रायपुर: राजधानी रायपुर में जून के पहले सप्ताह से ही रेनकोट और छतरी का बाजार सज गया है. लेकिन मानसून में लेटलतीफी के कारण रेनकोट और छतरी के बाजार से रौनक गायब (Umbrella and raincoat shops sell less in Chhattisgarh monsoon) है. वैसे तो प्रदेश में 16 जून को कुछ हिस्सों में मानसून ने दस्तक दे दी थी. लेकिन रेनकोट और छतरी के बाजार में ग्राहकी कम देखने को मिल रही है. कुछ दिनों पहले ही स्कूल खुले हैं लेकिन जिस तरह की बारिश होनी चाहिए, उस तरह की बारिश देखने को नहीं मिल रही है. रेनकोट और छतरी का व्यापार करने वाले दुकानदारों में ग्राहकी और व्यापार को लेकर थोड़ी मायूसी झलक रही है. पिछले साल की तुलना में इस बार 10 से 12 फीसदी रेनकोट और छतरी के दामों में वृद्धि हुई (monsoon knock in Chhattisgarh) है.
दुकानदारों में मायूसी: बारिश का मौसम शुरू होने के बाद रेनकोट और छतरी बेचने वाले दुकानदारों का कहना है, "बारिश की शुरुआत तो हो गई है लेकिन जिस बारिश का इंतजार दुकानदारों को है, वैसी बारिश फिलहाल देखने को नहीं मिल रही है. जिसके कारण ग्राहकी भी कम हो रही है. दुकानदारों को उम्मीद है कि अगर बारिश अच्छी होती है तो आने वाले समय में दुकानों में ग्राहकों की रौनक बढ़ जाएगी."
रेनकोट और छतरी के दाम में 10 से 12 फीसदी इजाफा: रेनकोट और छतरी के दुकानदारों ने ईटीवी भारत को बताया, "इस साल रेनकोट और छतरी के दामों में लगभग 10 से 12 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. ऐसे में ग्राहक कम दाम और अपनी बजट के आधार पर रेनकोट और छाता पसंद कर रहे हैं. छतरी में प्लेन, प्रिंटेड छतरी, फोल्डिंग वाली छतरी सभी तरह की छतरी लोग अपनी-अपनी पसंद के हिसाब से खरीद रहे हैं. अलग-अलग कंपनियों के रेनकोट मार्केट में उपलब्ध हैं. रायपुर के दुकानों में छाता 150 रुपए से लेकर 500 रुपए तक के हैं. इसी तरह रेनकोट 400 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक के उपलब्ध हैं."
रायपुर में छाता और रेनकोट की 200 दुकानें: रायपुर में रेनकोट और छाता कि छोटी-बड़ी मिलाकर लगभग 200 दुकानें हैं. ज्यादातर ग्राहक ब्रांडेड और अच्छी चीजों को पसंद करते हैं. भले ही उसकी कीमत कुछ भी हो. ग्राहक छाता और रेनकोट के दाम के बजाय उसकी क्वालिटी पर ज्यादा ध्यान देते हैं. इस बार मार्केट में छाता और रेनकोट चाइनीज के बजाय मेड इन इंडिया है. लोग अपनी पसंद के सामान अपने बजट के आधार पर खरीद रहे हैं. कुल मिलाकर ग्राहक चाइना के सामानों का बहिष्कार कर रहे हैं. जो छाता और रेनकोट बाजार में उपलब्ध है, वह सामान भारत में बना हुआ है. एक तरह से ग्राहकों में जागरूकता भी देखने को मिल रही है. चाइना के सामानों का लगातार बहिष्कार भी किया जा रहा है. इसका असर इस बार बारिश के समय देखने को मिल रहा है.
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बारिश में गरीब और मजदूर वर्ग मोरा का करते हैं उपयोग: बारिश के मौसम में मोरा का भी उपयोग किया जाता है. यह पॉलीथिन से बनी होती है. इसका ज्यादातर उपयोग गरीब और मजदूर वर्ग करते हैं. पॉलीथिन का उपयोग बारिश के मौसम में कच्चे मकानों में रिपेयरिंग के समय भी किया जाता है. जिससे बारिश के पानी से बचा जा सके. मोरा का उपयोग किसान खेतों में काम करते समय करते हैं, जिससे बारिश के पानी से शरीर को भीगने से बचाया जा सके.
छत्तीसगढ़ में 20 जून से मानसून शुरू: छत्तीसगढ़ के बस्तर और दुर्ग संभाग में मानसून ने 16 जून को दस्तक दे दी थी. जिसके बाद 20 जून को मानसून पूरे प्रदेश में सक्रिय हो गया है. जिसकी आधिकारिक घोषणा मौसम विभाग ने भी कर दी है. लेकिन जिस बारिश का इंतजार रेनकोट और छतरी के दुकानदारों को है. वैसी बारिश फिलहाल देखने को नहीं मिल रही है. ऐसी स्थिति में ग्राहकी भी कम है. दुकानदारों को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में ग्राहकी बढ़ेगी और उनका व्यवसाय भी अच्छा होगा.