रायपुर : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 , 2019-21 की रिपोर्ट के (national family health survey) मुताबिक प्रदेश में करीब 17.9 प्रतिशत पुरुषों ने शराब छोड़ दी है. बावजूद इसके प्रदेश में न तो शराब की खपत में कमी आई और न ही इससे होने वाला राजस्व ही घटा. इस मुद्दे को लेकर जब हमने आम लोगों से बात की तो कुछ ने बताया कि शराब के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. लेकिन क्वालिटी गिरती जा रही है. वहीं कुछ शराब में मिलावट होने की बात कह रहे हैं तो कुछ शराब को परिवार में परेशानी की वजह मान रहे हैं.
कीमत तो बढ़ रही, पर नशा नहीं चढ़ता : शराब को लेकर जब हमने एक शराब पीने वाले से बात की तो उसका कहना था कि छत्तीसगढ़ में शराब की कीमत तो बढ़ रही है. लेकिन शराब पीने के बाद नशा ही नहीं चढ़ता. उसने यह भी कहा कि उसके साथ दो बार शराब की दुकान में धोखा भी हो चुका है. उसने दुकान से शराब खरीदी और जब उस शराब को पी तो वह चाय पत्ती का पानी निकला. उसमें शराब नहीं थी. इसके अलावा उसने बताया कि शराब के एक पव्वा का दाम पहले 80 रुपये था, जबकि अब 130 रुपये देने पड़ रहे हैं.
होनी चाहिए शराबबंदी : आम लोगों का कहना है कि प्रदेश में शराबबंदी होनी चाहिए. शराब की वजह से कई परिवार बर्बाद हो रहे हैं. खासकर महिलाएं इस वजह से ज्यादा परेशान हो रही हैं. शराब की वजह से घर भी चलाना मुश्किल हो गया है. क्योंकि शराब पीने वाला अपनी आय का एक बहुत बड़ा हिस्सा शराब खरीदने में खर्च कर देता है. इसलिए प्रदेश में शराबबंदी होनी चाहिए.
17.9 प्रतिशत पुरुषों के शराब छोड़ने की बात बिल्कुल गलत : वहीं कुछ लोगों की राय थी कि आज जो 17.9 प्रतिशत पुरुषों के शराब छोड़ने की बात कही जा रही है, वह सरासर गलत है. पहले शराब पीने वालों की संख्या करीब 85 प्रतिशत थी. वह आज बढ़कर 95 प्रतिशत हो गई है. आज की शराब में पहले जैसा दम भी नहीं रहा. लोगों का कहना था कि भाजपा शासनकाल में शराब का एक पव्वा 70 रुपए में बिकता था, वही आज 130 रुपये में मिल रहा है. मतलब शराब के दामों में करीब 90 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है. बावजूद इसके शराब में कोई दम नहीं है.
छत्तीसगढ़ की शराब पर राजनीति भी हो चुकी है...: इससे पहले छत्तीसगढ़ में शराब मामले पर राजनीति भी हो चुकी है. भाजपा से सांसद रामविचार नेताम ने कहा था कि छत्तीसगढ़ की शराब से नशा नहीं होता. जबकि आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने उनके बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि नेताम को अब शराब दुकान में शराब चखने की जिम्मेदारी देनी चाहिए. वहीं इस मामले पर चुटकी लेते हुए सीएम भूपेश बघेल ने कहा था कि "मैं तो शराब पीता नहीं, तो मुझे अनुभव नहीं है. नेताम जी पीकर बता रहे होंगे तो मुझे नहीं पता."
छत्तीसगढ़ में 17.9% पुरुषों ने छोड़ी शराब : बता दें कि हाल ही में जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5, 2019-21 की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में करीब 17.9 प्रतिशत पुरुषों ने शराब छोड़ दी है. जबकि 34.8 प्रतिशत पुरुष शराब पी रहे हैं. जबकि 2015-2016 में हुए सर्वे में बताया गया था कि राज्य के 52.7 प्रतिशत पुरुष शराब का नशा करते थे. प्रदेश में हर 100 में 5 महिलाएं भी शराब पी रहीं हैं.