कांकेर: नियमित काम नहीं मिलने से बुनकर अपना काम छोड़ कर अब बीड़ी बनाने लगे हैं. खबर कांकेर जिले के सरंगपाल गांव की है. यही हाल रहा तो सरंगपाल गांव में हथकरघा बुनकर उद्योग ही समाप्त हो जाएगा.सरंगपाल के ग्रामीण लगभग 10 साल पहले बीड़ी बनाने का काम करते थे. जिससे उनके शरीर में विपरीत प्रभाव पढ़ने लगा था. लिहाजा, उन्हें जागरूक कर हथकरघा बुनकर व्यवसाय से जोड़ा गया. लेकिन कोरोना काल में व्यवसाय पर ऐसा बुरा प्रभाव पड़ा कि मजदूर आज फिर अपने पुराने काम में लग गए हैं.
सरंगपाल में बीड़ी बनाने वाले लोगों को हथकरघा बुनकर सहकारी समिति बनाकर इन्हें हथकरघा व्यवसाय से जोड़ा गया. इस व्यवसाय से जुड़कर उन्होंने बीड़ी बनाने का काम छोड़ दिया. हथकरघा व्यवसाय से अच्छी खासी आमदनी भी होने लगी. लेकिन कोरोना काल में इस व्यवसाय को ग्रहण लग गया. क्योंकि इन्हें न साप्ताहिक रूप से रुपये मिलते ना ही महीने में इन्हें रुपयों का भुगतान किया जाता.
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बंद होने के कगार पर हथकरघा व्यवसाय
जय मां दुर्गा बुनकर समिति के कमलेश देवांगन ने बताया कि कभी-कभी तो 4 महीने तक रुपये नहीं आते. ऐसी स्थिति में इन्होंने बुनकर का काम छोड़कर फिर से बीड़ी व्यवसाय को अपना लिया है. आज हथकरघा व्यवसाय में चंद लोग ही जुड़कर कपड़ा बुन रहे हैं. पारिश्रमिक वही पुराने ढर्रे पर हैं. लिहाजा यहां का हथकरघा व्यवसाय बंद होने के कगार पर है.
रोजी-रोटी की समस्या
ग्रामीणों का कहना है की रुपये नहीं मिलने की वजह से वे बीड़ी बनाने लगे हैं. लेकिन बीड़ी व्यवसाय से भी दिन भर में 100 रुपये ही कमाया जा सकता है. अब रोजी-रोटी की समस्या है. पेट भरना मुश्किल हो गया है. इस पर प्रशासन को ध्यान देना चाहिए. वहीं जिला पंचयात सीईओ संजय कन्नौजे ने कहा कि इस विषय में अधिकारियों से बात की जाएगी. जल्द ही ग्रामीणों की समस्या को निराकरण किया जाएगा.