रायपुर: वास्तु शास्त्र एक महान विज्ञान है. यह दिशाओं के रचनात्मक उपयोग के लिए प्रसिद्ध है. ऊर्जा का स्तर बढ़ाने के लिए वास्तु के नियमों का पालन किया जाता है. स्विमिंग पूल में व्यायाम करना एक बहुत अच्छी आदत है. तैरने से रक्त का प्रवाह शरीर का मोटापा और कई बीमारियों में अनेक तरह के लाभ मिलते हैं. इससे नस नड़ियां मजबूत होती हैं. ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि कौन सी दिशा में स्विमिंग पूल बनाना शुभ होता है..
तैराकी करने से मिलता है शरीर को फायदा: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "तैराकी करने से व्यक्ति को बहुत लाभ मिलता है. शरीर से मोटापा धीरे-धीरे कम होता है और शरीर नित्य स्फूर्तिवान और ताजा महसूस होता है. तैराकी शरीर के लिए बहुत ही लाभदायक क्रिया है. निश्चित ही तैराकी से सैकड़ों तरह के लाभ मिलते हैं. यह ऊर्जा के स्तर को एक नए लेवल पर ले जाता है. इसलिए स्विमिंग पूल का निर्माण ज्यादातर लोग अपने भवन और घरों में करते हैं.
ईशान कोण में स्विमिंग पुल होने के फायदे: भूतल में स्विमिंग पूल बनाए जाने के लिए ईशान कोण, उत्तर दिशा और पूर्व दिशा अनुकूल मानी गई है. ईशान दिशा में कम ऊंचाई या गड्ढे का होना शुभ माना गया है. इसी तरह उत्तर दिशा और पूर्व दिशा के लिए भी यह नियम लागू होते हैं. ईशान में गहराई और जल का होना सर्वश्रेष्ठ माना गया है. यदि स्विमिंग पूल ईशान कोण में है, तो वह भवन के लिए बहुत ही अनुकूल सिद्ध होता है. यहां पर नियमित तैराकी करने पर आरोग्य की प्राप्ति होती है.
जातक का ऊर्जा का स्तर बना रहता है उन्नत: स्विमिंग पूल में जल तत्व प्रधान रहता है. जल चंद्रमा का प्रतीक माना गया है. ईशान दिशा गुरु की दिशा मानी जाती है. यहां के स्वामी गुरु ग्रह माने गए हैं. चंद्रमा से उनका प्रबल मैत्रीय संबंध स्थापित हैं. दोनों ही मित्र माने गए हैं, इसलिए ईशान कोण में जल तत्व का होना बहुत ही शुभ और पक्षकारी माना गया है. इसी तरह उत्तर दिशा में भी स्विमिंग पूल को रखने पर वास्तु के अनुसार सकारात्मक लाभ मिलते हैं. पूर्व दिशा में भी जल को गहराई में स्थापित कर स्विमिंग पूल बनाना शुभ माना गया है."
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प्रथम तल या द्वितीय तल में स्विमिंग पूल की दिशा: ज्योतिष एवं वास्तुविद पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "जब हम होटल के अलावा प्रथम तल या द्वितीय तल में स्विमिंग पूल बनाते हैं, तो ईशान दिशा में इसे नहीं बनाना चाहिए. तब इसे नैरेत्रय कोण में बनाया जाना उचित रहता है. नैरेत्रय कोण भार और वजन के लिए जाना जाता है. यहां पर स्विमिंग पूल का भार और जल का भार एक अलग गुरुत्व पैदा करते हैं. इसलिए प्रथम तल या द्वितीय तल पर जब भी स्विमिंग पूल बनाएं, इसे नैरेत्रय कोण में बनाना शुभ माना गया है.
उत्तर और पूर्व दिशा में स्थापित करें स्विमिंग पूल: जब स्विमिंग पूल नैरेत्रय कोण में बना हो, तो इसकी दीवार ज्यादा मोटी हो और इस क्षेत्र में अधिक ऊंचाई दी जा सकती है. यहां पर ध्वज आदि का भी स्थापना करना शुभ माना गया है. तैराकी तन मन और आत्मा को भी ताजगी प्रदान करती है. जल तत्व से आपलावित होकर मनुष्य शुद्ध, ओजस्वी, तेजस्वी और हल्का महसूस करता है. तैराकी के माध्यम से सभी तरह के तनाव से राहत मिलती है. भूतल पर भी स्विमिंग पूल बनाएं, तो उत्तर और पूर्व दिशा में इसकी स्थापना करनी चाहिए."