रायपुर: रोहिणी नक्षत्र, शोभन योग, मातंग योग, कौलव और तैतिल करण के साथ 3 ग्रहों के उच्च और 2 ग्रहों के स्वग्रही होने के प्रभाव के साथ रवि योग जैसे शुभ नक्षत्र में उच्च के चंद्रमा, सूर्य और शुक्र के प्रभाव में अक्षय तृतीया के पावन पर्व मंगलवार वैशाख शुक्ल तृतीया 3 मई 2022 को मनाई जाएगी. अक्षय तृतीया को अबूझ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है. इस दिन देश में सर्वाधिक शादी-ब्याह बिना मुहूर्त के किए जाते (Beginning of new work in Akshaya Tritiya) हैं. अक्षय तृतीया को लेकर राजधानी में बाजार भी पूरी तरह से सज गया है, जिसमें मिट्टी के बर्तन, बांस के बने सूपा, टोकनी और शादी (wedding season 2022 ) में लगने वाले तमाम तरह के सामान बाजार में सज गए हैं. शादी-ब्याह के सीजन में लोग सोने-चांदी के जेवरात और कपड़े की खरीदी भी करते हैं.
इस दिन दुकानदारों को होता है ग्राहक का इंतजार: अक्षय तृतीया को लेकर राजधानी का गोल बाजार भी पूरी तरह से सज गया है. यहां पर मिट्टी के बने कलसा, दीये शादी में लगने वाले मौर श्रृंगार के सामान के साथ ही बांस के बने सूपा टोकनी और रंग-बिरंगे बांस के बने पंखा भी शादी-विवाह में काम आने वाली आवश्यक चीजें हैं. दुकानदारों का कहना है कि बीते 2 सालों तक कोरोना की वजह से उनका व्यापार प्रभावित हुआ था, लेकिन उन्हें इस बार अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है. अक्षय तृतीया का पर्व अब केवल 2 दिन ही शेष रह गया है, इन दुकानदारों को अब सिर्फ ग्राहकों का इंतजार है, जिससे बीते 2 सालों तक हुए नुकसान की थोड़ी बहुत भरपाई हो सके.
जेवरों की होती है जमकर खरीदी: 3 मई को होने वाले अक्षय तृतीया के पर्व को लेकर सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हरख मालू कहते हैं कि अक्षय तृतीया को लोग अबूझ मुहूर्त के नाम से जानते हैं. इस दिन बिना मुहूर्त के सर्वाधिक शादी-विवाह संपन्न होते हैं. शादी की तैयारियां लोगों ने शुरू कर दी है. लोग सोने-चांदी के जेवरात शादी-ब्याह के साथ ही सुरक्षित निवेश के हिसाब से खरीदी कर रहे हैं. अक्षय तृतीया अबूझ मुहूर्त होने के कारण लोग सोने-चांदी के जेवरात के साथ ही कपड़ों की खरीदी भी जमकर कर रहे हैं.
इस दिन किया गया काम होता है अक्षय: इस विषय में ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा कहते हैं कि यह तिथि अक्षय और अबूझ मानी जाती है. इस दिन कोई भी कार्य प्रारंभ करने पर उसका क्षरण नहीं होता है. इस दिन किया गया काम अक्षय बना रहता है. इस दिन को अबूझ पहेली के रूप में जाना जाता है. इस शुभ दिन सभी तरह के सोलह संस्कार गृह प्रवेश नवीन मकान खरीदना जमीन की रजिस्ट्री जमीन की खरीदी आदि बहुत ही शुभ माना गया है. पूरे भारतवर्ष में इस दिन सर्वाधिक विवाह होते हैं. इस दिन गुड्डे गुड़ियों का भी विवाह कर क्रीड़ा करने की परंपरा रही है.
यह भी पढ़ें: राहु, केतु का मेष और तुला राशि में आगमन, इन राशियों पर पड़ेगा प्रभाव
धरती को पापियों से किया मुक्त: गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित पूरे उत्तर भारत में अक्षय तृतीया के पर्व का विशेष महत्व माना गया है. ऐसी मान्यता है कि भागीरथ के अपरिमित प्रयास के फलस्वरूप गंगा माता का अवतरण भी इसी दिन हुआ था. इस दिन बद्रीनाथ, केदारनाथ यात्रा प्रारंभ होती है. साथ ही भगवान श्री हरि विष्णु के छठे अवतार भगवान श्री परशुराम जी का भी जन्म इस दिन मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री परशुराम ने हजारों बार इस धरती से पाप और आतंक फैलाने वाली शक्तियों का समूल नाश किया था. भगवान श्री परशुराम ने अपने पराक्रम, अपने धनुष और वीरता से अनेक बार धरती को पापियों से भी मुक्त किया था.
इन बातों का रखें ध्यान: इस दिन रोहिणी नक्षत्र, जो चंद्रमा को विशेष प्रिय है, जो संपूर्ण दिवस और रात्रि विद्यमान रहेगी. सूर्य चंद्र और शुक्र इस दिन उच्च राशि में भ्रमणशील रहेंगे. शनि योग के साथ और गुरु हंस योग के साथ इस त्यौहार की महत्ता को और बढ़ा रहे हैं. अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण आभूषण, हीरे जवाहरात, मोती, रत्न, चांदी के बर्तन, सोने के कड़े, सोने का मंगलसूत्र, चैन आदि खरीदने की परंपरा रही है. इस दिन स्टील, तांबे आदि के बर्तन भी खरीदे जाते हैं. कुल मिलाकर अक्षय तृतीया धनतेरस के समतुल्य त्यौहार माना गया है. यह अनेक उच्च ग्रहों के प्रभाव में पड़ने की वजह से बहुत ही शुभ होता है. अक्षय तृतीया के पर्व पर मिट्टी के घड़े ,मिट्टी की सुराही और जल पात्र दान देने का विधान है. इस के दिन प्रातः बेला में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान ध्यान से निवृत्त होकर भगवान श्री हरि विष्णु और भगवान श्री रामचंद्र जी की पूजा करनी चाहिए.