जगदलपुर : बस्तर में सीपीआई और अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के कार्यकर्ताओं का अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हुए हैं. कृषि कानून और आदिवासियों की रिहाई की मांग को लेकर 1 फरवरी से धरना जारी है. अपनी 28 सूत्रीय मांगों को लेकर आदिवासी महासभा और सीपीआई कार्यकर्ता शहर के कमिश्नर कार्यालय के सामने धरने पर बैठे हुए हैं. जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा. इस धरना प्रदर्शन में बस्तर के कोने-कोने से आदिवासी पहुंचे हुए हैं. अपनी मांगों को लेकर वे हड़ताल पर बैठे हुए हैं.
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'किसान कानून वापस ले सरकार'
रामुराम मौर्य ने कहा कि, '3 कृषि कानून ने किसानों की कमर तोड़ रखी है. आदिवासियों की मांग है कि सरकार तीन कृषि बिल को वापस ले. केंद्र सरकार इस प्लांट का निजीकरण रद्द करें. उन्होंने कहा कि जब तक मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक आदिवासी महासभा अनिश्चितकालीन आंदोलन पर डटे रहेंगे'.
राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम भी होंगे शामिल
सचिव ने कहा कि, 'आने वाले दिनों में इस धरना प्रदर्शन के समर्थन में आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम के साथ सीपीआई के दिग्गज नेता भी शामिल होंगे. शहर में विशाल रैली निकालकर सीपीआई और बस्तर के आदिवासियों के साथ बस्तर कलेक्टर को प्रदेश के मुख्यमंत्री, देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपेगे'.
निर्दोष परिजन को रिहा करें सरकार
किसान संजय मरकाम ने बताया कि, '5 साल पहले बस्तर पुलिस ने गांव के 8 लोगों को नक्सली बताकर उन्हें घर से उठा लिया था, जबकि उनका नक्सलियों से कोई लेना-देना नहीं था. बावजूद इसके उन्हें नक्सली बताकर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि निर्दोष आदिवासियों को रिहा किया जाएगा. लेकिन सरकार बने ढाई साल बीतने के बाद भी उनके परिजन रिहा नहीं हो सके हैं. ऐसे में आदिवासियों ने भी जल्द से जल्द नक्सल मामलों में जेल में बंद निर्दोष उनके परिजनों को रिहा करने की मांग सरकार से की है'.