रायपुर: छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव की शुरुआत हो चुकी है. इस नृत्य महोत्सव में देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए कलाकार अपने नृत्य की प्रस्तुति दे रहे हैं. महोत्सव में उत्तराखंड से आए कलाकारों ने भी अपने कृषि प्रधान भोटिया मुखौटा नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी.
उत्तराखंड में पुर्वजों की पूजा का विशेष महत्व है और भोटिया जनजाति के समाजिक और धार्मिक जीवन में भी यह महत्वपुर्ण स्थान रखता है. भोटिया जनजाति के लोग अपने पुर्वजों की स्मृति में उनके लकड़ी के मुखौटे तैयार करते हैं.
इन मुखौटों को अपने चेहरे पर लगाकर भादो और अश्विन महीने में फसल कटाई के बाद नृत्य करते हैं. इस नृत्य में पुरूष और महीला दोनों शामिल होते हैं. इस नृत्य में कृषि की सभी प्रक्रियाओं को दर्शाया जाता है. वहीं आदिवासी नृत्य महोत्सव में भोटिया जनजाति ने अपने इस प्रदर्शन से समा बांधा.