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बजट सत्र: सूपेबेड़ा में मौत की वजह और धान खरीदी पर घमासान, चिरमिरी मुद्दे पर अपनों ने घेरा

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Published : Feb 25, 2021, 7:55 PM IST

Updated : Feb 25, 2021, 9:50 PM IST

छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र का चौथे दिन बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सुपेबेड़ा में पानी की समस्या और उससे हो रही मौत का मुद्दा उठाया. बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि दूषित पानी को बीमारी की वजह बताकर दो साल पहले जल आवर्धन योजना बनाई गई थी, जो आज तक शुरू नहीं हुई है. इसपर सरकार के मंत्री यू-टर्न लेते नजर आये.

chhattisgarh  Assembly
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रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र के चौथे दिन धान खरीदी, सुपेबेड़ा में ग्रामीणों की मौत, चिरमिरी के खनन प्रभावित क्षेत्र में व्यवस्थापन समेत कई मुद्दों पर विपक्ष हमलावर दिखा. विपक्ष को हमलावर होते देख सरकार कई मुद्दों पर यू-टर्न लेते दिखी. विपक्ष के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सदन में बताया कि सुपेबेड़ा में दूषित जल के चलते किडनी रोग से अबतक 75 लोगों की मौत हुई है.

धान खरीदी पर घमासान

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जनता शुद्ध पेयजल के लिए तरस रही है और सरकार विज्ञापन पर लाखों रुपये खर्च कर रही है. विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि सुपेबेड़ा ओडिशा से लगा हुआ इलाका है. डॉक्टर और मेडिकल सुविधा की व्यवस्था नहीं है, बावजूद इसके सरकार गंभीर नहीं है. फरवरी 2019 में स्वास्थ्य मंत्री दौरे पर गए थे, लेकिन 2 साल बाद भी जल आवर्धन योजना पर काम शुरू नहीं हुआ. बृजमोहन अग्रवाल ने पूछा कि 12 गांव में कितने लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं और अब तक कितने लोगों की मौत हुई है ?

'दूषित पानी से नहीं हुई कोई मौत'

सदन में बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने बताया कि फरवरी 2009 से दिसंबर 2018 तक सुपेबेड़ा में 119 मौतें हुई हैं, लेकिन ये दूषित पानी की वजह से नहीं हुई है. इसके अलावा जनवरी 2019 से अबतक 32 मौतें हुई है. यह भी पानी की वजह से नहीं हुई है. सभी मौतों की वजह कुछ और है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मौत की वजह कुछ और है.

मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि मौत की वजह जो भी हो जल आवर्धन योजना पर काम जल्द ही शुरू होने जा रहा है. मंत्री गुरु रुद्र ने कहा कि यह सत्य नहीं है कि यहां के लोग दूषित जल पी रहे हैं. नल जल योजना के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में सभी को शुद्ध जल दिया जा रहा है. शासन की ओर से 12 करोड़ रुपये यहां शुद्ध जल के लिए खर्च किया गया है. जल प्रदाय योजना के लिए टेंडर भी मंगए गए हैं.

मंत्री से पूछा कि क्या आप विशेषज्ञ हैं?

सुपेबेड़ा के मुद्दे पर बीजेपी विधायक नारायण चंदेल ने भी सरकार को जमकर घेरा. नारायण चंदेल ने कहा, सरकार एक गांव को दो साल में पीने के लिए साफ पानी तक नहीं दे पाई है. इससे दुर्भाग्यजनक और क्या हो सकता है. नारायण चंदेल के सवालों का जवाब देते हुए मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि सुपेबेड़ा में साफ पानी का प्रबंध उनकी सरकार कर रही है. गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में ही सुपेबेड़ा में परियोजना पूरी कर ली जाएगी.

बीजेपी विधायक शिवतरन शर्मा ने सदन में कहा कि मंत्री दूषित पानी से किसी की मौत नहीं होने की बात कह रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री मौत की वजह दूषित पानी बता रहे हैं, इसमें सही क्या है. इसपर जवाब देते हुए मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि दूषित पानी की वजह से किसी की मौत नहीं हुई है. मंत्री के इस बयान पर विपक्ष आक्रामक हो गया. विपक्ष की तरफ से विधायक अजय चंद्राकर ने मंत्री से पूछा कि क्या आप विशेषज्ञ हैं? इसके बाद सदन में हंगामा होने लगा और जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया.

खनन प्रभावित क्षेत्र में व्यवस्थापन पर सवाल

सदन में कांग्रेस विधायक अरुण वोरा ने चिरमिरी के हल्दीबाड़ी, महुआ दफाई इलाके में SECL खदान के ऊपर बसे परिवारों का मामला उठाया. अरुण वोरा ने बताया कि खनन क्षेत्र में जमीन धंस रही है. घरों में दरारें पड़ गई है. खनन प्रभावित क्षेत्र में व्यवस्थापन को लेकर सरकार क्या कर रही है. अरुण वोरा के सवाल पर राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कहा कि इसकी जिम्मेदारी SECL की बनती थी कि वहां अवैध कब्जा न होने दे, फिर भी ऐसा हुआ है. हालांकि SECL ने 11 परिवारों को दूसरी जगह मकान बनाकर दिया है. इसपर अरुण वोरा ने कहा कि मकान तो मिले हैं, लेकिन ऐसी जगह मिले हैं, जो इंसानों के रहने लायक नहीं है.

इसी मुद्दे पर स्थानीय विधायक विनय जायसवाल ने कहा कि मंत्री ने केवल 18 परिवारों की जानकारी दी है. वास्तव में वहां 40 परिवार हैं. अभी उनको शिशु मंदिर में रहने की जगह दी गई है. इसपर राजस्व मंत्री ने भरोसा दिलाया कि स्थानीय सांसद, विधायक, महापौर और SECL प्रबंधन के साथ इस मासले का समाधान निकाल लिया जाएगा.

धान खरीदी में गड़बड़ी का आरोप

विधानसभा में एक बार फिर धान खरीदी को लेकर विपक्ष ने मुद्दा उठाया. विपक्ष ने धान खरीदी में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सरकार से चर्चा की मांग की. चर्चा स्वीकार नहीं की गई. इसके बाद सदन में हंगामा हो गया. धान खरीदी के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि धान का सवाल किसान के जीवन से जुड़ा हुआ है. संग्रहण बंद कर दिया गया है. समितियों में जाम की स्थिति है. सरकार से हम इस विषय पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग करते हैं. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है. जीवित किसान को कागज में मृत बता दिया गया है. आरंग के विजय निषाद नाम के किसान के साथ ऐसा हुआ है.

धान खरीदी पर घमासान

धान खरीदी के मुद्दे पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मीलिंग से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक में कमीशन मांगा जा रहा है. सरकार कितना कमीशन लेगी? कमीशन के खेल में छत्तीसगढ़ का धान सड़ रहा है. बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि खुले में रखा धान खराब हो रहा है. सरकार के पास उसे ढंकने के लिए पॉलिथीन तक नहीं है.

धान खरीदी पर विपक्ष के सवालों पर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत जवाब दिया, लेकिन विपक्ष उससे भी संतुष्ट नहीं हुआ और हंगामा करने लगा. प्रश्नकाल में बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि 2019-20 में खरीदे गए 3.44 लाख मीट्रिक टन धान की अभी तक कस्टम मीलिंग पूरी नहीं की जा सकी है. धान समितियों और संग्रहण केंद्रों में रखे हैं. केंद्र सरकार ने सेंट्रल पूल में जमा करने के लिए 28 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कराने की अनुमति दी थी, लेकिन 24 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया जा सका है. इसपर मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि बचे हुए धान की कस्टम मीलिंग के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के पास जमा किया जा रहा है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र के चौथे दिन धान खरीदी, सुपेबेड़ा में ग्रामीणों की मौत, चिरमिरी के खनन प्रभावित क्षेत्र में व्यवस्थापन समेत कई मुद्दों पर विपक्ष हमलावर दिखा. विपक्ष को हमलावर होते देख सरकार कई मुद्दों पर यू-टर्न लेते दिखी. विपक्ष के विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सदन में बताया कि सुपेबेड़ा में दूषित जल के चलते किडनी रोग से अबतक 75 लोगों की मौत हुई है.

धान खरीदी पर घमासान

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि जनता शुद्ध पेयजल के लिए तरस रही है और सरकार विज्ञापन पर लाखों रुपये खर्च कर रही है. विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि सुपेबेड़ा ओडिशा से लगा हुआ इलाका है. डॉक्टर और मेडिकल सुविधा की व्यवस्था नहीं है, बावजूद इसके सरकार गंभीर नहीं है. फरवरी 2019 में स्वास्थ्य मंत्री दौरे पर गए थे, लेकिन 2 साल बाद भी जल आवर्धन योजना पर काम शुरू नहीं हुआ. बृजमोहन अग्रवाल ने पूछा कि 12 गांव में कितने लोग किडनी की बीमारी से पीड़ित हैं और अब तक कितने लोगों की मौत हुई है ?

'दूषित पानी से नहीं हुई कोई मौत'

सदन में बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने बताया कि फरवरी 2009 से दिसंबर 2018 तक सुपेबेड़ा में 119 मौतें हुई हैं, लेकिन ये दूषित पानी की वजह से नहीं हुई है. इसके अलावा जनवरी 2019 से अबतक 32 मौतें हुई है. यह भी पानी की वजह से नहीं हुई है. सभी मौतों की वजह कुछ और है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक मौत की वजह कुछ और है.

मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि मौत की वजह जो भी हो जल आवर्धन योजना पर काम जल्द ही शुरू होने जा रहा है. मंत्री गुरु रुद्र ने कहा कि यह सत्य नहीं है कि यहां के लोग दूषित जल पी रहे हैं. नल जल योजना के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में सभी को शुद्ध जल दिया जा रहा है. शासन की ओर से 12 करोड़ रुपये यहां शुद्ध जल के लिए खर्च किया गया है. जल प्रदाय योजना के लिए टेंडर भी मंगए गए हैं.

मंत्री से पूछा कि क्या आप विशेषज्ञ हैं?

सुपेबेड़ा के मुद्दे पर बीजेपी विधायक नारायण चंदेल ने भी सरकार को जमकर घेरा. नारायण चंदेल ने कहा, सरकार एक गांव को दो साल में पीने के लिए साफ पानी तक नहीं दे पाई है. इससे दुर्भाग्यजनक और क्या हो सकता है. नारायण चंदेल के सवालों का जवाब देते हुए मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि सुपेबेड़ा में साफ पानी का प्रबंध उनकी सरकार कर रही है. गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में ही सुपेबेड़ा में परियोजना पूरी कर ली जाएगी.

बीजेपी विधायक शिवतरन शर्मा ने सदन में कहा कि मंत्री दूषित पानी से किसी की मौत नहीं होने की बात कह रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री मौत की वजह दूषित पानी बता रहे हैं, इसमें सही क्या है. इसपर जवाब देते हुए मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि दूषित पानी की वजह से किसी की मौत नहीं हुई है. मंत्री के इस बयान पर विपक्ष आक्रामक हो गया. विपक्ष की तरफ से विधायक अजय चंद्राकर ने मंत्री से पूछा कि क्या आप विशेषज्ञ हैं? इसके बाद सदन में हंगामा होने लगा और जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया.

खनन प्रभावित क्षेत्र में व्यवस्थापन पर सवाल

सदन में कांग्रेस विधायक अरुण वोरा ने चिरमिरी के हल्दीबाड़ी, महुआ दफाई इलाके में SECL खदान के ऊपर बसे परिवारों का मामला उठाया. अरुण वोरा ने बताया कि खनन क्षेत्र में जमीन धंस रही है. घरों में दरारें पड़ गई है. खनन प्रभावित क्षेत्र में व्यवस्थापन को लेकर सरकार क्या कर रही है. अरुण वोरा के सवाल पर राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल ने कहा कि इसकी जिम्मेदारी SECL की बनती थी कि वहां अवैध कब्जा न होने दे, फिर भी ऐसा हुआ है. हालांकि SECL ने 11 परिवारों को दूसरी जगह मकान बनाकर दिया है. इसपर अरुण वोरा ने कहा कि मकान तो मिले हैं, लेकिन ऐसी जगह मिले हैं, जो इंसानों के रहने लायक नहीं है.

इसी मुद्दे पर स्थानीय विधायक विनय जायसवाल ने कहा कि मंत्री ने केवल 18 परिवारों की जानकारी दी है. वास्तव में वहां 40 परिवार हैं. अभी उनको शिशु मंदिर में रहने की जगह दी गई है. इसपर राजस्व मंत्री ने भरोसा दिलाया कि स्थानीय सांसद, विधायक, महापौर और SECL प्रबंधन के साथ इस मासले का समाधान निकाल लिया जाएगा.

धान खरीदी में गड़बड़ी का आरोप

विधानसभा में एक बार फिर धान खरीदी को लेकर विपक्ष ने मुद्दा उठाया. विपक्ष ने धान खरीदी में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए सरकार से चर्चा की मांग की. चर्चा स्वीकार नहीं की गई. इसके बाद सदन में हंगामा हो गया. धान खरीदी के मुद्दे पर पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि धान का सवाल किसान के जीवन से जुड़ा हुआ है. संग्रहण बंद कर दिया गया है. समितियों में जाम की स्थिति है. सरकार से हम इस विषय पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग करते हैं. नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है. जीवित किसान को कागज में मृत बता दिया गया है. आरंग के विजय निषाद नाम के किसान के साथ ऐसा हुआ है.

धान खरीदी पर घमासान

धान खरीदी के मुद्दे पर बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि मीलिंग से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक में कमीशन मांगा जा रहा है. सरकार कितना कमीशन लेगी? कमीशन के खेल में छत्तीसगढ़ का धान सड़ रहा है. बृजमोहन अग्रवाल के खिलाफ जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि खुले में रखा धान खराब हो रहा है. सरकार के पास उसे ढंकने के लिए पॉलिथीन तक नहीं है.

धान खरीदी पर विपक्ष के सवालों पर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत जवाब दिया, लेकिन विपक्ष उससे भी संतुष्ट नहीं हुआ और हंगामा करने लगा. प्रश्नकाल में बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि 2019-20 में खरीदे गए 3.44 लाख मीट्रिक टन धान की अभी तक कस्टम मीलिंग पूरी नहीं की जा सकी है. धान समितियों और संग्रहण केंद्रों में रखे हैं. केंद्र सरकार ने सेंट्रल पूल में जमा करने के लिए 28 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कराने की अनुमति दी थी, लेकिन 24 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया जा सका है. इसपर मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि बचे हुए धान की कस्टम मीलिंग के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के पास जमा किया जा रहा है.

Last Updated : Feb 25, 2021, 9:50 PM IST
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