रायपुर: बस्तर के आदिवासी नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर आदिवासियों ने संवैधानिक पदयात्रा निकाली. आदिवासी राज्यपाल निवास पहुंचकर गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, उन्हें नगर पंचायत नहीं चाहिए. आदिवासियों की मांग है कि ग्राम पंचायत बनाया जाए. जिससे आदिवासियों का फायदा और भला हो और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके. बस्तर के लगभग 300 आदिवासी 3 अक्टूबर से संवैधानिक पदयात्रा निकालकर बस्तर से रायपुर की यात्रा को पूरा किया है.
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आदिवासियों ने की नवीन ग्राम पंचायत की मांग
छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के तहत आने वाला गांव जिसे नगर पंचायत बना दिया गया है. यहां के ग्रामीण पुनः ग्राम पंचायत की मांग को लेकर संवैधानिक पदयात्रा निकालकर राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की. बस्तर का गांव गढ़सिलियारा नगर पंचायत को केशकाल से पृथक कर नवीन ग्राम पंचायत की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि नगर पंचायत के बन जाने से उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. जिसे नगर पंचायत बनाया गया है वह पूरी तरह से जंगल है. नगर पंचायत के बन जाने से आदिवासियों की स्वतंत्रता और अधिकार का हनन हो रहा है.
पांचवी अनुसूची में निवास करने वाले 90 फीसदी से अधिक आबादी खेतिहर मजदूरी, कृषि और वनोपज पर जीविकोपार्जन करते हैं. शासन की विभिन्न योजनाएं जो ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्रामवासियों को लाभ मिलता था. वह नहीं मिल पा रहा है इस गांव को नगर पंचायत बनाने के लिए ग्रामवासी सहमत भी नहीं थे और ग्राम सभा में भी किसी तरह की अनुमोदन या सहमति नहीं दी गई थी. बावजूद इसके सरकार ने इसे नगर पंचायत बना दिया है. जिसका खामियाजा यहां के आदिवासी भुगत रहे हैं.
आदिवासियों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का हनन:अरविंद नेताम
बस्तर से निकले आदिवासियों के संवैधानिक यात्रा का नेतृत्व करने वाले सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम का कहना है कि गांव को नगर पंचायत बनाए जाने से आदिवासियों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का हनन हो रहा है. साथ ही सरकार आदिवासियों को बेवकूफ समझ रही है. ऐसे में आदिवासी अपने हक और अपनी मांग की लड़ाई आगे भी लड़ेंगे. जब तक कि नगर पंचायत को ग्राम पंचायत ना बना दिया जाए. भोलेभाले आदिवासियों का सरकार नाजायज फायदा उठा रही है. जिसका विरोध समाज के द्वारा किया जा रहा है.