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छत्तीसगढ़ मॉडल असम में हुआ 'फेल', विपक्ष के निशाने पर सीएम भूपेश बघेल

असम विधानसभा चुनाव के परिणाम आते ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विपक्ष के नेताओं के निशाने पर आ गए हैं. सीएम भूपेश बघेल असम में कांग्रेस के चुनाव प्रभारी थे. असम में कांग्रेस हार चुकी है. जिसके कारण वे छत्तीसगढ़ में विपक्ष के नेताओं के निशाने पर हैं. सीएम ने असम में कई रैलियां की थी. रैलियों के दौरान और उसके बाद कई बार कई मंच से भूपेश बघेल ने कांग्रेस की जीत का दावा किया था. जिसे लेकर अब विपक्ष उनपर तंज कस रहा है.

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असम में फेल हुआ छत्तीसगढ़ मॉडल
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Published : May 5, 2021, 12:23 PM IST

Updated : May 5, 2021, 1:03 PM IST

रायपुर: असम सहित पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों का असर छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रहा है. चुनावी नतीजों से जहां कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में निराशा है, वहीं भाजपा कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल में मिली हार से मायूस हैं. असम चुनाव का असर छत्तीसगढ़ संगठन में नियुक्ति पर भी पड़ सकता है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को असम का प्रभारी बनाया गया था और इसके बाद से वे लगातार असम में छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर धुआंधार प्रचार भी कर रहे थे, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस को वह सफलता नहीं मिल पाई, जिसका वे दावा कर रहे थे. इसका असर आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में भी देखा जा सकेगा.

असम में फेल हुआ छत्तीसगढ़ मॉडल

छत्तीसगढ़ में भारी बहुमत से सत्ता सरकार में बैठी कांग्रेस असम में भी भाजपा के किले को भेजने के लिए बड़ी रणनीति बनाई थी. इसके लिए छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल को असम का प्रभारी बनाया गया और उन्होंने भाजपा के इस नए गढ़ को भेदने के लिए अपनी रणनीति का इस्तेमाल किया, लेकिन कांग्रेस गठबंधन को बहुमत के करीब नहीं पहुंचा पाए. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव की घोषणा से पहले जनवरी 2021 की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को असम में कांग्रेस का चुनावी पर्यवेक्षक और चुनाव प्रबंधक बना दिया था. कांग्रेस के ही विधायक विकास उपाध्याय को राष्ट्रीय सचिव बनाकर असम का सह-प्रभारी भी बनाया गया. उसके बाद से कांग्रेस नेताओं का बड़ा हिस्सा असम चुनाव अभियान में शामिल होने पहुंचा था. दूसरे चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने तक असम में छत्तीसगढ़ के 500 से ज्यादा नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे. वहां छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर कांग्रेस नेताओं ने खूब मेहनत की, बावजूद इसके असम में छत्तीसगढ़ मॉडल पर मुहर नहीं लग पाई.

37 विधानसभा में 12 सीटों पर जीती कांग्रेस

पार्टी आलाकमान की ओर से असम की बागडोर संभालने का आदेश मिलने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार असम में सक्रिय रहे हैं. भाजपा के इस नए गढ़ को फतह करने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने अपनी रणनीति का इस्तेमाल किया, लेकिन कांग्रेस गठबंधन के बहुमत के करीब नहीं पहुंच पाया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने असम के जिन 37 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार में फोकस किया था, उनमें से केवल 11 सीटें ही कांग्रेस के पक्ष में आई है. परिणाम को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर लिखा है कि उनके द्वारा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, लोकतंत्र विरोधी षड्यंत्र और तमाम अनैतिक काम के बावजूद इन विधानसभा चुनाव में हमारे कांग्रेस के प्रत्याशी जनता के मुद्दों पर डटे रहे और योद्धा की तरह लड़े इसपर उन्हें गर्व है.

छत्तीसगढ़ के जनबल और धनबल का दुरुपयोग, फिर भी असम में नहीं मिली जीत : रमन सिंह

अमित जोगी ने भी ली चुटकी

छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में उपस्थिति दर्ज करा चुकी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के सुप्रीमो अमित जोगी ने भी असम चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधा है. अमित जोगी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, अमेठी के बाद असम की कमान संभालने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिर से सिद्ध कर दिया है वे जहां भी जाते हैं कांग्रेस हार जाती है. अमित जोगी ने एक दोहा भी लिखा है, 'जहं-जहं पांव पड़े सन्तन के तहं-तहं होवै बन्टाधार!'. अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर छत्तीसगढ़ के संसाधन के दूसरे राज्य में चुनाव में खर्च करने पर करारा हमला बोला है. जूनियर जोगी ने कहा कि अपना राष्ट्रीय कद बनाने की असंभव महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए प्रदेश के सीमित संसाधनों को अन्य राज्यों में फूंकना भूपेश बघेल बंद कर दें. दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते दिनों असम चुनाव को लेकर ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने 100 प्लस सीटों के साथ असम विधानसभा चुनाव जीतने की बात कही थी.

कांग्रेस विधायक ने की आत्ममंथन की बात

छत्तीसगढ़ में ट्विटर पर चल रहे विवाद के बीच में कांग्रेस की ही संसदीय सचिव और कसडोल से विधायक शकुंतला साहू ने ट्वीट कर अपने ही संगठन को निशाने पर ले लिया है. उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा कि दूसरों की जीत पर हम लोग कब तक जश्न मनाएंगे, हमें और हमारी कांग्रेस पार्टी को गहण आत्म चिंतन की जरूरत है. उनके ट्वीट वायरल होने के बाद हालांकि उन्होंने अपना ट्वीट हटा लिया, लेकिन तबतक यह ट्वीट पूरी तरह से वायरल हो चुका था. इससे पहले भी वे पार्टी के मसलों को लेकर मुखरता के साथ बात सोशल मीडिया में रखती रही हैं.

भूपेश बघेल पर भाजपा का तंज

इधर, विपक्ष में बैठी भाजपा ने तंज कसते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के मॉडल को असम की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया है. असम की जनता के बीच यहां के मुख्यमंत्री लगातार झूठ बोलते रहे. छत्तीसगढ़ में 5 लाख नौकरी का वादा करने के बाद भी लगातार झांसा दे रहे हैं और असम में जाकर युवाओं को रोजगार देने की बात कहकर गुमराह करते रहे. इस तरह के झूठ को असम की जनता ने नकार दिया है. पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस पूरे देश से समाप्त हो चुकी है. पांच राज्यों के चुनाव परिणाम सामने हैं. छत्तीसगढ़ की सरकार और कांग्रेस पार्टी बड़े-बड़े ढींगे हांक रही थी कि असम में वो सरकार बनाएगी. उन्हें ऐसा लग रहा था कि असम में सरकार छत्तीसगढ़ के भरोसे ही बनने वाली है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार वहां लगी रही, जिसका खामियाजा छत्तीसगढ़ की जनता भुगत रही है. सरकार के असम में लगे रहने के कारण छत्तीसगढ़ में कोरोना की समय रहते तैयारी नहीं कर पाए. असम की जनता ने छत्तीसगढ़ मॉडल की रीति-नीति और पॉलिसी को पूरी तरह नकार दिया है. छत्तीसगढ़ में ही जब अपने वादों को नहीं निभा पा रहे हैं, तो असम में कहां से वादे पूरे करेंगे.

जीत के बाद मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल बोले-जनता ने मजबूत कदम उठाया

'छत्तीसगढ़ मॉडल पहले छत्तीसगढ़ में तो लागू हो'

मामले में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शशांक शर्मा कहते हैं, किसी भी राज्य में जो सत्ताधारी पार्टी या संगठन है, वो दूसरे राज्यों में जाकर प्रचार-प्रसार करती रही है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में सरकार में बैठी कांग्रेस ने भी दूसरे राज्यों में जाकर प्रचार किया. छत्तीसगढ़ का असम से बहुत ही पुराना संबंध है. छत्तीसगढ़ के लाखों लोग असम के चाय बागान में कभी गए थे. श्रमिक बनकर गए छत्तीसगढ़ के लोग वहां अब बहुत ही संपन्न हो चुके हैं. राजनीतिक दृष्टि से देखें तो काफी विधायक और सांसद भी हैं. असम में छत्तीसगढ़ के जो 15 लाख वोटर हैं, उनको शिफ्ट करने की जिम्मेदारी कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ के नेताओं को सौंपी थी. शशांक शर्मा कहते हैं, भाजपा के भी बहुत सारे नेता असम चुनाव प्रचार में गए थे. रही बात छत्तीसगढ़ मॉडल की तो इस तरह का मॉडल छत्तीसगढ़ में पहले स्टेबल हो, छत्तीसगढ़ में ही सफलता मिले बिना किसी मॉडल को आप किसी दूसरे राज्यों में इंप्लीमेंट करना चाहते हैं तो ये भरोसे की बात नहीं होगी. वहां की जनता का भरोसा जीतना जरूरी था.

आम चुनाव में जिस तरह से पिछले 4 महीनों से लगातार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समेत पूरी कांग्रेस लगातार सक्रिय रहा है. छत्तीसगढ़ से न केवल कांग्रेसी नेताओं को बल्कि यहां के कलाकारों को भी ले जाकर वहां प्रस्तुति दी गई और पूरी ताकत झोंकी गई. वह उसके परिणाम में वह तब्दील नहीं हो पाया. इस नतीजे का प्रदेश की राजनीति पर आने वाले समय में असर जरूर दिखेगा. छत्तीसगढ़ मॉडल की लगातार तारीफ करने असम में भी इंप्लीमेंट में लाने के दावे पर कहीं न कहीं आने वाले समय में भी सवाल खड़ा होगा.

रायपुर: असम सहित पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों का असर छत्तीसगढ़ में भी देखने को मिल रहा है. चुनावी नतीजों से जहां कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में निराशा है, वहीं भाजपा कार्यकर्ता पश्चिम बंगाल में मिली हार से मायूस हैं. असम चुनाव का असर छत्तीसगढ़ संगठन में नियुक्ति पर भी पड़ सकता है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को असम का प्रभारी बनाया गया था और इसके बाद से वे लगातार असम में छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर धुआंधार प्रचार भी कर रहे थे, लेकिन इसके बाद भी कांग्रेस को वह सफलता नहीं मिल पाई, जिसका वे दावा कर रहे थे. इसका असर आने वाले समय में छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारों में भी देखा जा सकेगा.

असम में फेल हुआ छत्तीसगढ़ मॉडल

छत्तीसगढ़ में भारी बहुमत से सत्ता सरकार में बैठी कांग्रेस असम में भी भाजपा के किले को भेजने के लिए बड़ी रणनीति बनाई थी. इसके लिए छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल को असम का प्रभारी बनाया गया और उन्होंने भाजपा के इस नए गढ़ को भेदने के लिए अपनी रणनीति का इस्तेमाल किया, लेकिन कांग्रेस गठबंधन को बहुमत के करीब नहीं पहुंचा पाए. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चुनाव की घोषणा से पहले जनवरी 2021 की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को असम में कांग्रेस का चुनावी पर्यवेक्षक और चुनाव प्रबंधक बना दिया था. कांग्रेस के ही विधायक विकास उपाध्याय को राष्ट्रीय सचिव बनाकर असम का सह-प्रभारी भी बनाया गया. उसके बाद से कांग्रेस नेताओं का बड़ा हिस्सा असम चुनाव अभियान में शामिल होने पहुंचा था. दूसरे चरण का चुनाव प्रचार खत्म होने तक असम में छत्तीसगढ़ के 500 से ज्यादा नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे. वहां छत्तीसगढ़ मॉडल को लेकर कांग्रेस नेताओं ने खूब मेहनत की, बावजूद इसके असम में छत्तीसगढ़ मॉडल पर मुहर नहीं लग पाई.

37 विधानसभा में 12 सीटों पर जीती कांग्रेस

पार्टी आलाकमान की ओर से असम की बागडोर संभालने का आदेश मिलने के बाद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार असम में सक्रिय रहे हैं. भाजपा के इस नए गढ़ को फतह करने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने अपनी रणनीति का इस्तेमाल किया, लेकिन कांग्रेस गठबंधन के बहुमत के करीब नहीं पहुंच पाया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने असम के जिन 37 विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार में फोकस किया था, उनमें से केवल 11 सीटें ही कांग्रेस के पक्ष में आई है. परिणाम को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर लिखा है कि उनके द्वारा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण, लोकतंत्र विरोधी षड्यंत्र और तमाम अनैतिक काम के बावजूद इन विधानसभा चुनाव में हमारे कांग्रेस के प्रत्याशी जनता के मुद्दों पर डटे रहे और योद्धा की तरह लड़े इसपर उन्हें गर्व है.

छत्तीसगढ़ के जनबल और धनबल का दुरुपयोग, फिर भी असम में नहीं मिली जीत : रमन सिंह

अमित जोगी ने भी ली चुटकी

छत्तीसगढ़ में क्षेत्रीय पार्टी के रूप में उपस्थिति दर्ज करा चुकी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के सुप्रीमो अमित जोगी ने भी असम चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर निशाना साधा है. अमित जोगी ने ट्वीट करते हुए लिखा है, अमेठी के बाद असम की कमान संभालने वाले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फिर से सिद्ध कर दिया है वे जहां भी जाते हैं कांग्रेस हार जाती है. अमित जोगी ने एक दोहा भी लिखा है, 'जहं-जहं पांव पड़े सन्तन के तहं-तहं होवै बन्टाधार!'. अमित जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर छत्तीसगढ़ के संसाधन के दूसरे राज्य में चुनाव में खर्च करने पर करारा हमला बोला है. जूनियर जोगी ने कहा कि अपना राष्ट्रीय कद बनाने की असंभव महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए प्रदेश के सीमित संसाधनों को अन्य राज्यों में फूंकना भूपेश बघेल बंद कर दें. दरअसल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते दिनों असम चुनाव को लेकर ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने 100 प्लस सीटों के साथ असम विधानसभा चुनाव जीतने की बात कही थी.

कांग्रेस विधायक ने की आत्ममंथन की बात

छत्तीसगढ़ में ट्विटर पर चल रहे विवाद के बीच में कांग्रेस की ही संसदीय सचिव और कसडोल से विधायक शकुंतला साहू ने ट्वीट कर अपने ही संगठन को निशाने पर ले लिया है. उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा कि दूसरों की जीत पर हम लोग कब तक जश्न मनाएंगे, हमें और हमारी कांग्रेस पार्टी को गहण आत्म चिंतन की जरूरत है. उनके ट्वीट वायरल होने के बाद हालांकि उन्होंने अपना ट्वीट हटा लिया, लेकिन तबतक यह ट्वीट पूरी तरह से वायरल हो चुका था. इससे पहले भी वे पार्टी के मसलों को लेकर मुखरता के साथ बात सोशल मीडिया में रखती रही हैं.

भूपेश बघेल पर भाजपा का तंज

इधर, विपक्ष में बैठी भाजपा ने तंज कसते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के मॉडल को असम की जनता ने पूरी तरह से नकार दिया है. असम की जनता के बीच यहां के मुख्यमंत्री लगातार झूठ बोलते रहे. छत्तीसगढ़ में 5 लाख नौकरी का वादा करने के बाद भी लगातार झांसा दे रहे हैं और असम में जाकर युवाओं को रोजगार देने की बात कहकर गुमराह करते रहे. इस तरह के झूठ को असम की जनता ने नकार दिया है. पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस पूरे देश से समाप्त हो चुकी है. पांच राज्यों के चुनाव परिणाम सामने हैं. छत्तीसगढ़ की सरकार और कांग्रेस पार्टी बड़े-बड़े ढींगे हांक रही थी कि असम में वो सरकार बनाएगी. उन्हें ऐसा लग रहा था कि असम में सरकार छत्तीसगढ़ के भरोसे ही बनने वाली है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार वहां लगी रही, जिसका खामियाजा छत्तीसगढ़ की जनता भुगत रही है. सरकार के असम में लगे रहने के कारण छत्तीसगढ़ में कोरोना की समय रहते तैयारी नहीं कर पाए. असम की जनता ने छत्तीसगढ़ मॉडल की रीति-नीति और पॉलिसी को पूरी तरह नकार दिया है. छत्तीसगढ़ में ही जब अपने वादों को नहीं निभा पा रहे हैं, तो असम में कहां से वादे पूरे करेंगे.

जीत के बाद मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल बोले-जनता ने मजबूत कदम उठाया

'छत्तीसगढ़ मॉडल पहले छत्तीसगढ़ में तो लागू हो'

मामले में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक शशांक शर्मा कहते हैं, किसी भी राज्य में जो सत्ताधारी पार्टी या संगठन है, वो दूसरे राज्यों में जाकर प्रचार-प्रसार करती रही है. इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में सरकार में बैठी कांग्रेस ने भी दूसरे राज्यों में जाकर प्रचार किया. छत्तीसगढ़ का असम से बहुत ही पुराना संबंध है. छत्तीसगढ़ के लाखों लोग असम के चाय बागान में कभी गए थे. श्रमिक बनकर गए छत्तीसगढ़ के लोग वहां अब बहुत ही संपन्न हो चुके हैं. राजनीतिक दृष्टि से देखें तो काफी विधायक और सांसद भी हैं. असम में छत्तीसगढ़ के जो 15 लाख वोटर हैं, उनको शिफ्ट करने की जिम्मेदारी कांग्रेस आलाकमान ने छत्तीसगढ़ के नेताओं को सौंपी थी. शशांक शर्मा कहते हैं, भाजपा के भी बहुत सारे नेता असम चुनाव प्रचार में गए थे. रही बात छत्तीसगढ़ मॉडल की तो इस तरह का मॉडल छत्तीसगढ़ में पहले स्टेबल हो, छत्तीसगढ़ में ही सफलता मिले बिना किसी मॉडल को आप किसी दूसरे राज्यों में इंप्लीमेंट करना चाहते हैं तो ये भरोसे की बात नहीं होगी. वहां की जनता का भरोसा जीतना जरूरी था.

आम चुनाव में जिस तरह से पिछले 4 महीनों से लगातार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री समेत पूरी कांग्रेस लगातार सक्रिय रहा है. छत्तीसगढ़ से न केवल कांग्रेसी नेताओं को बल्कि यहां के कलाकारों को भी ले जाकर वहां प्रस्तुति दी गई और पूरी ताकत झोंकी गई. वह उसके परिणाम में वह तब्दील नहीं हो पाया. इस नतीजे का प्रदेश की राजनीति पर आने वाले समय में असर जरूर दिखेगा. छत्तीसगढ़ मॉडल की लगातार तारीफ करने असम में भी इंप्लीमेंट में लाने के दावे पर कहीं न कहीं आने वाले समय में भी सवाल खड़ा होगा.

Last Updated : May 5, 2021, 1:03 PM IST
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