रायपुर: शनिवार का दिन छत्तीसगढ़ के इतिहास में एक और काले दिन की तरह अंकित हो गया. सुकमा में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में छत्तीसगढ़ महतारी ने अपने 17 लाल खो दिए. जब ये बेटे तिरंगे में लिपटे घर पहुंचे तो आंसू और चीखों ने श्मशान की खामोशी का सीना चीर दिया.
17 जवानों के खून से 21 मार्च को छत्तीसगढ़ की धरती लाल हो गई. कहीं किसी मां ने बेटा खोया, पत्नी ने सुहाग को तो बुजुर्ग का आखिरी सहारा देश के लिए शहीद हो गया. इस दर्द के बावजूद परिवार की आंखों में आंसू है तो दिल में बहादुरों के लिए गर्व. शहीद जवानों के परिवार कहते हैं कि सरकार को इस समस्या का हल खोज लेना चाहिए, जिससे और घर बर्बाद न हों.
शहीदों को सलाम
- शहीद हेमंत पोया का पार्थिव शरीर उनके गृह ग्राम डंवरखार पहुंचा. शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए पूरा गांव उमड़ा पड़ा. पुलिस अधीक्षक समेत पुलिस के आला अधिकारी भी मौजूद रहे. कांकेर के रहने वाले हेमंत ने पिछले साल ही प्रेम विवाह किया था. वो अपने भाई से धान की कटाई या भतीजे के जन्मदिन पर आएंगे लेकिन जब वे आए तो तिरंगा बदन पर था.
- चारामा में रहने वाले हेमंत मानिकपुरी भी इस हमले में शहीद हो गए. हेमंत मूलरूप से कोंडागांव जिले में बेन्द्री गांव के रहने वाले थे. हेमंत का अंतिम संस्कार कोंडागांव जिले के बेन्द्री गांव में किया जाएगा.
- सुकमा नक्सली हमले में शहीद जवान अमरदीप खलखो का पार्थिव शरीर जशपुर लाया गया. इसके बाद सड़क मार्ग से पार्थिव शरीर को शहीद के गृह ग्राम औरिजोर ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया.
- सुकमा नक्सली हमले में शहीद हुए जवान गीताराम राठिया के पार्थिव शरीर को रायगढ़ लाया गया. शहीद के अंतिम दर्शन के लिए हजारों की संख्या में लोग इक्ट्ठा हुए.
- सुकमा नक्सली हमले में शहीद हुए STF के जवान नारद निषाद को पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. वे बालोद जिले के ग्राम सिवनी के रहने वाले थे.
हम इन 5 शहीदों के घरों तक पहुंचे लेकिन यकीन मानिए यही रुदन, यही दर्द हर चौखट का होगा. 17 शहीदों की आंगन में उनकी तस्वीर टंगी होगी, सुबकता परिवार होगा. रोती पत्नी, बिलखती मां, दम साधे बच्चे, मुट्ठी भीचें पिता और भाई होगा. दोस्त, यार होंगे किसी कोने सूनी आंखे लिए. यकीन मानिए तिरंगा लिपटा होगा...लिपटकर उतरा होगा...सलामी दी गई होगी और फिर 'भारत माता की जय' ये नारा रो पड़ा होगा.