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साइकिल से हजारों किलोमीटर नापने वाला आखिर सुकमा में क्यों डर गया ?

चेन्नई के रहने वाले अश्व ह्दयराजन ने स्वस्थ और दुरुस्त रहने के लिए साइकिल से ही हजारों किलोमीटर नाप चुके हैं. इसी के साथ ही अश्व लोगों को भी पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक कर रहा है.

साइकिल से तय किया हजारों किलोमीटर दूरी
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Published : Jun 14, 2019, 8:48 PM IST

रायपुर: चेन्नई के रहने वाले अश्व ह्दयराजन साइकिल से हजारों किलोमीटर नाप चुके हैं. इनका चयन आईआईएम रायपुर में हुआ है. चेन्नई से रायपुर का सफर इन्होंने साइकिल से तय किया. न मोटर गाड़ियों का शौक, न मन में डर. इनके पास था जुनून, जिसके सहारे इन्होंने हजारों किलोमीटर साइकिल से नाप दिए.

साइकिल से तय किया हजारों किलोमीटर दूरी

अश्व हृदराजन चेन्नई से रायपुर आ रहे थे, तो उन्होंने अपनी यात्रा का अनुभव साझा किया. अश्व हृदराजन ने बताया जब वो सुकमा और जगदलपुर के बीच पहुंचा तो उसे अचानक कुछ लोगों ने रोक लिया. लोगों के रोकने से ही वो डर गए और लगा कि कहीं ये नक्सली तो नहीं.

क्यों डर गए ह्दयराजन
चारों तरफ सन्नाटा और सामने उसके कुछ लोग मन में शंका आ गई, लेकिन बाद में पता चला कि ये ग्रामीण हैं जो कोई त्योहार मना रहे हैं. और आने-जाने वालों से पैसा ले रहे हैं. फिर क्या उसने भी 10 का नोट निकालकर दिया, तो उन्हें जाने दिया गया. इसी तरह कुछ और जगहों पर उन्हें रोककर चंदा मांगा गया. इन खट्टी मीठी यादों को समेटे और एक संदेश देते वे आगे बढ़ते हुए अपना सफर पूरा किया.

स्वस्थ और दुरुस्त रहने का दे रहे संदेश
बता दें कि हर साल तापमान में हो रहे बढ़ोतरी को देखते हुए अश्व हृदराजन साइकिल से रास्ता तय करते हैं, जिससे वो स्वस्थ और दुरुस्त रहे. इसी के साथ ही अश्व लोगों को भी पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक कर रहा है.

रायपुर: चेन्नई के रहने वाले अश्व ह्दयराजन साइकिल से हजारों किलोमीटर नाप चुके हैं. इनका चयन आईआईएम रायपुर में हुआ है. चेन्नई से रायपुर का सफर इन्होंने साइकिल से तय किया. न मोटर गाड़ियों का शौक, न मन में डर. इनके पास था जुनून, जिसके सहारे इन्होंने हजारों किलोमीटर साइकिल से नाप दिए.

साइकिल से तय किया हजारों किलोमीटर दूरी

अश्व हृदराजन चेन्नई से रायपुर आ रहे थे, तो उन्होंने अपनी यात्रा का अनुभव साझा किया. अश्व हृदराजन ने बताया जब वो सुकमा और जगदलपुर के बीच पहुंचा तो उसे अचानक कुछ लोगों ने रोक लिया. लोगों के रोकने से ही वो डर गए और लगा कि कहीं ये नक्सली तो नहीं.

क्यों डर गए ह्दयराजन
चारों तरफ सन्नाटा और सामने उसके कुछ लोग मन में शंका आ गई, लेकिन बाद में पता चला कि ये ग्रामीण हैं जो कोई त्योहार मना रहे हैं. और आने-जाने वालों से पैसा ले रहे हैं. फिर क्या उसने भी 10 का नोट निकालकर दिया, तो उन्हें जाने दिया गया. इसी तरह कुछ और जगहों पर उन्हें रोककर चंदा मांगा गया. इन खट्टी मीठी यादों को समेटे और एक संदेश देते वे आगे बढ़ते हुए अपना सफर पूरा किया.

स्वस्थ और दुरुस्त रहने का दे रहे संदेश
बता दें कि हर साल तापमान में हो रहे बढ़ोतरी को देखते हुए अश्व हृदराजन साइकिल से रास्ता तय करते हैं, जिससे वो स्वस्थ और दुरुस्त रहे. इसी के साथ ही अश्व लोगों को भी पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए जागरूक कर रहा है.

Intro:

रायपुर चेन्नई के रहने वाले छात्र का चयन रायपुर आईआई एम में हुआ है चेन्नई से रायपुर आने के लिए इस छात्र ने साइकिल को जरिया बनाया 1070 किलोमीटर की यात्रा को इसने ग्लोबल वार्मिंग को लेकर लोगों को अवेयर करना और साइकिल के इस्तेमाल को बढ़ावा देना है


Body:

अश्व हृदराजन के मुताबिक हर साल तापमान में हो रहे बढ़ोतरी के लिए मोटर गाड़ियों से होने वाला प्रदूषण भी हैं ऐसे में साइकिल के इस्तेमाल से ना केवल पर्यावरण को स्वच्छ रखा जा सकता है बल्कि मनुष्य भी स्वस्थ रह सकता है उनके मुताबिक साइकिल के इस्तेमाल से शरीर में कई तरह की बीमारी मसलन शुगर बीपी जैसी समस्या नहीं आती उनका मानना है कि 10 लोग भी उनके इस प्रयास से प्रभावित होते हैं तो इसका अच्छा असर पड़ेगा साइकिल चलाइए और जमकर खाइए

आजकल लोग स्वस्थ रहने के लिए डाइट को लेकर काफी जागरूक हो रहे हैं वजन बढ़ना आम समस्या हो गई इस छात्र के मुताबिक साइकिलिंग करना कैलरी बर्न करने का बेहतरीन उपाय साबित हो सकता है उनका दावा है कि वह हर तरह का फूड जमकर खाते हैं और साइकिल चलाते हैं उन्हें कभी ओवरवेट की समस्या का सामना नहीं करना पड़ा


Conclusion:

14 दिन में पूरा किया सफर अश्व हृदराजन ने चेन्नई से रायपुर का सफर 14 दिन में पूरा किया उन्होंने अपनी यात्रा का अनुभव साझा करते हुए बताया कि जब उन्हें सुकमा और जगदलपुर के बीच कुछ लोगों ने उन्हें रोक लिया शुरू में वे यह सोचकर डर गए कि यह नक्सली हैं बाद में उन्हें पता चला कि यह ग्रामीण है जो कोई त्यौहार मना रहे हैं और आने जाने वालों से पैसा ले रहे हैं फिर उन्होंने ₹10 का नोट निकालकर ग्रामीणों को दिया इसके बाद उन्हें जाने दिया गया इसी तरह कुछ और जगहों पर उन्हें रोककर चंदा मांगा गया इन खट्टी मीठी यादों को समेटे और एक संदेश देते वे आगे बढ़ते हुए अपना सफर पूरा किया



बाइट अश्व हृदराजन साइकिल से यात्रा करने वाला युवक


रितेश तंबोली ईटीवी भारत रायपुर
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