रायपुर: कोरोना काल में कोरोना वॉरियर्स के रूप में अपनी सेवाएं देने वालों में पुलिस, डॉक्टर, नगर निगम अमले के साथ शिक्षक भी अपनी सेवाएं दे रहे हैं. शिक्षकों को पिछले 3 महीने से कोरोना सर्वे के काम में लगाया गया है. शिक्षक भी इस काम को बखूबी कर रहे हैं. लेकिन 2 दिन पहले जिला प्रशासन ने इन शिक्षकों की घर-घर जाकर स्वास्थ्य जांच करने की ड्यूटी भी लगा दी है. जिला प्रशासन के इस फैसले से शिक्षकों में खासा नाराजगी देखी जा रही है.
शुक्रवार को शिक्षक संघ ने इस ड्यूटी से मुक्त करने के लिए कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है. शिक्षकों का कहना है कि ऑक्सीमीटर लेकर घर-घर जाकर ऑक्सीजन लेवल और शरीर का तापमान जांच करना स्वास्थ्य विभाग का काम है. इसके लिए हम शिक्षकों को किसी तरह की न ही कोई ट्रेनिंग मिली है, न ही कोई तजुर्बा है. ऐसे में गलतियां हम से भी हो सकती है. शिक्षकों का कहना है कि इस तरह की ड्यूटी से हमें मुक्त किया जाए.
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3 महीने से कर रहे हैं ड्यूटी
शिक्षकों का यह भी कहना है कि पिछले 3 महीने से कोरोना सर्वे का काम करने के साथ-साथ, वे स्कूल का काम भी कर रहे हैं. जिसमें बच्चों के रिजल्ट तैयार करने से लेकर बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई शामिल है. लेकिन इसके बाद भी जिला प्रशासन ने शिक्षकों को और जिम्मेदारी दे दी है. शिक्षक संघ ने इसे अनुचित और गलत बताया है. शिक्षक संघ का कहना है कि अगर इस दौरान किसी शिक्षक के साथ अप्रिय घटना घटती है, तो प्रदेश भर के 1 लाख 80 हजार शिक्षक सड़क पर उतर कर इसके लिए प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे.