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SPECIAL: कोरोना काल में मोबाइल, लैपटॉप के दिख रहे साइड इफेक्ट, आंखों की बढ़ी परेशानी

कोरोना और लॉकडाउन के कारण मोबाइल और लैपटॉप का उपयोग बढ़ने से लोगों में आंखों से जुड़ी परेशानियां बढ़ने लगी है. इनमें ज्यादातर युवा और बच्चे हैं.

eye problem
आंखों की बढ़ी परेशानी
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Published : Jul 23, 2020, 6:35 PM IST

रायपुर: कोरोना वायरस ने देश-दुनिया के हालातों को बदल कर रख दिया है. सामान्य तौर पर दौड़-धूप वाली दिनचर्या ने लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ा दिया है. साथ ही इस दौर में लोग बदली हुई दिनचर्या के साथ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का बेतहाशा उपयोग कर रहे हैं. यहीं वजह है कि अब इस तरह की दिनचर्या लोगों के शरीर पर असर डालना शुरू कर रही है. इस दौर में लोगों का ज्यादा समय मोबाइल और लैपटॉप पर बीत रहा है, जिसका असर आंखों पर पड़ रह है. आंखों में जलन और ड्राइनेस की समस्या ज्यादा आ रही है, जिसमें युवा और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.

लैपटॉप के साइड इफेक्ट

पढ़ें: SPECIAL: छत्तीसगढ़ में बेकाबू हुआ कोरोना, अमेरिका से मंगाई गई रेमडेसिवीर

आंखों में ड्राईनेस और पानी आने की समस्या

ETV भारत से चर्चा करते हुए आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर राहुल पांडे ने बताया कि लंबे समय से लोग मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ज्यादा उपयोग कर रहे है, यहीं वजह है कि इस दौरान आंखों के मरीज काफी बढ़े हैं. साधारण तौर पर जितने मरीज आते थे, उससे डेढ़ गुना ज्यादा मरीज बढ़े हैं. हैरानी की बात ये है कि इन मरीजों में ज्यादातर युवा और बच्चे शामिल हैं. डॉक्टर का कहना है कि मोबाइल और लैपटॉप में 15 से 20 मिनट का गैप जरूर लें. इसके साथ ही आंखों में सूखापन लगना और ज्यादा पानी आने जैसी समस्याओं को हल्के में न लें, इस तरह के किसी भी परेशानियों पर नेत्र विशेषज्ञ से जांच अवश्य कराएं.

eye problem
आंखों की बढ़ी परेशानी

पढ़ें: सावधान, कहीं आपके मोबाइल में जोकर तो नहीं, हो सकता है बड़ा नुकसान

चश्मा बनवाने वालों में ज्यादा यूथ
चश्मा दुकान के संचालकों ने बताया कि इस दौरान चश्मा बनवाने वालों में ज्यादा यूथ हैं. चश्मा बनवाने के लिए भी अलग-अलग तरह के कॉन्टैक्ट लेंस उपयोग में लाए जा रहे हैं. जिनमें प्रमुख रूप से नाइट विजन लेंस क्वॉलिटी विजन इंप्रूव एंटीरिफ्लेक्शन लेंस, एंटीपैथी क्लास, ये सारे लेंस ब्लू वैलेट प्रोडक्शन रोकने के काम आते हैं. इस तरह के लेंस की भी डिमांड काफी बढ़ी है. चश्मे बनाने में भी अल्ट्रावायलेट क्लासेस और डॉक्टर की ओर से दिए गए सुझाव को अमल पर लाया जा रहा है. वहीं इंफेक्शन को देखते हुए उपयोग किए चश्मों को सैनिटाइज करने के लिए भी अलग से मशीन में सैनिटाइज किया जाता है. युवा भी मान रहे हैं कि साधारण दिनों के मुकाबले में मोबाइल का उपयोग अब ज्यादा हो रहा है. इसका दुष्परिणाम अब झेलना पड़ रहा है.

eye problem
युवाओं में ज्यादा बढ़ी आंखों की परेशानी

मोबाइल लैपटॉप पर काम करते समय एंटी रिफ्लेक्टिव लेंस का करें यूज

  • लैपटॉप यूज करते वक्त डिस्टेंस कम से कम 30 सेंटीमीटर रहना चाहिए.
  • 1 मिनट में 15 बार पलकें जरूर झपके.
  • स्क्रीन ज्यादा देखने से आंखें ड्राई हो जाती है. पलक झपकने से सूखापन कम होता है. इसके बाद भी ड्राइनेस हो तो लुब्रिकेशन आई ड्रॉप जरूर डालें.
  • स्क्रीन की ब्राइटनेस रूम लाइट से कम रखें, कमरे में जितनी रोशनी हो उससे कम ब्राइटनेस रखें.
  • मोबाइल यूज करते समय मोबाइल स्क्रीन को हमेशा अपनी नजरों से नीचे रखें. इससे आंखों पर प्रेशर कम पड़ता है.
  • सोते हुए मोबाइल यूज न करें.

पढ़ें: सीएम भूपेश ने सरोज पांडेय के राखी पत्र का ट्वीट में दिया जवाब, बीजेपी पर साधा निशाना

आंखों की सेफ्टी के लिए डॉक्टरों ने भी कई तरह के सुझाव देते हुए कहा है कि शारीरिक गतिविधियों के अलावा आंखों को भी बीच-बीच में रेस्ट देने की जरूरत है. समय-समय पर आंखों को गर्म पानी या नॉर्मल पानी से धोते रहें.

रायपुर: कोरोना वायरस ने देश-दुनिया के हालातों को बदल कर रख दिया है. सामान्य तौर पर दौड़-धूप वाली दिनचर्या ने लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ा दिया है. साथ ही इस दौर में लोग बदली हुई दिनचर्या के साथ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का बेतहाशा उपयोग कर रहे हैं. यहीं वजह है कि अब इस तरह की दिनचर्या लोगों के शरीर पर असर डालना शुरू कर रही है. इस दौर में लोगों का ज्यादा समय मोबाइल और लैपटॉप पर बीत रहा है, जिसका असर आंखों पर पड़ रह है. आंखों में जलन और ड्राइनेस की समस्या ज्यादा आ रही है, जिसमें युवा और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं.

लैपटॉप के साइड इफेक्ट

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आंखों में ड्राईनेस और पानी आने की समस्या

ETV भारत से चर्चा करते हुए आई स्पेशलिस्ट डॉक्टर राहुल पांडे ने बताया कि लंबे समय से लोग मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का ज्यादा उपयोग कर रहे है, यहीं वजह है कि इस दौरान आंखों के मरीज काफी बढ़े हैं. साधारण तौर पर जितने मरीज आते थे, उससे डेढ़ गुना ज्यादा मरीज बढ़े हैं. हैरानी की बात ये है कि इन मरीजों में ज्यादातर युवा और बच्चे शामिल हैं. डॉक्टर का कहना है कि मोबाइल और लैपटॉप में 15 से 20 मिनट का गैप जरूर लें. इसके साथ ही आंखों में सूखापन लगना और ज्यादा पानी आने जैसी समस्याओं को हल्के में न लें, इस तरह के किसी भी परेशानियों पर नेत्र विशेषज्ञ से जांच अवश्य कराएं.

eye problem
आंखों की बढ़ी परेशानी

पढ़ें: सावधान, कहीं आपके मोबाइल में जोकर तो नहीं, हो सकता है बड़ा नुकसान

चश्मा बनवाने वालों में ज्यादा यूथ
चश्मा दुकान के संचालकों ने बताया कि इस दौरान चश्मा बनवाने वालों में ज्यादा यूथ हैं. चश्मा बनवाने के लिए भी अलग-अलग तरह के कॉन्टैक्ट लेंस उपयोग में लाए जा रहे हैं. जिनमें प्रमुख रूप से नाइट विजन लेंस क्वॉलिटी विजन इंप्रूव एंटीरिफ्लेक्शन लेंस, एंटीपैथी क्लास, ये सारे लेंस ब्लू वैलेट प्रोडक्शन रोकने के काम आते हैं. इस तरह के लेंस की भी डिमांड काफी बढ़ी है. चश्मे बनाने में भी अल्ट्रावायलेट क्लासेस और डॉक्टर की ओर से दिए गए सुझाव को अमल पर लाया जा रहा है. वहीं इंफेक्शन को देखते हुए उपयोग किए चश्मों को सैनिटाइज करने के लिए भी अलग से मशीन में सैनिटाइज किया जाता है. युवा भी मान रहे हैं कि साधारण दिनों के मुकाबले में मोबाइल का उपयोग अब ज्यादा हो रहा है. इसका दुष्परिणाम अब झेलना पड़ रहा है.

eye problem
युवाओं में ज्यादा बढ़ी आंखों की परेशानी

मोबाइल लैपटॉप पर काम करते समय एंटी रिफ्लेक्टिव लेंस का करें यूज

  • लैपटॉप यूज करते वक्त डिस्टेंस कम से कम 30 सेंटीमीटर रहना चाहिए.
  • 1 मिनट में 15 बार पलकें जरूर झपके.
  • स्क्रीन ज्यादा देखने से आंखें ड्राई हो जाती है. पलक झपकने से सूखापन कम होता है. इसके बाद भी ड्राइनेस हो तो लुब्रिकेशन आई ड्रॉप जरूर डालें.
  • स्क्रीन की ब्राइटनेस रूम लाइट से कम रखें, कमरे में जितनी रोशनी हो उससे कम ब्राइटनेस रखें.
  • मोबाइल यूज करते समय मोबाइल स्क्रीन को हमेशा अपनी नजरों से नीचे रखें. इससे आंखों पर प्रेशर कम पड़ता है.
  • सोते हुए मोबाइल यूज न करें.

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आंखों की सेफ्टी के लिए डॉक्टरों ने भी कई तरह के सुझाव देते हुए कहा है कि शारीरिक गतिविधियों के अलावा आंखों को भी बीच-बीच में रेस्ट देने की जरूरत है. समय-समय पर आंखों को गर्म पानी या नॉर्मल पानी से धोते रहें.

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