रायपुर: नगर निगम के चुनाव को एक साल पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक विपक्ष में बैठा भाजपा पार्षद दल का नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पाया है. इसके कारण सामान्य सभा और अन्य धरना प्रदर्शन जैसे मामलों में भाजपा पार्षद दल नेतृत्व विहीन नजर आता है. पार्षदों के गुट अलग-अलग राय देते हैं, जिसके कारण विपक्ष लगातार कमजोर नजर आ रहा है. भाजपा सूत्रों की मानें तो भाजपा के विधायक सूर्यकांत राठौर को ही नेता प्रतिपक्ष बनाने पर जोर दे रहे हैं. जबकि अन्य पार्षद मीनल चौबे और मृत्युंजय दुबे समेत कुछ और पार्षदों को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते हैं. ऐसे में भाजपा के बीच अंतर्कलह की स्थिति हो गई है और नेता प्रतिपक्ष चुनना मुश्किल होता जा रहा है.
कांग्रेस उठा रही फायदा
नेता प्रतिपक्ष न होने का पूरा फायदा सत्ता में बैठी कांग्रेस उठा रही है. सदन में बिना विरोध के टेंडर और प्रस्ताव आराम से पास किए जा रहे हैं. भाजपा के जिला अध्यक्ष श्रीचंद सुंदरानी भी कहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष चुनने का मामला प्रदेश स्तर पर अटका हुआ है. नाम फाइनल होने के बाद उसे जल्द से जल्द सार्वजनिक कर दिया जाएगा. नए साल को लेकर भी नई रणनीतियां बनाई गई है. आने वाले दिनों में भाजपा के पार्षद नगर निगम में सत्ता पक्ष का घेराव करते नजर आएंगे.
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बीजेपी में बढ़ रहा अंतर्कलह
इधर, महापौर एजाज ढेबर बीजेपी पर तंज कसते हुए कहते हैं कि भाजपा पार्षद दल बिना दूल्हे की बारात की तरह हो गया है जो न तो सामान्य सभा और न ही किसी और बैठक में एकजुट होकर बात कर पाता है. इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि बिना नेता प्रतिपक्ष किसी विपक्ष ने इतना लंबा समय गुजारा हो. महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि भाजपा पार्षदों में आपस में मनमुटाव इतना है अभी तक यह नेता प्रतिपक्ष तय नहीं कर पा रहे हैं. राष्ट्रीय पार्टी जिनकी केंद्र में सरकार है छत्तीसगढ़ में 15 साल इनकी सरकार रही. उसके बावजूद अगर रायपुर नगर निगम में वे लोग अपना नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पा रहे हैं, तो इससे बड़ा दुर्भाग्य की बात नहीं हो सकती.
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पार्टी जल्द घोषित करेगी नेता प्रतिपक्ष का नाम
नगर निगम के पूर्व नेता प्रतिपक्ष और भाजपा विधायक सूर्यकांत राठौर इस पर दलील देते हुए कांग्रेस पर ही निशाना साध रहे हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सभापति होने के बावजूद उन्हें एमआईसी की बैठक में नहीं बुलाया जाता है. इससे बड़ी गुटबाजी शहर में नहीं हो सकती है. सूर्यकांत राठौर कहते हैं, सबसे ज्यादा कांग्रेस में गुटबाजी है. जिसका दुष्परिणाम रायपुर की जनता को भोगना पड़ रहा है. जहां तक भारतीय जनता पार्टी की बात है, नेता प्रतिपक्ष कौन होगा यह संगठन तय करेगा. 29 पार्षदों में कोई भी नेता प्रतिपक्ष बन सकता है. पार्टी जिसे उचित समझे उसके नाम की घोषणा करेगी.