रायपुर: विधानसभा के मानसून सत्र का तीसरा दिन भी हंगामेदार रहा. श्रमिकों, किसानों, महाधिवक्ता के इस्तीफे पर सदन में सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई. किसानों के मुद्दे पर हंगामा करते हुए भाजपा विधायक वेल तक आ गए. पूर्व सीएम और विधायक रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर और धरमजीत सिंह को वेल में आने पर निलंबित कर दिया गया.
भाजपा स्थगन प्रस्ताव के मुद्दे पर चर्चा चाहती है. किसानों के माफ हुए लोन पर अब तक सर्टिफिकेट नहीं मिलने, खाद-बीज की कमी और अन्य मुद्दों पर चर्चा को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया और वेल तक आ गए. जिसके बाद सभापति सत्यनारायण शर्मा ने उन्हें निलंबित कर दिया.
किसानों का मुद्दा गरमाया
किसानों के मुद्दे पर भी सदन गरम हुआ. पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सरकार को घेरते हुए कहा कि, प्रदेश में इससे विकट स्थित नहीं हो सकती. आज किसानों को बीज नहीं मिल रहा है और बिजली कटौती हो रही हैं. मानसून भी लेट है, किसान असफलता की दोहरी मार झेल रहे हैं. कर्ज माफी सिर्फ 65% ही हुई है. उन्होंने इस मामले पर भी लंबी चर्चा की मांग की.
कांग्रेस विधायकों ने किया हंगामा
अजय चंद्राकर ने किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस सरकार के पाप का घड़ा 8 महीने के अंदर ही भर गया है. बारिश नहीं हो रही है और बीज बाहर से खरीदे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे अकाल की स्थिति का सामना करना पड़ेगा. अजय चन्द्राकर के संबोधन के दौरान कांग्रेस विधायकों ने हंगामा किया.
श्रमिक मौतों का मामला गूंजा
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने उद्योगों में काम के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं और मजदूरों की मौत पर सवाल उठाया. विपक्ष ने सत्तापक्ष से पूछा कि दिसंबर 2018 से जून 2019 के बीच कितने श्रमिकों की मौत हुई है. सरकार ने बताया कि इस दौरान 45 मजदूरों की जान गई है.
उद्योगों में विस्फोटकों की बात को लेकर श्रम मंत्री डहरिया ने कहा कि, 'उद्योगों में विस्फोटक नहीं होते, खदानों में उपयोग किए जाते हैं. इस पर भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने आपत्ति की. उन्होंने कहा कि विस्फोटक उद्योगों में भी उपयोग किए जाते हैं. इसके बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने खूब हंगामा किया. आसंदी के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ.'
महाधिवक्ता के इस्तीफे पर हुआ हंगामा
इसके बाद विधायक अजय चंद्राकर ने महाधिवक्ता के इस्तीफे का मामला उठाया और कहा कि मंत्री अलग-अलग बयान दे रहे हैं. इस मामले में सत्ता पक्ष के नेताओं और सीएम भूपेश बघेल के बयानों से उटे विरोधाभास को मुद्दा बनाते हुए महाधिवक्ता की नियुक्ति पर विपक्ष ने हंगामा किया. आसंदी ने इस मामले पर विस्तृत चर्चा नहीं करने की बात कही, जबकि विपक्ष इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा चाहता है. हंगामे की वजह से 10 मिनट तक सदन की कार्यवाही रोकी गई.
धमरजीत सिंह भड़के
उन्होंने कहा कि पूरी परियोजना में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है. उन्होंने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. साथ ही नगर निगम में दशकों से जमे अफसरों को तत्काल हटाने की मांग की. इस पर मंत्री शिव डहरिया ने ऐसे अफसरों को हटाने पर अपनी सहमति दे दी है.
जोगी ने की ये मांग
पूर्व मुख्यमंत्री और जेसीसीजे विधायक अजीत जोगी ने पर्यटन विभाग द्वारा होटल प्रबंधन संस्थान को लेकर सवाल उठाया. इसपर पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने बताया कि होटल प्रबंधन संस्थान के भवन निर्माण में 20 करोड़ 71 लाख और स्थापना से लेकर दिसंबर 2018 तक वेतन भत्तों में 3 करोड़ 31 लाख का भुगतान किया गया है. इस पर जोगी ने कहा कि 13 साल में 23 करोड़ खर्च होने के बावजूद एक भी शिक्षित नहीं हुए. यह शर्मसार करने वाली बात है. साथ ही इसे राष्ट्रीय प्रबन्धन संस्थान की तर्ज पर विकसित करने की मांग की. इस पर मंत्री ने कहा कि मामला कोर्ट में होने की वजह से प्राचार्य व अन्य अध्यापकों की नियुक्ति में दिक्कत है. फिर भी इसे दुरुस्त करेंगे.