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कोरोना काल में 'ठन-ठन गोपाल' खजाना, कर्ज में बघेल सरकार

छत्तीसगढ़ सरकार पर इस समय लगभग 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है. कोरोना और लॉकडाउन में रेवेन्यू नहीं मिलने के कारण आय नहीं हो रही है. लेकिन खर्च बढ़ गए हैं. बीजेपी लगातार सरकार पर कर्ज लेकर प्रदेश को कमजोर करने का आरोप लगा रही है. तो वहीं सरकार के मंत्रियों का कहना है कि केंद्र की तरफ से मिलने वाली 25 हजार करोड़ से ज्यादा की राशि नहीं मिलने के कारण कर्ज लेना पड़ रहा है.

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कोरोना काल में छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक स्थिति बिगड़ी
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Published : Jul 15, 2021, 4:31 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 5:03 PM IST

रायपुर: कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न राज्यों सहित छत्तीसगढ़ की भी आर्थिक स्थिति (Economic condition of Chhattisgarh) चरमरा गई है. जहां एक तरफ राज्य सरकार के खजाने में राजस्व की वसूली (collection of revenue) नहीं हो पा रही है. वहीं दूसरी ओर कोरोना के कारण खर्चा बढ़ गया है. खासकर यह खर्चे स्वास्थ्य के क्षेत्र में ज्यादा किए गए हैं. आलम ये है कि अब सरकार को प्रदेश की विभिन्न योजनाओं और कार्यों को पूरा करने के लिए एक के बाद एक कर्ज लेना पड़ रहा है.

कोरोना काल में छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक स्थिति बिगड़ी

आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कोरोना (corona) काल में लॉकडाउन लगाए जाने के बाद राज्य की आर्थिक स्थिति कैसी है ? इससे उबरने के लिए राज्य सरकार की क्या तैयारी है ? साथ ही विपक्ष सरकार की वर्तमान आर्थिक स्थिति को लेकर क्या सोचता है ?

कोरोना काल के दौरान राजस्व प्राप्ति पर पड़ा असर

कोरोना के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के बाद राज्य के राजकीय कोष (state treasury) पर इसका खासा प्रभाव पड़ा है. प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉक्टर हनुमंत यादव ने ETV भारत से बताया कि लॉकडाउन के दौरान सभी प्रतिष्ठान, उद्योग धंधे, व्यापार और कल कारखाने बंद रहे. जो उद्योग धंधे और कारखाने चालू भी रहे, उनके उत्पादन पर खासा प्रभाव पड़ा. जिस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रही. यही वजह रही कि इनसे राज्य सरकार को राजस्व की उतनी प्राप्ति नहीं हुई, जितनी सामान्य दिनों में होती थी. या फिर यूं कहें कि लॉकडाउन के दौरान राजस्व नाम मात्र का ही रह गया था.

लॉकडाउन में राज्य सरकार के खर्चे बढ़े

जहां एक और लॉकडाउन की वजह से राजस्व की प्राप्ति कम हो रही थी. वहीं सरकार के खर्चे लगातार बढ़ रहे थे. खासकर कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार के सामने स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए ज्यादा संसाधन के साथ-साथ दवाइयों सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं जुटाना बड़ी चुनौती थी. इस पर राज्य सरकार का काफी बड़ा हिस्सा खर्च हुआ है. अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने सहित ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर भी सरकार ने जोर दिया. साथ ही वर्तमान में वैक्सीनेशन सहित अन्य व्यवस्थाओं को करने के लिए भी सरकार लगातार खर्च कर रही है. लॉकडाउन के दौरान लोगों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने पर भी सरकार की तरफ से अच्छा खासा बजट खर्च किया गया.

कई योजनाओं पर लगातार किया जा रहा है करोड़ों रुपए खर्च

कई ऐसे खर्चे हैं. जो लगातार जारी हैं. धान समर्थन मूल्य के अंतर की राशि के लिए राजीव गांधी न्याय योजना (Rajiv Gandhi Nyay Scheme), गोबर खरीदी के बाद गोधन न्याय योजना (godhan nyay yojana) और विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों और पशुपालकों के खाते में सीधे राशि का भुगतान करना. इसके अलावा भी कई ऐसी योजनाएं हैं, जिसका क्रियान्वयन लगातार जारी है और उस पर भी सरकार भारी भरकम रकम खर्च कर रही है.

शासकीय उपक्रमों और दफ्तरों के रखरखाव सहित वेतन और पेंशन का खर्च

शासकीय उपक्रमों, दफ्तरों के रखरखाव सहित अधिकारी और कर्मचारियों के वेतन में भी बहुत बड़ी राशि सरकार को हर महीने खर्च करनी पड़ती है. साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत दी जाने वाली पेंशन की राशि भी कहीं ज्यादा होती है. इन सारे खर्चे का भुगतान भी राज्य सरकार को करना पड़ता है. जो लॉकडाउन के दौरान भी जारी रहा.

कई निर्माण कार्य भी रहे जारी

कई निर्माण कार्य जिन्हें लॉकडाउन के दौरान रोकना संभव नहीं था. जैसे सड़कों का निर्माण, जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाना और पानी टंकी निर्माण इन सब पर भी सरकार लगातार खर्च करती रही.

कोरोना काल में खाली हुआ सरकारी खजाना

कोरोना और लॉकडाउन के कारण सरकार का खजाना लगातार खाली होता रहा. इस दौरान सरकार के पास विभिन्न स्त्रोतों से मिलने वाल टैक्स मिलना बंद हो गया. आमदनी के अनुपात में सिर्फ नाम मात्र की कर वसूली होती रही. वाणिज्य कर से राज्यों की आय, जीएसटी से राज्य का हिस्सा, उत्पादन शुल्क राजस्व टिकट, पंजीकरण परिवहन अन्य कर, गैर कर, राजस्व आय, केंद्रीय करों से मिलने वाली राशि नाम मात्र की रह गई. वर्तमान में इसका प्रतिशत बताना तो संभव नहीं है, लेकिन आम दिनों की अपेक्षा यह कर वसूली कुछ प्रतिशत ही रह गई थी.

कोरोना की तीसरी लहर: बच्चों के लिए आयुर्वेदिक कॉलेज के कैंपस में खोला गया स्पेशल हॉस्पिटल, रहेंगी ये व्यवस्थाएं

कर वसूली अभियान सरकार ने किया तेज

हालांकि अनलॉक के बाद एक बार फिर छत्तीसगढ़ सरकार लंबित कर की वसूली सहित वर्तमान कर की वसूली में जुट गई है. राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने पर लगातार जोर दे रही है. बीते दिनों समीक्षा बैठक के दौरान राज्य के संसाधनों से राजस्व वृद्धि पर जोर देने अफसरों को निर्देशित भी किया जा चुका है.

छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में लिया 1 हजार करोड़ का कर्ज

कोरोना और लॉकडाउन से प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर इतना विपरीत असर पड़ा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के माध्यम से जुलाई में 1 हजार करोड़ का कर्ज लिया है. सरकार यह रकम लगभग 7 फीसदी (6.82) ब्याज दर के साथ 7 वर्ष में लौटाएगी. चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार ने यह पहला कर्ज लिया है.

सरकार पर 70 हजार करोड़ का कर्ज

एक हजार करोड़ के नए कर्ज के साथ प्रदेश पर कर्ज का भार बढ़कर 70 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है. वित्तीय वर्ष के पहले ही महीने में लॉकडाउन की वजह से राजस्व प्रभावित हुआ है. यही वजह है कि राज्य सरकार को रोजमर्रा के खर्च के लिए ये कर्ज लेना पड़ रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने करीब 12 हजार करोड़ का कर्ज लिया था.

5330 करोड़ रुपये सालाना चुका रही ब्याज

छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि हर साल कर्ज का 5330 करोड़ रुपये सरकार ब्याज चुका रही है. कांग्रेस सरकार बनने से पहले राज्य में 41695 करोड़ रुपये का कर्ज था.

कर्ज लेकर राज्य को कमजोर करने का काम कर रही है कांग्रेस सरकार : भाजपा

छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से लगातार लिए जा रहे कर्ज को लेकर बीजेपी ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि कर्ज लेना छत्तीसगढ़ सरकार की नीति बन चुकी है. प्रदेश में लगातार भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं. लगातार कर्ज लेकर प्रदेश को आर्थिक रुप से कमजोर करने का काम किया जा रहा है. इसका ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा जा रहा है. इनके पास भविष्य को लेकर कोई भी एक्शन प्लान नहीं है. यही कारण है कि सरकार लगातार कर्ज लेती जा रही है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया और एयर इंडिया दोनों बिकाऊ हैं: सीएम बघेल

कोरोना काल में राजस्व की नहीं हो सकी वसूली : कांग्रेस

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी (Shailesh Nitin Trivedi) का कहना है कि कोरोना का समय बहुत कठिन रहा. इस दौरान जहां आर्थिक गतिविधियां बंद रहीं, वहीं राजस्व की वसूली नहीं हो पाई. 26 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मिलना है जो अब तक नहीं मिला है. दूसरी और कोविड से लड़ने के लिए जरूरी संसाधन सरकार की तरफ से जुटाए जा रहे हैं. जिसमें खर्च हो रहा है.

केंद्र हमारा करोड़ों रुपये नहीं देगी तो कर्ज तो लेना ही पड़ेगा : रविंद्र चौबे

सरकार के प्रवक्ता एवं कृषि मंत्री रविंद्र चौबे (Agriculture Minister Ravindra Choubey) का कहना है कि लगातार केंद्र सरकार से मांग की जा रही है कि प्रदेश का GST का पैसा, रॉयल्टी और माइनिंग शुल्क जो कि कुल मिलाकर 18 हजार से 20 हजार करोड़ के बीच का है. वो लौटा दे. लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने नहीं दिया है. इसी वजह से प्रदेश सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है. चौबे ने कर्ज लेने को सामान्य प्रक्रिया बताया.

साल 2021-22 का अनुमानित बजट

साल 2021-22 के लिए 79 हजार 325 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है. इसमें राज्य का राजस्व 35 हजार करोड़ और केंद्र से प्राप्त होने वाली राशि 44 हजार 325 करोड़ है. साल 2021-22 के लिए अनुमानित सकल व्यय 1 लाख 5 हजार 213 करोड़ रुपये का है. सकल व्यय से ऋणों की अदायगी और पुर्नप्राप्तियों को घटाने पर शुद्ध व्यय 97 हजार 106 करोड़ रुपए अनुमानित है. राजस्व व्यय 83 हजार 28 करोड़ और पूंजीगत व्यय 13 हजार 839 करोड़ है. साल 2021-22 में पूंजीगत व्यय कुल व्यय का 14 प्रतिशत है. साल 2021-22 के बजट में सामाजिक क्षेत्र के लिए 38 प्रतिशत, आर्थिक क्षेत्र के लिए 39 प्रतिशत, एवं सामान्य सेवा क्षेत्र के लिए 23 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है.

राजकीय कोष की स्थिति

इस बजट में 3702 करोड़ का राजस्व घाटा अनुमानित किया गया है. राज्य का सकल वित्तीय घाटा 17461 करोड़ अनुमानित है. जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.56 प्रतिशत है. साल 2021-22 के लिए कुल प्राप्तियां 97145 करोड़ के विरुद्ध शुद्ध व्यय 97106 करोड़ अनुमानित है. अन्य वित्तीय संगठनों के फलस्वरुप 39 करोड़ की बचत अनुमानित है. साल 2020 21 का संभावित घाटा 1095 करोड़ को शामिल करते हुए साल 2021-22 के अंत में 1916 का बजट घाटा अनुमानित है.

अतिरिक्त कर का प्रस्ताव नहीं

वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए भी राज्य सरकार ने लोगों पर अतिरिक्त कर का बोझ नहीं डाला है. इस वित्तीय वर्ष में सरकार की ओर से कोई भी नया कर का प्रस्ताव नहीं दिया गया है.

रायपुर: कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न राज्यों सहित छत्तीसगढ़ की भी आर्थिक स्थिति (Economic condition of Chhattisgarh) चरमरा गई है. जहां एक तरफ राज्य सरकार के खजाने में राजस्व की वसूली (collection of revenue) नहीं हो पा रही है. वहीं दूसरी ओर कोरोना के कारण खर्चा बढ़ गया है. खासकर यह खर्चे स्वास्थ्य के क्षेत्र में ज्यादा किए गए हैं. आलम ये है कि अब सरकार को प्रदेश की विभिन्न योजनाओं और कार्यों को पूरा करने के लिए एक के बाद एक कर्ज लेना पड़ रहा है.

कोरोना काल में छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक स्थिति बिगड़ी

आइए जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर कोरोना (corona) काल में लॉकडाउन लगाए जाने के बाद राज्य की आर्थिक स्थिति कैसी है ? इससे उबरने के लिए राज्य सरकार की क्या तैयारी है ? साथ ही विपक्ष सरकार की वर्तमान आर्थिक स्थिति को लेकर क्या सोचता है ?

कोरोना काल के दौरान राजस्व प्राप्ति पर पड़ा असर

कोरोना के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के बाद राज्य के राजकीय कोष (state treasury) पर इसका खासा प्रभाव पड़ा है. प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉक्टर हनुमंत यादव ने ETV भारत से बताया कि लॉकडाउन के दौरान सभी प्रतिष्ठान, उद्योग धंधे, व्यापार और कल कारखाने बंद रहे. जो उद्योग धंधे और कारखाने चालू भी रहे, उनके उत्पादन पर खासा प्रभाव पड़ा. जिस वजह से उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं रही. यही वजह रही कि इनसे राज्य सरकार को राजस्व की उतनी प्राप्ति नहीं हुई, जितनी सामान्य दिनों में होती थी. या फिर यूं कहें कि लॉकडाउन के दौरान राजस्व नाम मात्र का ही रह गया था.

लॉकडाउन में राज्य सरकार के खर्चे बढ़े

जहां एक और लॉकडाउन की वजह से राजस्व की प्राप्ति कम हो रही थी. वहीं सरकार के खर्चे लगातार बढ़ रहे थे. खासकर कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए राज्य सरकार के सामने स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए ज्यादा संसाधन के साथ-साथ दवाइयों सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं जुटाना बड़ी चुनौती थी. इस पर राज्य सरकार का काफी बड़ा हिस्सा खर्च हुआ है. अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त करने सहित ऑक्सीजन प्लांट लगाने पर भी सरकार ने जोर दिया. साथ ही वर्तमान में वैक्सीनेशन सहित अन्य व्यवस्थाओं को करने के लिए भी सरकार लगातार खर्च कर रही है. लॉकडाउन के दौरान लोगों को खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने पर भी सरकार की तरफ से अच्छा खासा बजट खर्च किया गया.

कई योजनाओं पर लगातार किया जा रहा है करोड़ों रुपए खर्च

कई ऐसे खर्चे हैं. जो लगातार जारी हैं. धान समर्थन मूल्य के अंतर की राशि के लिए राजीव गांधी न्याय योजना (Rajiv Gandhi Nyay Scheme), गोबर खरीदी के बाद गोधन न्याय योजना (godhan nyay yojana) और विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों और पशुपालकों के खाते में सीधे राशि का भुगतान करना. इसके अलावा भी कई ऐसी योजनाएं हैं, जिसका क्रियान्वयन लगातार जारी है और उस पर भी सरकार भारी भरकम रकम खर्च कर रही है.

शासकीय उपक्रमों और दफ्तरों के रखरखाव सहित वेतन और पेंशन का खर्च

शासकीय उपक्रमों, दफ्तरों के रखरखाव सहित अधिकारी और कर्मचारियों के वेतन में भी बहुत बड़ी राशि सरकार को हर महीने खर्च करनी पड़ती है. साथ ही सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत दी जाने वाली पेंशन की राशि भी कहीं ज्यादा होती है. इन सारे खर्चे का भुगतान भी राज्य सरकार को करना पड़ता है. जो लॉकडाउन के दौरान भी जारी रहा.

कई निर्माण कार्य भी रहे जारी

कई निर्माण कार्य जिन्हें लॉकडाउन के दौरान रोकना संभव नहीं था. जैसे सड़कों का निर्माण, जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन बिछाना और पानी टंकी निर्माण इन सब पर भी सरकार लगातार खर्च करती रही.

कोरोना काल में खाली हुआ सरकारी खजाना

कोरोना और लॉकडाउन के कारण सरकार का खजाना लगातार खाली होता रहा. इस दौरान सरकार के पास विभिन्न स्त्रोतों से मिलने वाल टैक्स मिलना बंद हो गया. आमदनी के अनुपात में सिर्फ नाम मात्र की कर वसूली होती रही. वाणिज्य कर से राज्यों की आय, जीएसटी से राज्य का हिस्सा, उत्पादन शुल्क राजस्व टिकट, पंजीकरण परिवहन अन्य कर, गैर कर, राजस्व आय, केंद्रीय करों से मिलने वाली राशि नाम मात्र की रह गई. वर्तमान में इसका प्रतिशत बताना तो संभव नहीं है, लेकिन आम दिनों की अपेक्षा यह कर वसूली कुछ प्रतिशत ही रह गई थी.

कोरोना की तीसरी लहर: बच्चों के लिए आयुर्वेदिक कॉलेज के कैंपस में खोला गया स्पेशल हॉस्पिटल, रहेंगी ये व्यवस्थाएं

कर वसूली अभियान सरकार ने किया तेज

हालांकि अनलॉक के बाद एक बार फिर छत्तीसगढ़ सरकार लंबित कर की वसूली सहित वर्तमान कर की वसूली में जुट गई है. राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने पर लगातार जोर दे रही है. बीते दिनों समीक्षा बैठक के दौरान राज्य के संसाधनों से राजस्व वृद्धि पर जोर देने अफसरों को निर्देशित भी किया जा चुका है.

छत्तीसगढ़ सरकार ने हाल ही में लिया 1 हजार करोड़ का कर्ज

कोरोना और लॉकडाउन से प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर इतना विपरीत असर पड़ा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के माध्यम से जुलाई में 1 हजार करोड़ का कर्ज लिया है. सरकार यह रकम लगभग 7 फीसदी (6.82) ब्याज दर के साथ 7 वर्ष में लौटाएगी. चालू वित्तीय वर्ष में प्रदेश सरकार ने यह पहला कर्ज लिया है.

सरकार पर 70 हजार करोड़ का कर्ज

एक हजार करोड़ के नए कर्ज के साथ प्रदेश पर कर्ज का भार बढ़कर 70 हजार करोड़ से ज्यादा हो गया है. वित्तीय वर्ष के पहले ही महीने में लॉकडाउन की वजह से राजस्व प्रभावित हुआ है. यही वजह है कि राज्य सरकार को रोजमर्रा के खर्च के लिए ये कर्ज लेना पड़ रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में सरकार ने करीब 12 हजार करोड़ का कर्ज लिया था.

5330 करोड़ रुपये सालाना चुका रही ब्याज

छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि हर साल कर्ज का 5330 करोड़ रुपये सरकार ब्याज चुका रही है. कांग्रेस सरकार बनने से पहले राज्य में 41695 करोड़ रुपये का कर्ज था.

कर्ज लेकर राज्य को कमजोर करने का काम कर रही है कांग्रेस सरकार : भाजपा

छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से लगातार लिए जा रहे कर्ज को लेकर बीजेपी ने राज्य की कांग्रेस सरकार पर हमला बोला है. बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि कर्ज लेना छत्तीसगढ़ सरकार की नीति बन चुकी है. प्रदेश में लगातार भ्रष्टाचार बढ़ रहे हैं. लगातार कर्ज लेकर प्रदेश को आर्थिक रुप से कमजोर करने का काम किया जा रहा है. इसका ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा जा रहा है. इनके पास भविष्य को लेकर कोई भी एक्शन प्लान नहीं है. यही कारण है कि सरकार लगातार कर्ज लेती जा रही है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया और एयर इंडिया दोनों बिकाऊ हैं: सीएम बघेल

कोरोना काल में राजस्व की नहीं हो सकी वसूली : कांग्रेस

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी (Shailesh Nitin Trivedi) का कहना है कि कोरोना का समय बहुत कठिन रहा. इस दौरान जहां आर्थिक गतिविधियां बंद रहीं, वहीं राजस्व की वसूली नहीं हो पाई. 26 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मिलना है जो अब तक नहीं मिला है. दूसरी और कोविड से लड़ने के लिए जरूरी संसाधन सरकार की तरफ से जुटाए जा रहे हैं. जिसमें खर्च हो रहा है.

केंद्र हमारा करोड़ों रुपये नहीं देगी तो कर्ज तो लेना ही पड़ेगा : रविंद्र चौबे

सरकार के प्रवक्ता एवं कृषि मंत्री रविंद्र चौबे (Agriculture Minister Ravindra Choubey) का कहना है कि लगातार केंद्र सरकार से मांग की जा रही है कि प्रदेश का GST का पैसा, रॉयल्टी और माइनिंग शुल्क जो कि कुल मिलाकर 18 हजार से 20 हजार करोड़ के बीच का है. वो लौटा दे. लेकिन अब तक केंद्र सरकार ने नहीं दिया है. इसी वजह से प्रदेश सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है. चौबे ने कर्ज लेने को सामान्य प्रक्रिया बताया.

साल 2021-22 का अनुमानित बजट

साल 2021-22 के लिए 79 हजार 325 करोड़ रुपए मिलने का अनुमान है. इसमें राज्य का राजस्व 35 हजार करोड़ और केंद्र से प्राप्त होने वाली राशि 44 हजार 325 करोड़ है. साल 2021-22 के लिए अनुमानित सकल व्यय 1 लाख 5 हजार 213 करोड़ रुपये का है. सकल व्यय से ऋणों की अदायगी और पुर्नप्राप्तियों को घटाने पर शुद्ध व्यय 97 हजार 106 करोड़ रुपए अनुमानित है. राजस्व व्यय 83 हजार 28 करोड़ और पूंजीगत व्यय 13 हजार 839 करोड़ है. साल 2021-22 में पूंजीगत व्यय कुल व्यय का 14 प्रतिशत है. साल 2021-22 के बजट में सामाजिक क्षेत्र के लिए 38 प्रतिशत, आर्थिक क्षेत्र के लिए 39 प्रतिशत, एवं सामान्य सेवा क्षेत्र के लिए 23 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है.

राजकीय कोष की स्थिति

इस बजट में 3702 करोड़ का राजस्व घाटा अनुमानित किया गया है. राज्य का सकल वित्तीय घाटा 17461 करोड़ अनुमानित है. जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 4.56 प्रतिशत है. साल 2021-22 के लिए कुल प्राप्तियां 97145 करोड़ के विरुद्ध शुद्ध व्यय 97106 करोड़ अनुमानित है. अन्य वित्तीय संगठनों के फलस्वरुप 39 करोड़ की बचत अनुमानित है. साल 2020 21 का संभावित घाटा 1095 करोड़ को शामिल करते हुए साल 2021-22 के अंत में 1916 का बजट घाटा अनुमानित है.

अतिरिक्त कर का प्रस्ताव नहीं

वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए भी राज्य सरकार ने लोगों पर अतिरिक्त कर का बोझ नहीं डाला है. इस वित्तीय वर्ष में सरकार की ओर से कोई भी नया कर का प्रस्ताव नहीं दिया गया है.

Last Updated : Jul 15, 2021, 5:03 PM IST
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