रायपुर: ज्योतिष शास्त्र में मुख्य रूप से 7 ग्रह होते हैं. 2 ग्रह छाया ग्रह माना जाता है. संगीत विज्ञान में मुख्य रूप से 7 स्वर माने गए हैं. आज भी आठवां स्वर कोई नहीं खोज पाया है. विवाह (Wediing special 2021 )का संबंध सात जन्मों के संबंधों तक है. इसलिए वैवाहिक संस्कार में सात फेरे और सात वचनों का विधान(Saat phere in marriage) माना गया है. इन्हें सप्तपदी भी कहा जाता है. प्राचीन काल में चार पुरुषार्थ के रूप में 4 फेरे लिए जाते थे. वह धर्म अर्थ काम और मोक्ष के प्रतीक थे. कालांतर में सात फेरों की परंपरा शुरू हुई. इसके साथ ही साथ 7 प्रमुख वचन दिए जाने का भी विधान प्रारंभ हुआ. यह सात फेरे अग्नि के समक्ष लिए जाते हैं. इसमें सावधानी रखने वाली बात यह है कि फेरे लेते समय और उसके बाद भी यज्ञ कुंड में अग्नि जलती रहे, उसमें समिधा आदि पर्याप्त मात्रा में हो.
सात का होता है महत्व
सात रंग, 7 दिन संगीत के 7 स्वर की तरह ही परिणय बंधन में सात फेरे लिए जाते (Take care of these special things at time of saat phere in marriage) हैं. हमारी परंपराओं में सीता-राम, राधा-कृष्ण, गौरी-शंकर आदि लिखने की परंपरा है. अर्थात देवियों को प्रथम स्थान दिया जाता है. देवता को बाद में कहा भी जाता है. यत्र नार्यस्तु पूज्यंते तत्र रमंते देवता अर्थात जहां पर नारियों का सम्मान होता है. वहां पर देवता भी निवास करते हैं. इसलिए इन सात फेरों में वधू आगे बढ़कर नेतृत्व करती हैं. इन फेरो में कन्या प्रमुखता से आगे रहती है. वर पीछे रहते हैं. वधु वर से 7 वचन भी मांगती हैं. जिसके साक्षी बंधु बांधव समाज माता-पिता और मित्रगण होते हैं.
अग्नि का होता है महत्व
यह संपूर्ण प्रक्रिया आचार्य श्री के द्वारा करवाई जाती है. विवाह संस्कार में संपूर्ण क्रिया मंडप में की जाती है. ऊर्ध्वगामी अग्नि इस संपूर्ण क्रिया की साक्षी होती है. अग्नि सबसे शुद्ध और पवित्र मानी जाती है. यह विकारों और दोषों से रहित होती है. अग्नि का स्वभाव ऊपर की ओर जाना अर्थात उन्नति विकास और उत्थान का प्रतीक है. इस अग्नि से वर और वधू अपने जीवन को उन्नति शील पवित्र और शुद्ध बनाए रखने की प्रेरणा लेते हैं.
शादी में लिए जाने वाले 7 वचन
- प्रथम वचन में कन्या वर से मांगती है कि तीर्थ यात्रा तीर्थाटन व्रत उपवास और महोत्सव में आप मुझे सहभागी बनाएंगे. अर्थात मेरे बगैर तीर्थयात्रा नहीं करेंगे तो मैं आपके वाम अंग में बैठकर आपको पति के रूप में स्वीकार करती हैं. यदि यह आपको स्वीकार हो तो मैं आपकी अर्धांगिनी बनने को तैयार हूं.
- दूसरे वचन में कन्या वर से कहती है कि जिस तरह आप अपने माता-पिता की इज्जत करते हैं. वैसे ही मेरे माता-पिता को भी आप सम्मान प्रतिष्ठा प्रदान करेंगे अर्थात उन्हें भी अपना ही माता-पिता समझेंगे यदि आपको यह स्वीकार हो तो मैं आपके वाम अंग में आने को तैयार हूं.
- तीसरे वचन के रूप में कन्या वर से मांगती है कि यदि सभी अवस्थाओं में जैसे युवावस्था प्रौढ़ावस्था वृद्धावस्था आदि सभी अवस्थाओं में आप मेरा ख्याल रखेंगे तो मैं आपकी अर्धांगिनी बनने को तैयार हूं.
- चौथे वचन के रूप में कन्या वर से मांगती है कि आर्थिक रूप से आप मेरी सुरक्षा करेंगे और मेरे जीवन स्तर का खर्च वहन करने को तैयार हैं. तो मैं आपकी अर्धांगिनी बनने को तैयार हूं.
- पांचवे वचन के रूप में कन्या वर से मांगती है कि आप मुझे अपनी आजीविका के स्रोत आए और खर्च के संबंध में सलाह मशवरा करके राय लेंगे तो मैं आपकी अर्धांगिनी बनने को तैयार हूं.
- छंटवे वचन के रूप में कन्या वर से मांगती है कि मेरी सहेलियों के मध्य आप मुझे सम्मान देंगे मेरी इच्छाओं का मान रखेंगे और मेरी गरिमा बनाए रखेंगे. साथ ही आप शराब-जुआ, आलस्य, प्रमाद आदि से दूर रहेंगे तो मैं तो मैं आपकी धर्मपत्नी बनने को तैयार हूं.
- सातवें वचन के रूप में कन्या वर से मांगती है कि पराई स्त्रियों को आप मां की दृष्टि से देखेंगे तो मैं आपकी अर्धांगिनी बनने को तैयार हूं.