रायपुर: दिसंबर से जून तक का सीजन शादियों का होता है. इस सीजन में भारत में लाखों लोग विवाह के बंधन में बंधते हैं. लेकिन इस साल कोरोना वायरस ने शादियों के सीजन पर ग्रहण लगा दिया. कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन ने शादी से जुड़े कई लोगों के बिजनेस को नुकसान पहुंचाया है. इनसे जुड़ा प्रमुख व्यवसाय है इवेंट ऑर्गेनाइजेशन का. लॉकडाउन के कारण प्रदेशभर के इवेंट ऑर्गेनाइजर को लगभग 800 करोड़ का नुकसान हुआ है.
मार्च से पहले तक की स्थिति कुछ और थी, जब कई लोग वेडिंग प्लानर से अपनी शादी ऑर्गेनाइज कराते थे और अपनी मैरिज को यादगार बनाना चाहते थे. लेकिन 25 मार्च के बाद लॉकडाउन ने इस सब पर ब्रेक लगा दिया, जिससे वेडिंग प्लानर पूरी तरह से निराश हो गए हैं. लॉकडाउन के कारण शादियों के साथ ही कई बड़ी कंपनियों के इवेंट्स भी बंद हो गए, जिससे ऑर्गनाइजर का पूरा बिजनेस खत्म ही हो गया है. एक अनुमान के मुताबिक छत्तीसगढ़ में 800 करोड़ रुपए का व्यापार प्रभावित हुआ है. वहीं सर्वे में ये बात सामने आई है कि 63.1 फीसदी नुकसान इवेंट मैनेजमेंट कंपनी को उठाना पड़ रहा है.
मुख्यमंत्री से मुलाकात कर बताएंगे समस्या
इवेंट मैनेजमेंट से काफी लोग जुड़े रहते हैं जैसे टेंट वालों, कैटरिंग वाले, फूल वाले. लॉकडाउन के कारण इस कारोबार से जुड़े लोगों सभी लोगों पर बुरा असर पड़ा है. कई इंवेट कंपनियां बंद होने की कगार पर आ गई हैं. इवेंट प्लानर तेजस मुखर्जी ने बताया कि, 'लॉकडाउन के बाद से मार्च से जुलाई तक के सारे वेडिंग और शो सब कैंसिल हो गया है. जिसके चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी क्षति पहुंची है. जल्द ही हम मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे और अपनी समस्या को रखेंगे'.
पढ़ें- निजी अनुबंधित अस्पतालों में भी कोरोना का होगा मुफ्त इलाज, सरकार ने दी इजाजत
किराया भंडार संचालक नवनीत सिंह चावला ने बताया कि 15 अप्रैल से सीजन चालू होने वाला था लेकिन लॉकडाउन के कारण 800 करोड़ के नुकसान होने की संभावना है. इस व्यवसाय से जुड़े गरीब लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है
कोरोना और लॉकडाउन के कारण सोशल गैदरिंग पर रोक लगी है, वहीं सरकार ने शादी के लिए भी सिर्फ 50 लोगों की अनुमति दी है. ऐसे में टेंट संचालक और वेडिंग प्लानर का ज्यादा रोल नहीं रह गया है. ऐसे में उन्हें उम्मीद भी सिर्फ सरकार से है. कोरोना संक्रमण के दौर में कुछ परिवारवालों के साथ हुई शादियों में लोगों का खर्च जरूर बचा लेकिन ऐसे समारोहों पर निर्भर लोगों के सामने रोजी-रोटी की मुसीबत खड़ी हो गई है.