रायपुर: शादी (Wedding special 2021) की तिथि तय होने के बाद वर और कन्या को उनके रिश्तेदार बंधु बांधव सगे संबंधी इष्ट मित्र गण अपने-अपने घरों में केलवन (भोजन) के लिए बुलाते हैं. यह भोजन कराने की एक प्राचीन परंपरा है (History of tradition food before marriage). यह परंपरा महाराष्ट्र और विदर्भ आदि इलाकों में प्राचीन समय से चली आ(Tradition food before marriage) रही है.
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इस बारे में पंडित विनीत शर्मा (Pandit Vineet Sharma) बताते हैं कि केलवन (भोजन) परंपरा में परिणय (शादी) की तिथि तय होने के बाद नजदीकी रिश्तेदार वर और कन्या को अपनी अपनी सुविधानुसार आमंत्रित कर भोजन कराते हैं. कन्या पक्ष के रिश्तेदार कन्या को बुलाते हैं और वर पक्ष के रिश्तेदार वर को बुलाते हैं. वर को तिलक, चंदन आदि लगाकर पूजा किया जाता है. इस परंपरा में स्वादिष्ट पौष्टिक भोजन कराया जाता है. बंधु-बांधव वर को बुलाकर नगद द्रव्य उपहार गिफ्ट आदि भी भेंट करते हैं.
वधु को कराया जाता है परम्परागत तरीके से भोजन
इसी तरह कन्या पक्ष के रिश्तेदार कन्या को कुमकुम, चंदन, तिलक कर सम्मान देते हैं. शुद्ध सात्विक भोजन कराते हैं. साथ ही कई जगह हरी साड़ी, हरी चूड़ियां आदि देने का भी विधान है. कन्या को उसके प्रिय चीजें देकर उपहार दिया जाता है. कन्या को भोजन आदि कराया जाता है. इस परंपरा में भोजन को सुंदर ढंग से सजाया भी जाता है. केलवन (भोजन) वाले दिन घरों में रंगोली आदि सजाई जाती है. कई बार केले के पत्ते में भी प्राकृतिक रूप से वर और कन्या को अलग-अलग उनके सगे संबंधी हर्ष और आनंद के साथ भोजन कराते हैं. यह एक आदि काल से चली आ रही परंपरा है. महाराष्ट्रीयन समाज में यह परंपरा बहुत प्रचलित है.