रायपुर: छत्तीसगढ़ में नवरात्र के मौके पर ज्योति कलश स्थापना और जवारा बोने की परंपरा रही है. यहां कई देवी मंदिरों के अलावा भक्त अपने घर में पूरी आस्था के साथ ज्योति कलश स्थापित करते हैं. साथ ही जवारा बोकर मां की अराधना करते हैं.
नवरात्र के 9 दिनों में ज्योति कलश को शक्ति के रूप में पूजा किया जाता है. 9 दिनों में जवारा 8 इंच से 1 फुट ऊंचा हो जाता है. नवरात्र के दूसरे दिन, दशहरा को भक्त पूजा हवन के बाद इन जवार का विसर्जन करते हैं.
खास है यहां का खेल जवारा
टिकरापारा में इस रस्म को बीते 40 साल से कुछ अलग अंदाज में निभाया जा रहा है. यहां के साहूपारा में खेल जवारा निकाला जाता है. इस जवारे में कलश उठाने वाले, किन्नर समाज के लोग होते हैं.
मनोकामना होती है पूरी
माना जाता है कि इस कलश के दर्शन से मनोकामना की पूर्ति होती है. वहीं रोड पर जवारा रैली निकलने के दौरान परम्परागत तौर से उसकी सुरक्षा के लिए पंडा और भक्त तैनात होते हैं. मांदर की धुन पर झूमते भक्त बाना सांगा लिए, ज्योति कलश की सुरक्षा करते नजर आते हैं.