रायपुर : भाग-दौड़ भरी दुनिया में आज किसी के पास इतना समय नहीं है कि, वह कुछ देर रुक कर अपने या अपने से जुड़े लोगों के बारे में सोच सके. यही वजह है कि लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. डिप्रेशन ऐसी अवस्था है जहां लोग भीड़ में रहकर भी अपने आप को अकेला और अलग महसूस करते हैं. डिप्रेशन के केस में मोबाइल की भी बड़ी भूमिका रही है. मोबाइल एडिक्शन बच्चों और बड़ों के लिए भी काफी खतरनाक है.
साइकोलॉजी ने भी मोबाइल फोन एडिक्शन को डिप्रेशन की बहुत बड़ी वजह माना गया है. लॉकडाउन में जब लोग घरों पर ज्यादा रह रहे हैं इस दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी बढ़ गया है, जिसके कारण लोग परिवार में हो कर भी अपने आप को अकेला महसूस करते हैं. डिप्रेशन को लेकर ETV भारत की टीम ने साइकोलॉजिस्ट जेसी अजवानी से बात की है.
एडिक्शन बन गया है मोबाइल फोन
साइकोलॉजिस्ट जेसी अजवानी ने बताया कि डिप्रेशन की कई वजह होती है, मोबाइल फोन एक एडिक्शन के रूप में स्थापित हो गया है. मोबाइल के बगैर हम नहीं रह पाते, यह भी डिप्रेशन का एक सिम्टम्स है. मोबाइल फोन हमें ना मिले तो हम उदास, अकेले रहना शुरू कर देते हैं. मोबाइल को लेकर मनोवैज्ञानिक काफी चिंतित हैं कि, बड़े और बच्चों को मोबाइल से किस तरह से बचाया जाए.
पढ़ें- SPECIAL: 400 बेड के आइसोलेशन वार्ड में बदला इंडोर स्टेडियम, योग और जिम की भी सुविधा
मोबाइल का दूसरा पहलू यह भी है
यह बहुत ही चिंतन और रिसर्च का विषय है. लॉकडाउन में इसका प्रभाव बढ़ गया है, क्योंकि लोग घर से बाहर नहीं जा सकते तो मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. मोबाइल का दूसरा फेस कमाल का है. युवाओं में डिप्रेशन की वजह काफी कम है. क्योंकि युवा अपने दोस्तों से भी बात कर लेते हैं और मोबाइल को इंजॉय कर रहे हैं. लेकिन जो 35 के ज्यादा उम्र के लोग हैं, वे लोगों से ज्यादा बात नहीं कर पाते. घर में रहने के कारण वह चाहते हैं कि वह बच्चों और अपने परिवार के साथ ज्यादा समय बिता पाएं, लेकिन जब वह परिवार में रहने के बाद भी अकेला और अलग महसूस करते हैं तो वे डिप्रेस हो जाते है.