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बस्तर के 300 आदिवासियों ने क्यों निकाला संवैधानिक मार्च ?

सर्व आदिवासी समाज के प्रमुख अरविंद नेताम (Arvind Netam head of Sarva Adivasi Samaj) का कहना है कि ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बना दिया गया. इससे आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है. इसे पुनः ग्राम पंचायत बनाया जाए. अरविंद नेताम ने राज्य सरकार को दोषी ठहराया और कहा कि सरकार आदिवासियों को बेवकूफ समझती है.

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आदिवसाी सड़क पर उतरें
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Published : Oct 13, 2021, 5:09 PM IST

Updated : Oct 14, 2021, 6:26 PM IST

रायपुर: बस्तर के आदिवासी नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर आदिवासियों ने संवैधानिक पदयात्रा निकाली. आदिवासी राज्यपाल निवास पहुंचकर गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, उन्हें नगर पंचायत नहीं चाहिए. आदिवासियों की मांग है कि ग्राम पंचायत बनाया जाए. जिससे आदिवासियों का फायदा और भला हो और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके. बस्तर के लगभग 300 आदिवासी 3 अक्टूबर से संवैधानिक पदयात्रा निकालकर बस्तर से रायपुर की यात्रा को पूरा किया है.

बस्तर के आदिवासी ने राज्यपाल से की मुलाकात

ये भी पढ़ें: सावरकर मामले में फिर सुलगी सियासत, भाजपा का पलटवार-वामपंथियों की गोद में खेल रही सरकार

आदिवासियों ने की नवीन ग्राम पंचायत की मांग

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के तहत आने वाला गांव जिसे नगर पंचायत बना दिया गया है. यहां के ग्रामीण पुनः ग्राम पंचायत की मांग को लेकर संवैधानिक पदयात्रा निकालकर राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की. बस्तर का गांव गढ़सिलियारा नगर पंचायत को केशकाल से पृथक कर नवीन ग्राम पंचायत की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि नगर पंचायत के बन जाने से उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. जिसे नगर पंचायत बनाया गया है वह पूरी तरह से जंगल है. नगर पंचायत के बन जाने से आदिवासियों की स्वतंत्रता और अधिकार का हनन हो रहा है.

पांचवी अनुसूची में निवास करने वाले 90 फीसदी से अधिक आबादी खेतिहर मजदूरी, कृषि और वनोपज पर जीविकोपार्जन करते हैं. शासन की विभिन्न योजनाएं जो ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्रामवासियों को लाभ मिलता था. वह नहीं मिल पा रहा है इस गांव को नगर पंचायत बनाने के लिए ग्रामवासी सहमत भी नहीं थे और ग्राम सभा में भी किसी तरह की अनुमोदन या सहमति नहीं दी गई थी. बावजूद इसके सरकार ने इसे नगर पंचायत बना दिया है. जिसका खामियाजा यहां के आदिवासी भुगत रहे हैं.

बस्तर के 300 आदिवासियों ने क्यों निकाला संवैधानिक मार्च

आदिवासियों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का हनन:अरविंद नेताम

बस्तर से निकले आदिवासियों के संवैधानिक यात्रा का नेतृत्व करने वाले सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम का कहना है कि गांव को नगर पंचायत बनाए जाने से आदिवासियों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का हनन हो रहा है. साथ ही सरकार आदिवासियों को बेवकूफ समझ रही है. ऐसे में आदिवासी अपने हक और अपनी मांग की लड़ाई आगे भी लड़ेंगे. जब तक कि नगर पंचायत को ग्राम पंचायत ना बना दिया जाए. भोलेभाले आदिवासियों का सरकार नाजायज फायदा उठा रही है. जिसका विरोध समाज के द्वारा किया जा रहा है.

रायपुर: बस्तर के आदिवासी नगर पंचायत को ग्राम पंचायत बनाने की मांग को लेकर आदिवासियों ने संवैधानिक पदयात्रा निकाली. आदिवासी राज्यपाल निवास पहुंचकर गवर्नर अनुसुइया उइके से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि, उन्हें नगर पंचायत नहीं चाहिए. आदिवासियों की मांग है कि ग्राम पंचायत बनाया जाए. जिससे आदिवासियों का फायदा और भला हो और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके. बस्तर के लगभग 300 आदिवासी 3 अक्टूबर से संवैधानिक पदयात्रा निकालकर बस्तर से रायपुर की यात्रा को पूरा किया है.

बस्तर के आदिवासी ने राज्यपाल से की मुलाकात

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आदिवासियों ने की नवीन ग्राम पंचायत की मांग

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के तहत आने वाला गांव जिसे नगर पंचायत बना दिया गया है. यहां के ग्रामीण पुनः ग्राम पंचायत की मांग को लेकर संवैधानिक पदयात्रा निकालकर राज्यपाल अनुसुइया उइके से मुलाकात की. बस्तर का गांव गढ़सिलियारा नगर पंचायत को केशकाल से पृथक कर नवीन ग्राम पंचायत की मांग कर रहे हैं. उनका कहना है कि नगर पंचायत के बन जाने से उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही है. जिसे नगर पंचायत बनाया गया है वह पूरी तरह से जंगल है. नगर पंचायत के बन जाने से आदिवासियों की स्वतंत्रता और अधिकार का हनन हो रहा है.

पांचवी अनुसूची में निवास करने वाले 90 फीसदी से अधिक आबादी खेतिहर मजदूरी, कृषि और वनोपज पर जीविकोपार्जन करते हैं. शासन की विभिन्न योजनाएं जो ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्रामवासियों को लाभ मिलता था. वह नहीं मिल पा रहा है इस गांव को नगर पंचायत बनाने के लिए ग्रामवासी सहमत भी नहीं थे और ग्राम सभा में भी किसी तरह की अनुमोदन या सहमति नहीं दी गई थी. बावजूद इसके सरकार ने इसे नगर पंचायत बना दिया है. जिसका खामियाजा यहां के आदिवासी भुगत रहे हैं.

बस्तर के 300 आदिवासियों ने क्यों निकाला संवैधानिक मार्च

आदिवासियों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का हनन:अरविंद नेताम

बस्तर से निकले आदिवासियों के संवैधानिक यात्रा का नेतृत्व करने वाले सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम का कहना है कि गांव को नगर पंचायत बनाए जाने से आदिवासियों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का हनन हो रहा है. साथ ही सरकार आदिवासियों को बेवकूफ समझ रही है. ऐसे में आदिवासी अपने हक और अपनी मांग की लड़ाई आगे भी लड़ेंगे. जब तक कि नगर पंचायत को ग्राम पंचायत ना बना दिया जाए. भोलेभाले आदिवासियों का सरकार नाजायज फायदा उठा रही है. जिसका विरोध समाज के द्वारा किया जा रहा है.

Last Updated : Oct 14, 2021, 6:26 PM IST
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