहा है कि ओमीक्रोन के लक्षण प्रभावशाली नहीं है.

घोषणा पत्र के लगभग सभी वादों को पूरा करने की कोशिश

सिंहदेव ने बताया कि घोषणापत्र के कई बिंदुओं पर सफलता मिली है. किसानों को प्रति क्विंटल धान का 2500 से ज्यादा मिल रहा है. यह सरकार की बड़ी सफलता है. धान खरीदी 66 हजार टन के आसपास से सरकार ने शुरू की थी. इस बार 1 लाख टन से ज्यादा धान की खरीदी होनी है. वनोपज का दाम, तेंदूपत्ता का दाम, 52 उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य में ले रहे हैं. नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी और रोका-छेका अभियान के साथ ही गोधन न्याय योजना से लोगों को लाभ मिल रहा है.

छत्तीसगढ़ में यूनिवर्सल पीडीएस सरकार ने कराया उपलब्ध

सिंहदेव के मुताबिक यूनिवर्सल पीडीएस से लोगों को लाभ मिल रहा है. 56 लाख परिवारों को एक रुपए किलो में चावल मिल रहा है. दूसरे लोगों को भी 10 किलो चावल मिल रहा है. बिजली बिल आधा करना एक बड़ा निर्णय था. इसमें करीब एक हजार करोड़ रुपए लग रहे हैं. घोषणापत्र के इस निर्णय को भी सरकार ने लागू किया है. छोटे भूखंडों की बिक्री पर रोक रोक थी. 5 डिसमिल से नीचे आप जमीन नहीं बेचा पा रहे थे.

सभी सेक्टर्स को आगे बढ़ाया

शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में आवासों का निर्माण कराया. अभी अटल आवास योजना में हम पीछे हैं. लेकिन उसमें आगे आना है. प्रधानमंत्री सड़क योजना में देश में सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ रहा है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है. पहले 38 लाख लोगों को 5 लाख तक का इलाज मिलता था.

अब राशन कार्डधारियों को कुछ गंभीर बीमारी होती है तो उनको 20 लाख तक का और बाकी एपीएल वर्ग के लिए भी मुख्यमंत्री की अनुमति से 20 लाख तक का उपचार मिल रहा है. इसके लिए सरकार ने 22 करोड़ खर्च सरकार किया है. डॉ. खूबचंद बघेल योजना लागू हुई है. इस योजना के तहत लगभग 825 करोड़ रुपए नागरिकों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं और 20 लाख तक का उपचार कराने वाली देश की यह पहली सरकार है.हम और बीमारियों को इस दायरे में लाकर इलाज के विस्तार को बढ़ाना चाहते हैं. ताकि लोगों के जेब पर इलाज के लिए दबाव ना बड़े खर्च करने की मजबूरी ना बने.

200 कृषि आधारित उद्योग खुले

कृषि के क्षेत्र में हमने काम किया है. सड़क के नेटवर्क के विस्तार में हमने काम किया है. विद्युत का विस्तार हुआ है. रोजगार की इकाइयां स्थापित करने के लिए उद्योगों को खोला है. 200 कृषि आधारित उद्योग खुले हैं.

घोषणा पत्र से प्रारंभ करके और भी बातें जो रायशुमारी से आती गई. गोबर का विग्रह एक संसाधन था. जिसके मूल्य नहीं लगी थी. उसके मूल्य लगाकर बहनों को उसका उचित मूल्य दिया गया है. उसका भी उपयोग हो और बेहतर परिस्थिति बन सके. छोटे बड़े सभी कई कामों को सरकार ने किया है. जब कोरोना था, उस समय भी यह करने की कोशिश की थी. मनरेगा में राष्ट्रीय स्तर पर कीर्तिमान कोरोना काल में बनाने का सौभाग्य छत्तीसगढ़ को मिला.

रायपुर: छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य के क्षेत्र में साल 2021 काफी उथल-पुथल भरा रहा है. 2021 की शुरुआत कोरोना वायरस के संक्रमण के संभावित खतरे से हुई और इसका अंत भी कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन (Variant Omicron) के साये के साथ हो रहा है. अप्रैल-2021 में कोविड संक्रमण तेजी से फैला और काफी लोगों की मौत भी हुई. छत्तीसगढ़ में कोरोने से बचने के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया गया, ऑक्सीजन प्लांट (Oxygen Plant in Chhattisgarh) भी लगाए गए. कोरोना सेंटर्स के साथ ही रायपुर में बच्चों के लिए एक अलग से अस्पताल भी खोला गया. मेकाहारा में अलग से महिलाओं के लिए वॉर्ड भी बनाया गया. साल 2021 के आखिरी महीनों में कोरोना संक्रमण की रफ्तार धीमी पड़ी. लेकिन साल के आखिरी महीने यानी दिसंबर में एक बार फिर ओमीक्रोन ने खतरे की घंटी बजा दी है. ऐसे में साल 2022 में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के सामने कैसी चुनौतियां हैं? साल 2022 में स्वास्थ्य विभाग की कार्ययोजना क्या है? इन तमाम मसलों पर ईटीवी भारत ने स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) से बातचीत की.

स्वास्थ्य और पंचायत का लेखा जोखा

2022 पर फोकस

टीएस सिंहदेव ने साल 2022 की कार्ययोजना पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि अभी बहुत काम करना बाकी है. सरकारी कर्मचारियों, वृद्धजनों के लिए बहुत कुछ करना है. महिला समूह के ऋण माफी के संबंध में सोचेंगे. कई ऐसी घोषणाएं हैं, जो अभी हमको पूरी करनी है. सभी काम हमने साफ मन से किया है और आगे भी कोशिश करते रहेंगे. हम सारी बातों को चुनौती के बजाय जिम्मेदारी मानते हुए करेंगे.

रायपुर में स्पेशल चाइल्ड हॉस्पिटल

सिंहदेव ने बताया कि कोरोना काल के दौरान रायपुर के आयुर्वेदिक कॉलेज में कोविड केयर सेंटर बनाया गया. जब लगातार संक्रमित मरीजों की संख्या कम होने लगी तो उस अस्पताल को बच्चों के अस्पताल में कन्वर्ट कर दिया गया. 40 बेड के इस अस्पताल में 20 जनरल बेड और 20 ऑक्सीजन बेड है. इस हॉस्पिटल में किड्स जोन भी बनाया गया है ताकि बच्चों का मन बहलता रहे. वार्ड को अलग-अलग रंगों से भी रंगा गया है ताकि बच्चों को हॉस्पिटल जैसी फीलिंग ना हो.

कोरोना काल के दौरान छत्तीसगढ़ में बनाए गए ऑक्सीजन प्लांट

कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए छत्तीसगढ़ में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात हुई थी. प्रदेश में कुल 113 ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने के आदेश जारी हुए हैं. इनमें से 76 प्लांट लगाए जा चुके हैं, जबकि 37 ऑक्सीजन प्लांट प्रोसेसिंग में है और जल्द लगाए जाएंगे. कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए गवर्नमेंट सेक्टर में वर्तमान में ऑक्सीजन बेड 6,859 और जनरल बेड 13,203 उपलब्ध हैं. छत्तीसगढ़ में करीब 1200 वेंटिलेटर बेड हैं.

काउंसलिंग और बॉण्ड को लेकर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल

सिंहदेव ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की कुछ मांगों को मान लिया गया है. 11 दिसंबर से जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है. वे 27 नवंबर से अनिश्चितकालीन प्रदर्शन कर रहे थे. जूनियर डॉक्टरों की मांग थी कि काउंसलिंग जल्दी होनी चाहिए. पीजी करने के बाद 2 साल का बॉंड भरवाया जाता है. इसे खत्म कर 1 साल का किया जाए और मेडिकल कॉलेज में पोस्टिंग दी जाए.

छत्तीसगढ़ के लिए 2021 रहा चुनौतीपूर्ण

स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव (Health Minister TS Singhdeo) ने बताया कि यह साल बहुत चुनौतीपूर्ण था. पहली लहर के बाद दूसरी लहर ने हमें प्रभावित किया. अप्रैल-मई महीने और आज तक 13,970 से ज्यादा लोगों की मौत छत्तीसगढ़ में हुई है. अप्रैल-मई महीने में 9000 लोगों की जान गई. फिलहाल बीस-पच्चीस संक्रमित ही मिल रहे हैं, उस समय एक दिन में 15000 लोग संक्रमित मिल रहे थे. ऐसी परिस्थिति का हमें सामना करना पड़ा था.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, कर्मचारी, नर्स, लैब टेक्नीशियन, असिस्टेंट, वार्डबॉय, वाहन चालक से लेकर सब लोगों ने एक तरीके से मोर्चा संभाला और सबसे ज्यादा संक्रमण जहां था, वहां डटे रहे और उसका सामना भी किया. बहुत लोगों की मदद भी की. नए वर्ष में आशा यही रखते हैं कि पहले से बेहतर परिस्थिति बने. कोरोना के केसेस आज भी काबू में नहीं है. लेकिन उम्मीद करेंगे कि नए साल में डॉक्टर्स कोरोना के इलाज का बेहतर तरीका विकसीत करेंगे.

सिंहदेव ने यह भी कहा कि अब हमें अनुभव हो गया है और कोरोना के साथ हमें जीना सीख लेना चाहिए. कोरोना के प्रोटोकॉल जैसे- हाथ साफ रखना, मास्क पहने रखना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते रहना है. छत्तीसगढ़ में करीब 95% लोगों को पहला डोज लग चुका है. अबतक पहला दूसरा डोज मिलाकर 3 करोड़ वैक्सीनेशन हो चुका है.

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि अब भी कुछ लोगों ने दूसरा डोज नहीं लिया है. फिलहाल 58% लोगों ने दूसरा डोज लगवाया हैं. जिन्होंने दोनों डोज लिए हैं, उनको कोरोना दोबारा हो तो सकता है लेकिन लक्षण गंभीर नहीं आएंगे. मृत्यु के चांसेस बहुत कम हो जाएंगे. समझदारी इसमें है कि हम आगे आएं और वैक्सीन के पहले और दूसरे डोज लगवा लें.

अब छत्तीसगढ़ में कोरोना से निपटने के लिए बेहतर व्यवस्था

नए साल में बूस्टर डोज और बच्चों को वैक्सीनेशन की अनुमति से राहत मिलेगी. कोरोना से निपटने के लिए पहले से काफी अच्छी व्यवस्था अब प्रदेश में हो गई है. अब उसको सुचारू रूप से रखने की जरूरत है. जब लोगों को जरूरत पड़े. तब ऑक्सीजन, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर यह सब उपलब्ध रहें. नए वेरिएंट ओमिक्रोन ने इस साल उपस्थिति दर्ज करा दी है. फिलहाल जो रिपोर्ट आ रही है, उससे यही पता चल रहा है कि ओमीक्रोन के लक्षण प्रभावशाली नहीं है.

घोषणा पत्र के लगभग सभी वादों को पूरा करने की कोशिश

सिंहदेव ने बताया कि घोषणापत्र के कई बिंदुओं पर सफलता मिली है. किसानों को प्रति क्विंटल धान का 2500 से ज्यादा मिल रहा है. यह सरकार की बड़ी सफलता है. धान खरीदी 66 हजार टन के आसपास से सरकार ने शुरू की थी. इस बार 1 लाख टन से ज्यादा धान की खरीदी होनी है. वनोपज का दाम, तेंदूपत्ता का दाम, 52 उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य में ले रहे हैं. नरवा, गरवा, घुरवा बाड़ी और रोका-छेका अभियान के साथ ही गोधन न्याय योजना से लोगों को लाभ मिल रहा है.

छत्तीसगढ़ में यूनिवर्सल पीडीएस सरकार ने कराया उपलब्ध

सिंहदेव के मुताबिक यूनिवर्सल पीडीएस से लोगों को लाभ मिल रहा है. 56 लाख परिवारों को एक रुपए किलो में चावल मिल रहा है. दूसरे लोगों को भी 10 किलो चावल मिल रहा है. बिजली बिल आधा करना एक बड़ा निर्णय था. इसमें करीब एक हजार करोड़ रुपए लग रहे हैं. घोषणापत्र के इस निर्णय को भी सरकार ने लागू किया है. छोटे भूखंडों की बिक्री पर रोक रोक थी. 5 डिसमिल से नीचे आप जमीन नहीं बेचा पा रहे थे.

सभी सेक्टर्स को आगे बढ़ाया

शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में आवासों का निर्माण कराया. अभी अटल आवास योजना में हम पीछे हैं. लेकिन उसमें आगे आना है. प्रधानमंत्री सड़क योजना में देश में सबसे अच्छे प्रदर्शन करने वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ रहा है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है. पहले 38 लाख लोगों को 5 लाख तक का इलाज मिलता था.

अब राशन कार्डधारियों को कुछ गंभीर बीमारी होती है तो उनको 20 लाख तक का और बाकी एपीएल वर्ग के लिए भी मुख्यमंत्री की अनुमति से 20 लाख तक का उपचार मिल रहा है. इसके लिए सरकार ने 22 करोड़ खर्च सरकार किया है. डॉ. खूबचंद बघेल योजना लागू हुई है. इस योजना के तहत लगभग 825 करोड़ रुपए नागरिकों के लिए उपलब्ध कराए गए हैं और 20 लाख तक का उपचार कराने वाली देश की यह पहली सरकार है.हम और बीमारियों को इस दायरे में लाकर इलाज के विस्तार को बढ़ाना चाहते हैं. ताकि लोगों के जेब पर इलाज के लिए दबाव ना बड़े खर्च करने की मजबूरी ना बने.

200 कृषि आधारित उद्योग खुले

कृषि के क्षेत्र में हमने काम किया है. सड़क के नेटवर्क के विस्तार में हमने काम किया है. विद्युत का विस्तार हुआ है. रोजगार की इकाइयां स्थापित करने के लिए उद्योगों को खोला है. 200 कृषि आधारित उद्योग खुले हैं.

घोषणा पत्र से प्रारंभ करके और भी बातें जो रायशुमारी से आती गई. गोबर का विग्रह एक संसाधन था. जिसके मूल्य नहीं लगी थी. उसके मूल्य लगाकर बहनों को उसका उचित मूल्य दिया गया है. उसका भी उपयोग हो और बेहतर परिस्थिति बन सके. छोटे बड़े सभी कई कामों को सरकार ने किया है. जब कोरोना था, उस समय भी यह करने की कोशिश की थी. मनरेगा में राष्ट्रीय स्तर पर कीर्तिमान कोरोना काल में बनाने का सौभाग्य छत्तीसगढ़ को मिला.

Last Updated : Dec 29, 2021, 2:12 PM IST
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