रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन सबसे पहले अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मोतीलाल वोरा को श्रद्धांजलि दी गई. सत्ता और विपक्ष के विधायकों ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि इस अपूरणीय क्षति को भर पाना मुश्किल है. उनकी लगन, परिश्रम और निष्ठा अद्वितीय थी. वे हमेशा नेतृत्व के लिए समर्पित थे. इस शून्यता को भर पाना कठिन है. जबसे होश संभाला है तब से वोरा जी को देख रहे थे. उनकी राजनीति को देखकर ही काम करता रहा. वे सुबह से देर रात तक काम करते रहते थे. उन्होंने कहा कि उनके निधन से ऐसी राजनीतिक शून्यता पैदा हुई है. जिसे भर पाना मुश्किल है.
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने दी श्रद्धांजलि
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने वोरा जी से जुड़ा एक यादगार किस्सा सदन में सुनाया. उन्होंने कहा, उस समय चुनाव हो रहे थे. वोरा जी को टिकट मिला. चुनाव प्रचार भी शुरू कर दिया गया. इस बीच उनका टिकट काटकर चंदूलाल चंद्राकर को दे दिया गया. एक बार फिर ऐसा ही हुआ. जिससे हम कार्यकर्ता काफी नाराज हुए. हम कार्यकर्ता लोग दिल्ली में जाकर राजीव गांधी से मुलाकात की. लेकिन हमारी बात नहीं बनी. फिर मैने उनसे पूछा कि आपन राजवी गांधी जी से इस मसले पर बात क्यों नहीं की. उन्होंने जवाब दिया कि अगर मैं राजीव जी से कहता तो फिर टिकट मिल जाता. लेकिन इससे मेरा नेता की बेइज्जती होती. जो मैं कभी नहीं चाहता.
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स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि. मेरे माता-पिता भी वोरा जी के साथ काम करने वालों में थे. संयोग रहा कि उनके आशीर्वाद से ही मैने राजनीति में प्रवेश किया. मेरे जीवन की सीख देने वालों में वोरा जी की बड़ी भूमिका रही है. उनकी सीख मेरे लिए एक धरोहर की तरह है.
रमन सिंह ने कहा कि वह 'राजनीति में मोती की चरह चमकते रहे'
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा, वे राजनीति में मोती की तरह चमकते रहे. वह विशाल व्यक्तितव के धनी थे. इसकी झलक उस समय मिली जब मैं उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहा था. प्रचार के दौरान मेरी गाड़ी फंस गई. वोरा जी ने देखा तो अपने ड्राइवर को भेजा. गाड़ी को निकालने के लिए धक्का लगवाया. फिर जाकर गाड़ी बाहर निकली. जिसके बाद मैंने उनसे कहा-लोकसभा में भी ऐसे ही धक्का लगा दीजिएगा. रमन सिंह ने कहा कि सीएम रहते मैं संसद सत्र शुरू होने से पहले सांसदों की बैठक दिल्ली में लेता था. जिसमें वह काफी गर्मजोशी से भाग लेते थे. उन्होंने कहा कि मोतीलाल वोरा के निधन से हम सबने अभिभावक खो दिया. हमारे अभिभावक नहीं रहे.
सबका प्रिय नेता चला गया-धरमलाल कौशिक
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि सबका प्रिय नेता चला गया. उन्होंने कहा कि वे सिर्फ कांग्रेस के प्रिय नहीं बल्कि विपक्ष के भी प्रिय थे. गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि पत्रकार, पार्षद से लेकर लंबा राजनीतिक सफर उन्होंने तय किया. उन्होंने कहा कि 45 साल के संबंधों में परिवार जैसा स्नेह वोरा जी से मिला. उनसे बहुत सीखा. वोरा जी का पूरा जीवन पाठशाला था.
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'वोरा से कई पीढ़ियों को सीखना चाहिए'
जेसीसी (जे) विधायक धरमजीत सिंह ने कहा कि, 'वे राजनीति के अजातशत्रु थे. उनका व्यक्तित्व बहुत मिलनसार था. धरमजीत सिंह ने कहा कि उन्हें जो दायित्व मिला, उसे उन्होंने निभाया. वे राजनीति के विश्वविद्यालय थे. उनसे हमारी पीढ़ी ने सीखा, उनसे नई पीढ़ियों को सीखना चाहिए.'
समाजवादी चिंतक थे मोतीलाल वोरा
संसदीय कार्य मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मोतीलाल वोरा समाजवादी चिंतक थे. उनका जाना राजनीतिक क्षेत्र के लिए बड़ी क्षति है. गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि श्री वोरा सार्वजनिक जीवन के मूल्यों को सीखने की पाठशाला जैसे थे. मैंने भी उनसे बहुत सी बातें सीखने की कोशिश की. पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा कि श्री मोतीलाल वोरा के निधन से हमने एक बहुत बड़े व्यक्तित्व को खो दिया है.
जन्मदिन के दूसरे दिन ली अंतिम सांस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है. राजस्थान में जन्मे वोरा ने पत्रकारिता से लेकर राजनीति तक का लंबा सफर तय किया. अपने जन्मदिन के दूसरे दिन उन्होंने अंतिम सांस ली. अविभाजित मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 को राजस्थान में हुआ था. उनके पिता का नाम मोहनलाल वोरा और मां का नाम अंबा बाई था. उनका विवाह शांति देवी वोरा से हुआ था. उनकी चार बेटियां और दो बेटे हैं.
पार्षद से पार्लियामेंट तक का सफर
वे दो बार (1985 से 1988 और जनवरी 1989 से दिसंबर 1989 तक) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. मोतीलाल वोरा ने कई वर्षों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में काम किया. वोरा ने कई समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व किया. मोतीलाल वोरा ने 1968 में राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा. वोरा ने अपने पांच दशकों से अधिक के राजनीतिक जीवन में पार्टी और सरकार में कई अहम भूमिकाएं निभाईं. वह इस साल अप्रैल तक राज्यसभा के सदस्य रहे. कुछ महीने पहले तक कांग्रेस के महासचिव (प्रशासन) की भूमिका निभा रहे थे. उन्होंने करीब दो दशकों तक कांग्रेस के कोषाध्यक्ष और संगठन में कई अन्य जिम्मेदारियां निभाईं.