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Main Door Vastu: वास्तु शास्त्र के जरिए जानिए द्वार बाधा को दूर करने के उपाय! - Tips placing home entrance

वास्तु शास्त्र में कई तरह के द्वार बाधा दोष बताए गए हैं. इसका प्रभाव हमारे जीवन पर परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप में निश्चित तौर पर (Vastu Shastra) पड़ता है. बाधाओं का समाधान नहीं करने पर कई तरह की परेशानियां और मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. इनमें से ही एक है द्वार बाधा दोष (door obstruction in Vastu Shastra). आपके घर में द्वार बाधा दोष होने से आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती है.

door obstruction in Vastu Shastra
वास्तु शास्त्र में द्वार बाधा दोष
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Published : Aug 1, 2022, 6:46 PM IST

Updated : Aug 1, 2022, 7:42 PM IST

रायपुर: इस धरती पर पशु पक्षी हों या मानव, सभी के लिए घर सबसे महत्वपूर्ण होता है. मानव भी जीवन भर अथक परिश्रम कर जमा पूंजी से अपने सपनों का घर बनाते हैं और जीवन के बचे दिन उसी घर में सुखपूर्वक बिताना चाहते हैं. लेकिन घर के निर्माण के समय सही दिशा और वास्तु का ध्यान न रखा जाये, तो उन्हे कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. शास्त्र में अनेक तरह के द्वार बाधा दोष बताए गए हैं, जिनका समाधान नहीं करने पर कई तरह की परेशानियां आती हैं.

जानिये क्या है 'द्वार बाधा' दोष: द्वार बाधा दोष के कारण हमारे जीवन में मामले, मुकदमे, आर्थिक परेशानियां, निजता पर हमला और ऐसे अनेक दोष सामने आ सकते हैं, जो हमारे जीवन को प्रतिकूल बना सकते हैं. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में मान्यता है कि अगर दरवाजे के ठीक सामने जल निकासी की नालियां, कीचड़ और बदबूदार नालियां हैं, तो यह स्थिति गरीबी, दरिद्रता, मानसिक कष्ट और अवसाद को जन्म देती है. उसी तरह मकान के ठीक सामने मुख्य द्वार के सामने कोई हैंडपंप है, तो यह भी द्वार दोष का कारक(door obstruction in Vastu Shastra) माना जाता है. ऐसी स्थिति में भी जीवन में अनेक परेशानियां आ सकती हैं.

वास्तु शास्त्र में द्वार बाधा दोष


ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "द्वार वेध में बताया गया है कि द्वार के सामने गाय, घोड़ा या बकरी बांधने का खूंटा अगर गड़ा हुआ है, तो इसे कील वेध कहते हैं. इसी तरह घर के मुख्य द्वार के सामने बिजली के खंभे, ट्रांसफार्मर, बिजली के उपकरण भी द्वार दोष को उत्पन्न (door obstruction in Vastu Shastra) करते हैं. ऐसी स्थिति में बिजली के खंभे ट्रांसफार्मर को उस स्थान से दूर हटाकर लगाने का प्रयास करना चाहिए. इसके साथ ही जातक को ऐसे वास्तु क्षेत्र में नियमित रूप से गौ माता की सेवा करनी चाहिए. प्रतिदिन गौमाता को आह्वान कर बुलाकर भोजन पदार्थ का दान करना चाहिए."

यह भी पढ़ें: वास्तु शास्त्र में तुलसी का क्या है महत्व जानिए !

मुख्य द्वार के सामने मंदिर की छाया पड़ने पर नियमित दर्शन करें: द्वार वेध की स्थिति में घर के सामने और घर की छतों पर पर्याप्त संख्या में सकोरे की स्थापना (door obstruction in Vastu Shastra) की जानी चाहिए. जिससे सूक्ष्म जीव, जंतु, पशु, पक्षी, चिड़िया जगत में अपना भरण पोषण कर सकें. घर के सामने के मुख्य द्वार पर मंदिर की छाया पड़ती है, तो ऐसे मंदिरों में नियमित दर्शन करना चाहिए. अमावस्या और पूर्णिमा काल में जरूरतमंद व्यक्ति की खूब सेवा करनी चाहिए. जरूरतमंद व्यक्ति को रक्तदान, धन और गुप्त दान की प्रक्रिया को पूरे आनंद के साथ अपनाना चाहिए. घर के मुख्य द्वार के सामने कीचड़, गंदी बदबूदार नाली हो, तो ऐसे क्षेत्र में अधिक संख्या में खुशबूदार पेड़ पौधे, पादप जगत की स्थापना करनी चाहिए. नाली के मार्ग को यथासंभव अनुकूलता के साथ ढकने का प्रयास करना चाहिए. संपूर्ण वास्तु क्षेत्र में नियमित रूप से गंगाजल का स्नान कराना चाहिए.

साफ, स्वच्छ और निर्मल स्थानों पर होता है लक्ष्मी का निवास: वास्तु शास्त्र यह कहता है कि माता लक्ष्मी को स्वच्छता, शुद्धता और निर्मलता पसंद है. मां का निवास ऐसे स्थान पर होता है, जहां पर शुद्धता और सफाई हो. इसलिए भवन या मकान को हर समय शुद्ध, स्वच्छ और निर्मल रखना चाहिए. हवादार खिड़कियों की स्थापना (door obstruction in Vastu Shastra) की जानी चाहिए. किसी अन्य तरह का वेध हो, तो घर किनारे भारी भरकम सामान जैसे भारी गमले, भारी पेड़ पौधे और पिरामिड की स्थापना की जानी चाहिए. ऐसे स्थानों पर मानव निर्मित छोटे छोटे पहाड़ बनाए जा सकते हैं.

रायपुर: इस धरती पर पशु पक्षी हों या मानव, सभी के लिए घर सबसे महत्वपूर्ण होता है. मानव भी जीवन भर अथक परिश्रम कर जमा पूंजी से अपने सपनों का घर बनाते हैं और जीवन के बचे दिन उसी घर में सुखपूर्वक बिताना चाहते हैं. लेकिन घर के निर्माण के समय सही दिशा और वास्तु का ध्यान न रखा जाये, तो उन्हे कई मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. शास्त्र में अनेक तरह के द्वार बाधा दोष बताए गए हैं, जिनका समाधान नहीं करने पर कई तरह की परेशानियां आती हैं.

जानिये क्या है 'द्वार बाधा' दोष: द्वार बाधा दोष के कारण हमारे जीवन में मामले, मुकदमे, आर्थिक परेशानियां, निजता पर हमला और ऐसे अनेक दोष सामने आ सकते हैं, जो हमारे जीवन को प्रतिकूल बना सकते हैं. वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) में मान्यता है कि अगर दरवाजे के ठीक सामने जल निकासी की नालियां, कीचड़ और बदबूदार नालियां हैं, तो यह स्थिति गरीबी, दरिद्रता, मानसिक कष्ट और अवसाद को जन्म देती है. उसी तरह मकान के ठीक सामने मुख्य द्वार के सामने कोई हैंडपंप है, तो यह भी द्वार दोष का कारक(door obstruction in Vastu Shastra) माना जाता है. ऐसी स्थिति में भी जीवन में अनेक परेशानियां आ सकती हैं.

वास्तु शास्त्र में द्वार बाधा दोष


ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "द्वार वेध में बताया गया है कि द्वार के सामने गाय, घोड़ा या बकरी बांधने का खूंटा अगर गड़ा हुआ है, तो इसे कील वेध कहते हैं. इसी तरह घर के मुख्य द्वार के सामने बिजली के खंभे, ट्रांसफार्मर, बिजली के उपकरण भी द्वार दोष को उत्पन्न (door obstruction in Vastu Shastra) करते हैं. ऐसी स्थिति में बिजली के खंभे ट्रांसफार्मर को उस स्थान से दूर हटाकर लगाने का प्रयास करना चाहिए. इसके साथ ही जातक को ऐसे वास्तु क्षेत्र में नियमित रूप से गौ माता की सेवा करनी चाहिए. प्रतिदिन गौमाता को आह्वान कर बुलाकर भोजन पदार्थ का दान करना चाहिए."

यह भी पढ़ें: वास्तु शास्त्र में तुलसी का क्या है महत्व जानिए !

मुख्य द्वार के सामने मंदिर की छाया पड़ने पर नियमित दर्शन करें: द्वार वेध की स्थिति में घर के सामने और घर की छतों पर पर्याप्त संख्या में सकोरे की स्थापना (door obstruction in Vastu Shastra) की जानी चाहिए. जिससे सूक्ष्म जीव, जंतु, पशु, पक्षी, चिड़िया जगत में अपना भरण पोषण कर सकें. घर के सामने के मुख्य द्वार पर मंदिर की छाया पड़ती है, तो ऐसे मंदिरों में नियमित दर्शन करना चाहिए. अमावस्या और पूर्णिमा काल में जरूरतमंद व्यक्ति की खूब सेवा करनी चाहिए. जरूरतमंद व्यक्ति को रक्तदान, धन और गुप्त दान की प्रक्रिया को पूरे आनंद के साथ अपनाना चाहिए. घर के मुख्य द्वार के सामने कीचड़, गंदी बदबूदार नाली हो, तो ऐसे क्षेत्र में अधिक संख्या में खुशबूदार पेड़ पौधे, पादप जगत की स्थापना करनी चाहिए. नाली के मार्ग को यथासंभव अनुकूलता के साथ ढकने का प्रयास करना चाहिए. संपूर्ण वास्तु क्षेत्र में नियमित रूप से गंगाजल का स्नान कराना चाहिए.

साफ, स्वच्छ और निर्मल स्थानों पर होता है लक्ष्मी का निवास: वास्तु शास्त्र यह कहता है कि माता लक्ष्मी को स्वच्छता, शुद्धता और निर्मलता पसंद है. मां का निवास ऐसे स्थान पर होता है, जहां पर शुद्धता और सफाई हो. इसलिए भवन या मकान को हर समय शुद्ध, स्वच्छ और निर्मल रखना चाहिए. हवादार खिड़कियों की स्थापना (door obstruction in Vastu Shastra) की जानी चाहिए. किसी अन्य तरह का वेध हो, तो घर किनारे भारी भरकम सामान जैसे भारी गमले, भारी पेड़ पौधे और पिरामिड की स्थापना की जानी चाहिए. ऐसे स्थानों पर मानव निर्मित छोटे छोटे पहाड़ बनाए जा सकते हैं.

Last Updated : Aug 1, 2022, 7:42 PM IST
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